जावेद अख्तर बनाम सोशल मीडिया: ‘इतिहास और गणित के कमजोर स्टूडेंट हो’ वाला ट्वीट क्यों हुआ वायरल?

 
Javed Akhtar Slams Users Over Mughal-Jewish Comparison: 'Go Back to School!' | History, Math & Secularism Lesson

आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसे ट्वीट की जो सुर्खियां बटोर रही है। एक तरफ हैं लीजेंडरी राइटर-लीरिकिस्ट जावेद अख्तर, जो अपनी बेबाक राय के लिए मशहूर हैं, और दूसरी तरफ सोशल मीडिया यूजर्स, जो मुगलों और यहूदियों की तुलना करके 'जिहादी लॉजिक' का ताना मार रहे हैं। लेकिन जावेद साहब ने क्या जवाब दिया? 'तुम लोग इतिहास और गणित के बहुत खराब स्टूडेंट हो, दोबारा स्कूल जाओ!'  ये विवाद इतना गहरा है कि ये इजरायल-फिलिस्तीन कंफ्लिक्ट से लेकर भारत के मथुरा मस्जिद विवाद तक जुड़ गया है। 

सोशल मीडिया पर विवाद तो रोज़ होते हैं, लेकिन जब बात इतिहास, धर्म और पॉलिटिक्स की आती है, तो आग लग जाती है। कल ही, यानी 26 अक्टूबर 2025 को, एक यूजर इम्तियाज़ महमूद ने X (पूर्व ट्विटर) पर एक सनसनीखेज़ पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, 'यहूदी जेरूसलम में कब्ज़ेदार हैं, लेकिन मुगल मथुरा में देशी हैं - जिहादी लॉजिक!' ये पोस्ट क्या कह रही थी? दोस्तों, ये एक सर्कास्टिक कमेंट था, जो प्रो-पैलेस्टाइन वॉल पर निशाना साध रहा था। प्रो-पैलेस्टाइन लोग कहते हैं कि यहूदी इजरायल में 'ऑक्यूपायर्स' हैं क्योंकि उन्होंने फिलिस्तीनियों को विस्थापित किया। लेकिन उसी लॉजिक से, यूजर कह रहा था कि मुगल तो मध्य एशिया से आए थे, फिर वो मथुरा में 'नेटिव्स' कैसे ? ये मथुरा मस्जिद-मंदिर विवाद से भी जुड़ा था, जहां कुछ लोग मुगलों को 'इनवेडर्स' बताते हैं। 

पोस्ट वायरल हो गई, हजारों लाइक्स-रिपोस्ट्स मिले।लेकिन अब एंट्री हुई जावेद अख्तर की! जावेद साहब, जो खुद को एथीस्ट बताते हैं और धर्म-राजनीति पर खुलकर बोलते हैं, भड़क गए। उन्होंने रिप्लाई में यूजर को लताड़ा। लिखा, 'तुम्हें न सिर्फ इतिहास बल्कि गणित का भी बहुत बुरा स्टूडेंट रहा होगा। मध्ययुग के लगभग तीन साढ़े तीन सौ सालों और 20 वीं सदी के 75 सालों के बीच का फर्क नहीं समझ आता, तो तुम्हें दोबारा स्कूल जाना चाहिए। वैसे, सेकुलरिज़्म की भी एक-दो क्लास ले लो, जो हर तरह के धार्मिक/सांप्रदायिक बायस से दूरी रखना सिखाता है, लेकिन इसके लिए हिम्मत चाहिए। जावेद साहब ने तो पूरी तरह यूजर की क्लास लगा दी। उन्होंने मुगल शासन को 350 साल का लंबा दौर बताया, जो मध्ययुग का था, जब विजय और एकीकरण आम था। वहीं, इजरायल का मामला 1948 का है - आधुनिक समय का, जहां डिस्प्लेसमेंट और इंटरनेशनल लॉ का मुद्दा है। गणित का तंज ? 350 साल vs 75 साल - इतना सिंपल कैलकुलेशन! और सेकुलरिज़्म वाला पॉइंट? जावेद कह रहे हैं कि बायस छोड़ो, फैक्ट्स देखो।ये ट्वीट आते ही वायरल हो गया। जावेद के फॉलोअर्स ने तारीफों के पुल बांधे, कहा 'मास्टर स्ट्रोक!' लेकिन क्रिटिक्स ने भी कमेंट्स की बौछार कर दी। कुछ ने कहा, 'जावेद फिर से मुगलों का बचाव कर रहे हैं, जबकि औरंगजेब जैसे बादशाहों ने मंदिर तोड़े!'

 सबसे पहले, इम्तियाज़ महमूद कौन हैं? वो एक सोशल मीडिया कमेंटेटर हैं, जो खुद को एथीस्ट बताते हैं लेकिन इस्लाम पर अक्सर क्रिटिकल होते हैं। उनका पोस्ट इजरायल-फिलिस्तीन कंफ्लिक्ट के बीच भारत के हिंदू-मुस्लिम डिबेट को मिक्स कर रहा था। मथुरा का रेफरेंस? वहां ज्ञानवापी जैसे विवादों से मुगलों को 'ऑक्यूपायर्स' कहा जाता है।अब जावेद अख्तर? वो बॉलीवुड के शेक्सपियर हैं - 'शोले', 'दीवार', 'जॉनी मेरा नाम' जैसे क्लासिक्स के राइटर। लेकिन पर्सनल लाइफ में एथीस्ट, प्रोग्रेसिव। पहले भी विवादों में रहे - RSS को तालिबान से कंपेयर किया, लकी अली पर कमेंट्स किए। यहां, उनका पॉइंट वैलिड लगता है: हिस्टोरिकल कंटेक्स्ट अलग है। मुगल भारत में सेटल हो गए, कल्चर मिक्स किया लेकिन क्रिटिक्स कहते हैं कि ये 'इनवेजन' था, GDP ग्रोथ नेगेटिव था, फेमिन जैसी डिजास्टर्स हुए।सोशल मीडिया रिएक्शन्स? X पर हजारों कमेंट्स।'जावेद ने सही कहा, सेकुलरिज़्म की जरूरत!' दूसरी साइड: 'मुगलों को ग्लोरिफाई मत करो!' रेडिट पर डिबेट्स चल रहे हैं, जहां कुछ यूजर्स कह रहे, 'अकबर सेकुलर था, लेकिन औरंगजेब नहीं।' 

क्या ये विवाद खत्म होगा? शायद नहीं, क्योंकि ये ग्लोबल इश्यूज से जुड़ा है। जावेद का ये स्टाइल - तीखा लेकिन लॉजिकल - उन्हें हीरो या विलेन बनाता है।"ये विवाद हमें सोशल मीडिया के उस चेहरे की याद दिलाता है जहां फैक्ट्स से ज्यादा इमोशन्स चलते हैं। जावेद जैसे सेलेब्स जब बोलते हैं, तो डिबेट हेल्दी हो सकती है, लेकिन अक्सर पर्सनल अटैक हो जाता है। याद है, जावेद ने पहले भी कहा था, 'हिंदू मुसलमानों जैसा मत बनो, उन्हें अपना बनाओ!' ये उनके प्रोग्रेसिव व्यूज दिखाता है। लेकिन क्रिटिक्स कहते हैं, 'सेलेक्टिव एथीइज्म!' भारत में ऐसे टॉपिक्स हमेशा गर्म रहते हैं - मंदिर-मस्जिद, हिस्ट्री राइटिंग। जावेद का जवाब हमें सोचने पर मजबूर करता है: क्या हम हिस्ट्री को बिना बायस देख सकते हैं? और ग्लोबली, इजरायल-पैलेस्टाइन पर भारत का स्टैंड क्या? ये डिबेट लंबा चलेगा।

तो  ये था जावेद अख्तर और यूजर्स के इस लेटेस्ट ट्विटर वार का पूरा अपडेट। आपको क्या लगता है - जावेद सही थे या यूजर का पॉइंट वैलिड? 

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