इंद्रेश उपाध्याय महाराज की शादी पर बवाल: सोशल मीडिया बनाम सादगी – एक मज़ेदार और समझदार कहानी

 
Indresh Upadhyay Maharaj’s Wedding Controversy: Social Media vs. Sadhgi – The Funny Story

इंद्रेश उपाध्याय महाराज की शादी पर बवाल: सोशल मीडिया बनाम सादगी – एक मज़ेदार और समझदार कहानी

वृखण्डन के प्रसिद्ध कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय महाराज इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में हैं। वजह कोई कथा नहीं, बल्कि उनकी शादी है। 5 दिसंबर 2025 को महाराज जी ने हरियाणा की शिप्रा जी से विवाह किया और इसके बाद इंटरनेट पर सवालों की बाढ़ आ गई—
“जो संत सादगी और त्याग की बात करते हैं, उनकी शादी इतनी भव्य कैसे?”

सोशल मीडिया पर चल रही इस बहस पर महाराज जी ने चुप्पी नहीं साधी। मुंबई में शादी के बाद अपनी पहली कथा के दौरान उन्होंने पूरे विवाद का जवाब बड़े ही हल्के-फुल्के, विनम्र और हास्यपूर्ण अंदाज़ में दिया।

“सोशल मीडिया आधी बात जानकर पूरी राय बना लेता है”

महाराज जी ने कहा,
“दोस्तों, सोशल मीडिया पर लोग बिना पूरी जानकारी के निष्कर्ष निकाल लेते हैं। सच्चाई जाने बिना बातें बनाई जाती हैं।”

लोगों का कहना था कि जो संत सादगी का उपदेश देते हैं, उनकी शादी इतनी ‘बड़ी’ क्यों? इस पर महाराज जी ने सहजता से समझाया—
“जब ठाकुर जी के बड़े उत्सव होते हैं या कथाओं का आयोजन होता है, तब कोई नहीं पूछता कि खर्च कितना हुआ। मैं भी कई धार्मिक आयोजनों में योगदान देता हूं, लेकिन तब सवाल नहीं उठते।”

सब्ज़ी वाला भी घर बना सकता है, तो शादी क्यों नहीं?

थोड़ा हास्य जोड़ते हुए महाराज जी बोले,
“आजकल अगर एक सब्ज़ी वाला भी चार साल मेहनत कर ले, तो अपना घर बना लेता है। अगर कोई अपने बेटे की शादी अच्छे से करना चाहता है, तो इसमें गलत क्या है?”

खाने पर भी सवाल? जवाब भी साफ!

शादी के भोजन को लेकर भी खूब चर्चा हुई। इस पर महाराज जी ने स्पष्ट किया—
“किसी ने यह नहीं देखा कि पूरा भोजन प्याज़-लहसुन रहित, पूरी तरह शुद्ध सात्विक और नॉन-अल्कोहलिक था। यह भी तो सादगी ही है।”

“लाल जी पहले, मैं बाद में”

शादी के रीति-रिवाज़ों को लेकर चल रही अफवाहों पर महाराज जी ने मुस्कुराते हुए कहा—
“लोगों ने कपड़ों और मंच की बातें कीं, लेकिन किसी ने नहीं देखा कि हर रस्म में लाल जी सबसे आगे थे। हमने वही वस्त्र पहने जो लाल जी ने पहने। मंच पर भी पूरी आध्यात्मिक एकरूपता थी।”

जयपुर में शादी क्यों?

एक बड़ा सवाल यह भी था कि शादी जयपुर में क्यों हुई। महाराज जी ने इसका जवाब भी बड़े सरल शब्दों में दिया—
“वृंदावन के तीन प्रमुख ठाकुर जी—गोविंद देव, गोपीनाथ और मदन मोहन—जयपुर में हैं। मेरे लिए जयपुर सिर्फ शहर नहीं, मेरा अपना वृखण्डन है। और सच कहूं तो वृंदावन में शादी होती तो जाम, भीड़ और अव्यवस्था हो जाती। जयपुर एक व्यावहारिक और शांत विकल्प था।”

भक्तों को क्यों नहीं बुलाया गया?

इस संवेदनशील विषय पर महाराज जी ने पूरी विनम्रता से कहा—
“यह परिवार का निर्णय था और मैंने उसी का सम्मान किया। जहां जैसा कहा गया, वैसा ही किया। उद्देश्य केवल परिवार का मान और सादगी बनाए रखना था।”

महाराज जी का स्पष्ट संदेश

  • सोशल मीडिया की अफवाहों को सच न मानें

  • सादगी और परंपरा के साथ भी विवाह संभव है

  • सात्विक, प्याज़-लहसुन रहित और नशामुक्त भोजन भी आयोजन का हिस्सा हो सकता है

सबसे दिलचस्प बात यह रही कि लोग ‘लक्ज़री’ की बात करते रहे, लेकिन यह नहीं देखा कि हर कदम पर लाल जी पहले और महाराज जी बाद में—पूरी आध्यात्मिक मर्यादा के साथ।

निष्कर्ष

सोशल मीडिया का काम है सवाल उठाना, लेकिन असली ज़िंदगी में फैसले परिवार, परंपरा और व्यवहारिकता के आधार पर होते हैं। इंद्रेश उपाध्याय महाराज ने अपनी पहली कथा में यह साबित कर दिया कि सादगी और हास्य साथ-साथ चल सकते हैं

मोरल:
ज़िंदगी में सादगी भी ज़रूरी है और थोड़ी मुस्कान भी।

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