Pakistan में बैन के बाद क्यों पसंद की जा रही है फिल्म “धुरंधर”?
Pakistan में बैन के बाद क्यों पसंद की जा रही है फिल्म “धुरंधर”?
जब पाकिस्तान सरकार ने फिल्म “धुरंधर” पर बैन लगाया, तब शायद किसी ने नहीं सोचा था कि इसका असर बिल्कुल उल्टा होगा। जिस फिल्म को दबाने की कोशिश की गई, वही फिल्म पाकिस्तान में चर्चा, जिज्ञासा और क्रेज का सबसे बड़ा कारण बन गई। बैन ने “धुरंधर” को रोकने के बजाय उसे और ज्यादा लोकप्रिय बना दिया।
बैन के बाद बढ़ी दिलचस्पी
फिल्म पर प्रतिबंध लगते ही पाकिस्तान के अंदर और बाहर रहने वाले लोगों की जिज्ञासा अचानक बढ़ गई। जो लोग पहले इस फिल्म के बारे में ज्यादा नहीं जानते थे, वही अब इंटरनेट पर इसे खोजने लगे। गूगल सर्च, सोशल मीडिया, वीपीएन और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर एक ही सवाल घूमने लगा – “धुरंधर फिल्म कहां देखें?”
बैन ने फिल्म को फ्लॉप नहीं, बल्कि “ब्लॉकबस्टर क्यूरियोसिटी” बना दिया।
विदेशों में रहने वाले पाकिस्तानियों का समर्थन
यूके, कनाडा, यूरोप और खाड़ी देशों में रहने वाले कई पाकिस्तानियों ने खुले तौर पर कहा कि उन्हें यह फिल्म पसंद आई। उनका कहना है कि “धुरंधर” सच्ची घटनाओं और तथ्यों पर आधारित है, और इसे सिर्फ “एंटी-पाकिस्तान” कहकर खारिज नहीं किया जा सकता।
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने अपील की कि फिल्म को खुले दिमाग से देखा जाना चाहिए। यह बात पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान के लिए और भी असहज स्थिति बन गई।
बिलावल भुट्टो के कार्यक्रम में बजा फिल्म का संगीत
सबसे चौंकाने वाला और चर्चा में आया पल तब देखने को मिला, जब पाकिस्तानी नेता बिलावल भुट्टो के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में एंट्री के दौरान धुरंधर का बैकग्राउंड म्यूजिक बजता सुनाई दिया। यह वीडियो इंटरनेट पर आते ही वायरल हो गया।
लोगों ने तंज कसते हुए कहा – “जो फिल्म बैन है, उसी का म्यूजिक सरकारी नेताओं के कार्यक्रमों में बज रहा है।” इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है?
सोशल मीडिया पर बना मज़ाक और बहस
पाकिस्तान के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर खुद यूजर्स सरकार के फैसले का मज़ाक उड़ाते नजर आए।
कुछ लोकप्रिय प्रतिक्रियाएं इस तरह की थीं:
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“अगर फिल्म इतनी ही गलत होती, तो इतनी लोकप्रिय क्यों होती?”
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“बैन लगाकर आपने खुद ही इसे सुपरहिट बना दिया।”
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“हमें क्या देखना है और क्या नहीं, यही बताने की कोशिश इस फिल्म को और आकर्षक बना रही है।”
युवाओं में खासा क्रेज
पाकिस्तान के युवाओं के बीच “धुरंधर” का क्रेज साफ दिखाई दे रहा है। फिल्म के डायलॉग्स, म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं। लोग सीधे तौर पर नहीं, लेकिन इशारों में फिल्म का समर्थन कर रहे हैं। यह साफ संकेत है कि आज के दौर में दर्शकों को पूरी तरह नियंत्रित करना आसान नहीं रहा।
अभिव्यक्ति बनाम नियंत्रण का प्रतीक
आज “धुरंधर” सिर्फ एक फिल्म नहीं रह गई है, बल्कि यह अभिव्यक्ति की आज़ादी बनाम नियंत्रण की बहस का प्रतीक बन चुकी है। कई पाकिस्तानी खुद कह रहे हैं – “बैन लगाने से सच नहीं बदलता।”
जिस फिल्म को दबाने के लिए बैन लगाया गया था, वही अब पाकिस्तान में सबसे ज्यादा चर्चित नाम बन चुकी है।
निष्कर्ष
आखिरकार यही समझ आता है कि जब जनता किसी चीज़ को देखना चाहती है, तो कोई भी प्रतिबंध उसे रोक नहीं सकता। “धुरंधर” का पाकिस्तान में बढ़ता क्रेज इस बात का सबसे बड़ा सबूत है। बैन ने फिल्म को खत्म नहीं किया, बल्कि उसे और ज्यादा ताकतवर और चर्चित बना दिया।
