Nawazuddin Siddiqui SLAMS Bollywood, Accuses Industry of Stealing Content :हमारी इंडस्ट्री चोर है बोले नवाजुद्दीन सिद्दीकी

Nawazuddin siddiqui new Costao

 
Nawazuddin Siddiqui SLAMS Bollywood, Accuses Industry of Stealing Content

बॉलीवुड के लेजेंड्री एक्टर  नवाजुद्दीन सिद्दीकी  ने हाल ही में कहा, "हमारी इंडस्ट्री चोर है!" लेकिन सवाल ये है कि आखिर क्यों नवाजुद्दीन ने अपनी ही इंडस्ट्री को इतना तीखा तमाचा मारा? क्या सचमुच बॉलीवुड में क्रिएटिविटी की कमी है? या फिर कुछ और है इस बयान के पीछे? इस वीडियो में हम इस पूरे मामले को गहराई से समझेंगे, नवाज के इंटरव्यू की हर बात को खोलेंगे, और जानेंगे कि आखिर क्या है इस बयान का सच। तो चलिए, शुरू करते हैं!

 नवाजुद्दीन सिद्दीकी, एक ऐसा नाम जिसने अपनी दमदार एक्टिंग से बॉलीवुड में अपनी खास जगह बनाई है। 'गैंग्स ऑफ वासेपुर', 'बजरंगी भाईजान', 'किक', और हाल ही में रिलीज हुई उनकी फिल्म Costao जैसी फिल्मों में उन्होंने दिखा दिया कि टैलेंट के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती। लेकिन इस बार नवाज अपनी एक्टिंग की वजह से नहीं, बल्कि अपने बेबाक बयान की वजह से सुर्खियों में हैं। हाल ही में, अपनी फिल्म Costao' के प्रमोशन के दौरान नवाजुद्दीन पूजा तलवार के यूट्यूब चैनल पर एक इंटरव्यू में नजर आए। इस इंटरव्यू में उन्होंने बॉलीवुड की मौजूदा स्थिति पर खुलकर बात की और कहा, "हमारी इंडस्ट्री में एक ही चीज को पांच साल तक घसीटा जाता है। जब लोग बोर हो जाते हैं, तब जाकर उसे छोड़ा जाता है।" लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा तब हुई, जब उन्होंने कहा, "शुरू से हमारी इंडस्ट्री चोर रही है। हमने गाने चोरी किए, स्टोरी चोरी की। अब जो चोर होते हैं, वो कहां से क्रिएटिव हो सकते हैं?"  


ये बयान सुनते ही सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया। कुछ लोग नवाज की तारीफ कर रहे हैं कि उन्होंने सच बोलने की हिम्मत दिखाई, तो कुछ कह रहे हैं कि ये बयान जरूरत से ज्यादा तीखा है। लेकिन आखिर नवाज को ऐसा कहने की जरूरत क्यों पड़ी? चलिए, इसकी जड़ तक जाते हैं। नवाजुद्दीन का कहना है कि बॉलीवुड में क्रिएटिविटी की भारी कमी है। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री में एक ही फॉर्मूले को बार-बार दोहराया जाता है। जैसे, अगर कोई फिल्म हिट हो जाती है, तो उसी के जैसी कहानियां, गाने, या सीन बार-बार बनाए जाते हैं। उनका कहना है, "लोगों में इनसिक्योरिटी इतनी बढ़ गई है कि वो एक हिट फॉर्मूले को छोड़ना ही नहीं चाहते। और तो और, अब तो फिल्मों के पार्ट 2, पार्ट 3, पार्ट 4 बनने लगे हैं। ये क्रिएटिव Bankruptcy है।


 नवाज ने ये भी कहा कि बॉलीवुड ने हमेशा से दूसरों से कॉपी किया है। उन्होंने example  दिया कि साउथ इंडियन फिल्मों से कहानियां चुराई गईं, विदेशी फिल्मों से सीन कॉपी किए गए, और यहां तक कि कुछ हिट कल्ट फिल्मों के सीन भी चोरी के हैं। नवाज का कहना है कि इस चोरी को इंडस्ट्री में इतना सामान्य कर दिया गया है कि लोग इसे गलत मानते ही नहीं। पहले तो makers  विदेशी फिल्मों का वीडियो लाकर कहते थे, "ऐसी फिल्म बनानी है," और उसे हू-ब-हू कॉपी कर लिया जाता था।  


नवाज ने ये भी बताया कि इस माहौल की वजह से कई टैलेंटेड लोग इंडस्ट्री छोड़ रहे हैं। उन्होंने अपने दोस्त और मशहूर डायरेक्टर अनुराग कश्यप का जिक्र किया, जिन्होंने Create original content ने की कोशिश की, लेकिन सिस्टम के सपोर्ट न मिलने की वजह से वो भी इंडस्ट्री से दूरी बना रहे हैं।अब सवाल ये है कि क्या नवाजुद्दीन का बयान पूरी तरह सही है? अगर हम बॉलीवुड की हिस्ट्री देखें, तो कई ऐसी फिल्में हैं, जो साउथ इंडियन या हॉलीवुड फिल्मों की रीमेक हैं। example  के लिए, 'दृश्यम', 'बॉडीगार्ड', 'रेस', और 'बागी' जैसी फिल्में साउथ या विदेशी फिल्मों से inspire  हैं। कई पुराने गाने भी विदेशी ट्यून्स से कॉपी किए गए हैं, जैसे 90 के दशक के कुछ मशहूर गाने।  


लेकिन दूसरी तरफ, बॉलीवुड ने कुछ ऑरिजिनल कहानियां भी दी हैं। 'लगान', 'तारे जमीन पर', 'स्वदेस', और 'उड़ान' जैसी फिल्में पूरी तरह original  हैं और इन्हें दुनियाभर में सराहा गया है। तो क्या नवाज का बयान थोड़ा एकतरफा है? या फिर वो सिर्फ मौजूदा दौर की बात कर रहे हैं, जहां सीक्वल और रीमेक का ट्रेंड बढ़ गया है?  सोशल मीडिया पर भी इस बयान को लेकर दो तरह की राय देखने को मिल रही हैं। 


 नवाज के बयान से एक बड़ा सवाल उठता है कि आखिर बॉलीवुड में क्रिएटिविटी की कमी क्यों है? इसके कई वजह  हो सकते हैं:बॉलीवुड में फिल्में बनाने में करोड़ों रुपये लगते हैं। ऐसे में प्रोड्यूसर्स रिस्क लेने से बचते हैं और वही फॉर्मूला अपनाते हैं, जो पहले हिट हो चुका है। दबंग', 'धूम', और 'क्रिश' जैसे फ्रैंचाइजी फिल्मों ने सीक्वल बनाने का ट्रेंड शुरू किया, जिसे अब हर दूसरी फिल्म फॉलो कर रही है। नवाज ने कहा कि Independent Directors  को सपोर्ट नहीं मिलता। जो लोग नया करना चाहते हैं, उन्हें या तो फंडिंग नहीं मिलती या फिर दर्शक नहीं। कई बार दर्शक भी नई कहानियों को स्वीकार करने में हिचकते हैं। अगर कोई नया एक्सपेरिमेंट फ्लॉप हो जाता है, तो मेकर्स फिर से पुराने फॉर्मूले पर लौट जाते हैं।

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