Paresh Rawal Says He Drank His Own Urine To Cure An Injury : करियर खत्म होने के डर से पिली पेशाब
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आज हम बात करेंगे एक ऐसे बॉलीवुड स्टार की, जिन्होंने अपने करियर के सबसे मुश्किल दौर में एक ऐसी सलाह मानी, जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया। जी हां, हम बात कर रहे हैं परेश रावल की - वो एक्टर जिन्होंने "हेरा फेरी" के बाबूराव गणपतराव आप्टे से लेकर "ओह माय गॉड" तक हमें हंसाया, रुलाया और सोचने पर मजबूर किया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक वक्त ऐसा था जब परेश रावल को लगा कि उनका करियर खत्म हो गया? और उस डर से उबरने के लिए उन्होंने जो किया, वो सुनकर आप दंग रह जाएंगे। तो चलिए, शुरू करते हैं इस दिलचस्प कहानी को!
परेश रावल - एक ऐसा नाम, जिसे आज हर कोई जानता है। 30 मई 1955 को मुंबई में जन्मे परेश ने अपने करियर की शुरुआत 1985 में फिल्म "अर्जुन" से की थी। लेकिन असली पहचान उन्हें 1986 की ब्लॉकबस्टर "नाम" से मिली, जहां उन्होंने एक खतरनाक विलेन का किरदार निभाया। 80 और 90 के दशक में परेश ने "राम लखन", "कब्ज़ा", "शिवा", और "मोहरा" जैसी फिल्मों में विलेन के रोल किए। उनकी एक्टिंग इतनी दमदार थी कि लोग उन्हें सिर्फ विलेन के तौर पर ही देखने लगे। लेकिन 1994 में आई फिल्म "अंदाज़ अपना अपना" में उनके डबल रोल ने दिखाया कि वो कॉमेडी में भी उतने ही माहिर हैं। फिर 2000 में "हेरा फेरी" ने उन्हें बाबूराव के किरदार से घर-घर में मशहूर कर दिया। लेकिन , ये शोहरत आसानी से नहीं मिली। परेश ने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे। और एक ऐसा वक्त भी आया जब उन्हें लगा कि उनका करियर खत्म हो गया। आइए जानते हैं उस वक्त की कहानी, जब एक हादसे ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया।
बात है 1996 की, जब परेश रावल राजकुमार संतोषी की फिल्म "घाटक: लेथल" की शूटिंग कर रहे थे। इस फिल्म में एक सीन था, जिसमें उनके को-एक्टर राकेश पांडे को उन्हें मछली बाजार में घसीटना था। शूटिंग के लिए परेश को नए चप्पल दिए गए थे, जो बहुत फिसलन भरे थे। रिहर्सल के दौरान सब ठीक था, लेकिन असल शॉट के वक्त राकेश ने पूरी ताकत लगा दी। परेश का बैलेंस बिगड़ा, और उनके घुटने में गंभीर चोट लग गई।
उस वक्त परेश को लगा कि उनका करियर खत्म हो गया। वो बताते हैं कि वो इतने डर गए थे कि उन्हें लग रहा था कि अब वो कभी एक्टिंग नहीं कर पाएंगे। उनके साथी एक्टर्स टीनू आनंद और डैनी डेन्जोंगपा उन्हें तुरंत मुंबई के नानावटी हॉस्पिटल ले गए। डॉक्टर्स ने बताया कि चोट गंभीर है, और रिकवरी में 2 से 2.5 महीने लग सकते हैं। परेश के लिए ये खबर किसी बुरे सपने से कम नहीं थी। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। हॉस्पिटल में उनके पास एक शख्स आए, जिन्होंने उनकी जिंदगी बदल दी। और वो शख्स थे मशहूर एक्शन डायरेक्टर और अजय देवगन के पिता - वीरू देवगन।
परेश रावल ने हाल ही में "द लल्लनटॉप" को दिए एक इंटरव्यू में इस किस्से का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि जब वो हॉस्पिटल में थे, तब वीरू देवगन उनसे मिलने आए। परेश ने उन्हें अपनी चोट के बारे में बताया, तो वीरू ने एक ऐसी सलाह दी, जिसे सुनकर परेश भी हैरान रह गए। वीरू ने कहा, "सुबह उठकर अपना पहला पेशाब पी लो। सारे फाइटर्स ऐसा करते हैं। इससे तुम्हारी चोट जल्दी ठीक हो जाएगी। लेकिन ध्यान रखना, रात को शराब, मटन, या तंबाकू नहीं लेना। सादा खाना खाना।" परेश ने बताया कि पहले तो उन्हें ये सलाह अजीब लगी। लेकिन करियर खत्म होने के डर और जल्दी ठीक होने की चाह ने उन्हें ये आजमाने के लिए मजबूर कर दिया। और यहीं से शुरू हुआ उनका वो अनुभव, जिसे सुनकर आज हर कोई हैरान है। परेश ने फैसला किया कि अगर करना है, तो ठीक से करेंगे। उन्होंने कहा, "मैंने सोचा, अगर पेशाब पीना है, तो इसे यूँ ही नहीं गटकूंगा। मैं इसे बीयर की तरह धीरे-धीरे चखकर पियूंगा।"
परेश ने अगले 15 दिन तक वीरू देवगन की सलाह को पूरी तरह फॉलो किया। हर सुबह वो अपना पहला पेशाब "बीयर की तरह" पीते। साथ ही, उन्होंने शराब, मटन, और तंबाकू से पूरी तरह दूरी बनाई। 15 दिन बाद जब उनका एक्स-रे हुआ, तो डॉक्टर्स हैरान रह गए। उनके घुटने की चोट में एक सफेद लाइन दिख रही थी, जो ठीक होने का संकेत था। डॉक्टर्स ने पूछा, "ये सीमेंटिंग अपने आप कैसे हो गई?"परेश के मुताबिक, उनकी चोट, जिसे ठीक होने में 2-2.5 महीने लगने थे, सिर्फ डेढ़ महीने में ठीक हो गई। वो इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मानते। लेकिन इस बात को उन्होंने अपने परिवार तक को नहीं बताया, क्योंकि उन्हें डर था कि लोग क्या सोचेंगे। परेश की ये कहानी जब "द लल्लनटॉप" के इंटरव्यू में सामने आई, तो सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया। कुछ लोग इसे मजाक में ले रहे थे, तो कुछ इसे अवैज्ञानिक बता रहे थे। लेकिन इस कहानी ने एक बार फिर परेश रावल को सुर्खियों में ला दिया।