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Neena Gupta says 95% of Indian women don’t know that sex is for enjoyment :आदमियों को खुश करो, बच्चे पैदा करो Neena Gupta ने कही ये बात
Neena gupta interview on love & intimacy

Neena gupta interview on love & intimacy
नीना गुप्ता एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने न सिर्फ अपनी बेहतरीन एक्टिंग से लोगों का दिल जीता है, बल्कि अपनी बेबाक राय और समाज के प्रति गहरी सोच के जरिए भी चर्चा में रही हैं। हाल ही में उन्होंने महिलाओं के बीच इंटिमेसी (शारीरिक संबंधों) को लेकर जागरूकता और सोच पर बात की, जिसका एक हिस्सा था- "आदमियों को खुश करो, बच्चे पैदा करो..."। ये बयान उन्होंने महिलाओं की उस मानसिकता को उजागर करने के लिए दिया, जो समाज में सालों से चली आ रही है। नीना गुप्ता ने इस टॉपिक पर अपनी राय को खुलकर रखा और इसे एक लंबी चर्चा का रूप दिया आज हम एक ऐसे टॉपिक पर बात करने जा रहे हैं, जिसके बारे में लोग खुलकर बोलने से कतराते हैं- खासकर महिलाएं। इंटिमेसी... यानी शारीरिक संबंध। हमारे समाज में ये एक ऐसा सब्जेक्ट है, जिसे या तो बहुत ग्लैमराइज़ कर दिया जाता है या फिर पूरी तरह से ढक दिया जाता है। लेकिन सच्चाई क्या है? खासकर महिलाओं के नजरिए से? आज मैं अपनी बात रखूंगी, और शायद ये आपको सोचने पर मजबूर कर दे। तो चलिए, शुरू करते हैं।"
नीना गुप्ता ने इंटरव्यू में कहा हमारे यहाँ सालों से एक बात चली आ रही है- 'आदमियों को खुश करो, बच्चे पैदा करो।' ये लाइन उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में कही थी, और इसके बाद कई लोगों ने उनसे पूछा कि मैं ऐसा क्यों सोचती है । देखिए, मैं ये नहीं कह रही कि हर महिला ऐसा सोचती है। लेकिन हाँ, हमारे समाज में बहुत सारी महिलाओं को यही सिखाया जाता है। बचपन से लेकर शादी तक, हमें बताया जाता है कि हमारी जिंदगी का मकसद क्या है- पति को संतुष्ट रखना और परिवार को आगे बढ़ाना। लेकिन सवाल ये है कि क्या इंटिमेसी सिर्फ इतना ही है? क्या इसमें महिलाओं की अपनी खुशी, अपनी इच्छाएँ मायने नहीं रखतीं?"उन्होंने कहा मुझे याद है, जब मैं छोटी थी, तब मेरे आसपास की औरतें इस बारे में बात तक नहीं करती थीं। अगर कोई लड़की पूछती भी थी कि शादी के बाद क्या होता है, तो उसे चुप करा दिया जाता था। आज भी बहुत सारी महिलाओं को लगता है कि इंटिमेसी सिर्फ एक ड्यूटी है, कोई खुशी की चीज़ नहीं। और ये सोच कहाँ से आती है? हमारी परवरिश से, हमारे आसपास के माहौल से।"
उन्होंने कहा मेरी जिंदगी में भी कई ऐसे मौके आए, जब मुझे इन चीज़ों को समझने में वक्त लगा। मैंने कभी भी समाज के बनाए नियमों को आँख मूंदकर नहीं माना। जब मैंने मसाबा को जन्म देने का फैसला किया, बिना शादी के, तो लोगों ने मुझसे कहा- 'ये क्या कर रही हो? समाज क्या कहेगा?' लेकिन मेरे लिए मेरी खुशी और मेरे बच्चे की ज़िंदगी सबसे ऊपर थी। इंटिमेसी को लेकर भी मेरा यही मानना है- ये कोई बंधन नहीं, बल्कि एक रिश्ते का हिस्सा है, जिसमें दोनों की सहमति और खुशी होनी चाहिए।"मैंने देखा है कि बहुत सारी महिलाएँ इस बारे में बात करने से डरती हैं। उन्हें लगता है कि अगर वो अपनी इच्छाएँ ज़ाहिर करेंगी, तो लोग उन्हें जज करेंगे। लेकिन सच तो ये है कि जब तक आप खुलकर नहीं बोलेंगे, तब तक कुछ बदलेगा नहीं। उन्होंने कहा है मुझे आज भी याद है, जब मैंने अपनी बेटी मसाबा को बताया था कि जिंदगी में अपनी खुशी को प्राथमिकता देना कितना ज़रूरी है। और यही बात मैं आज आप सब से कहना चाहती हूँ।"
हमारे देश में महिलाओं को इंटिमेसी के बारे में कितना पता है? स्कूल में हमें बायोलॉजी पढ़ाई जाती है, लेकिन रिश्तों की बारीकियाँ कोई नहीं सिखाता। शादी के बाद भी कई महिलाएँ सिर्फ इसलिए चुप रहती हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि ये उनका फर्ज़ है। लेकिन क्या ये सही है? नहीं। हमें अपनी बॉडी को समझना होगा, अपनी ज़रूरतों को पहचानना होगा। और इसके लिए एजुकेशन चाहिए, खुली बातचीत चाहिए।"मैं ये नहीं कह रही कि आदमी गलत हैं। बात दोनों की समझ की है। अगर एक रिश्ते में इंटिमेसी को सिर्फ बच्चे पैदा करने का ज़रिया समझा जाएगा, तो उसमें प्यार कहाँ बचेगा? मुझे लगता है कि आज की जेनरेशन इस बारे में थोड़ा बेहतर सोच रही है, लेकिन अभी भी बहुत काम बाकी है।" तो आप क्या सोचते हैं? क्या इंटिमेसी सिर्फ 'आदमियों को खुश करने' और 'बच्चे पैदा करने' तक सीमित है? या इसमें कुछ और भी है? मैं चाहती हूँ कि आप इस बारे में सोचें, अपने दोस्तों से बात करें, अपनी बहनों से, अपनी माँ से। क्योंकि जब तक हम खुलकर बात नहीं करेंगे, तब तक ये सोच नहीं बदलेगी।"