क्या टिकटों की बढ़ती कीमतें हैं बॉलीवुड की गिरती लोकप्रियता की वजह? पंकज त्रिपाठी ने उठाई बड़ी बात

Pankaj Tripathi on movie ticket prices

 
Pankaj Tripathi on movie ticket prices

Rising cinema ticket prices in India

आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे मुद्दे की, जो हर हिंदी सिनेमा प्रेमी के दिल को छू रहा है। एक समय था जब बॉलीवुड फिल्में बड़े स्तर पर कमाई करती थीं, लेकिन अब हालत ये है कि हर दूसरी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर संघर्ष कर रही है।

इस मुद्दे पर अब आवाज उठाई है बेहतरीन अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने — जिन्हें हम सब ‘कालीन भैया’ के नाम से भी जानते हैं। हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने हिंदी फिल्मों के खराब प्रदर्शन की एक बड़ी वजह बताई:
🎟️ टिकटों की बढ़ती कीमतें।

🎯 क्या टिकट की कीमतें दर्शकों को थिएटर से दूर कर रही हैं?

पंकज त्रिपाठी ने साफ शब्दों में कहा कि

"टिकट की कीमतें अब इतनी अधिक हो चुकी हैं कि आम दर्शक थिएटर तक नहीं पहुंच पा रहा है।"

और बात सिर्फ कहने भर की नहीं है। अगर आप भी सिनेमा लवर हैं, तो आपने ये बदलाव जरूर महसूस किया होगा। कुछ साल पहले तक 100-150 रुपये में फिल्म देखना संभव था, लेकिन आज मेट्रो शहरों में एक टिकट की कीमत 300-600 रुपये तक पहुंच गई है। IMAX या प्रीमियम सीट्स की बात करें, तो ₹1000 भी कम पड़ सकते हैं।

अब सोचिए, एक मिडिल क्लास परिवार अगर फिल्म देखने जाए तो सिर्फ टिकट पर ही ₹1500-₹2000 खर्च हो सकते हैं — और इसमें खाने-पीने का खर्च शामिल नहीं है। क्या ये सबके बस की बात है?

📉 बॉलीवुड की गिरती कमाई और इसका कनेक्शन

कुछ आंकड़ों पर नज़र डालें तो 2010 में एक मल्टीप्लेक्स टिकट की औसत कीमत ₹150-200 थी। लेकिन 2025 में यह दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। इसका सीधा असर थिएटर की ऑडियंस पर पड़ा है। बहुत सी फिल्मों में अच्छा कंटेंट होने के बावजूद थिएटर खाली दिखाई देते हैं।

🎬 टिकटों की कीमतें ही नहीं, कंटेंट भी है एक बड़ी वजह

पंकज त्रिपाठी ने भले ही टिकट की कीमतों को एक अहम कारण बताया हो, लेकिन यह अकेली वजह नहीं है। बॉलीवुड में आज एक और गंभीर समस्या है — कंटेंट की कमी

दर्शकों की पसंद अब बदल चुकी है। उन्हें रिलेटेबल, दमदार और ओरिजिनल स्टोरीज़ चाहिए। पुराने मसाला फिल्मों का दौर खत्म हो चुका है। इसके उलट, साउथ इंडियन फिल्में जैसे KGF, RRR, Pushpa ने बड़े पैमाने पर दर्शकों को आकर्षित किया है — क्योंकि उनमें था स्केल, प्रजेंटेशन और इमोशन।

📱 OTT प्लेटफॉर्म्स का बढ़ता प्रभाव

दूसरी बड़ी वजह है OTT प्लेटफॉर्म्स का उभार।
Netflix, Amazon Prime, Hotstar जैसे ऐप्स पर ₹200-₹300 महीने में दर्जनों फिल्में और वेब सीरीज़ उपलब्ध हैं।
पंकज त्रिपाठी की ही वेब सीरीज Mirzapur और Criminal Justice को लोगों ने घर बैठे बिंज वॉच किया है।

ऐसे में, एक आम दर्शक थिएटर जाकर ₹500 खर्च करने की जगह OTT को प्राथमिकता दे रहा है।

💬 बदलती सोच, बदलती उम्मीदें

पंकज त्रिपाठी खुद कहते हैं कि आज की ऑडियंस समझदार हो चुकी है। वो सिर्फ बड़े नाम या स्टार पावर पर भरोसा नहीं करती। अगर फिल्म में जान नहीं है, तो लोग उसे रिजेक्ट कर देते हैं — चाहे उसमें कोई भी स्टार क्यों ना हो।

🌟 पंकज त्रिपाठी: कंटेंट के सच्चे प्रतिनिधि

पंकज त्रिपाठी ने अपने करियर में हर किरदार को जीवंत किया है — गैंग्स ऑफ वासेपुर के सुल्तान से लेकर मिमी के सपोर्टिंग रोल तक, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। उनकी आगामी फिल्में जैसे मैं अटल हूं और मेट्रो इन डिनो से भी दर्शकों को काफी उम्मीदें हैं।

उनकी राय में, सिनेमा को जनता के लिए सुलभ बनाना बेहद ज़रूरी है। और ये तभी मुमकिन है जब थिएटर मालिक और प्रोड्यूसर टिकट की कीमतों पर दोबारा विचार करें।

🛠️ समाधान क्या है?

इस समस्या का समाधान एकतरफा नहीं, बल्कि दोतरफा होना चाहिए:

  1. मल्टीप्लेक्स्स को टिकट के दाम घटाने चाहिए – जैसे वीकडेज पर ऑफर्स, स्टूडेंट डिस्काउंट्स और फैमिली पैकेज।

  2. फिल्ममेकर्स को ऐसा कंटेंट बनाना होगा जो दर्शकों को थिएटर तक खींच लाए – जैसा स्त्री या द केरल स्टोरी जैसी फिल्मों ने किया।

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