क्या वेब सीरीज में ज़रूरत से ज़्यादा बोल्ड कंटेंट हो रहा है? परेश रावल ने उठाए गंभीर सवाल

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता परेश रावल ने वेब सीरीज के कंटेंट पर एक बार फिर तीखा सवाल उठाया है! उनका कहना है कि आजकल की वेब सीरीज में इंटीमेट सीन्स और गालियों का बेवजह इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन क्या है उनका पूरा बयान? और क्यों हो रही है इसकी चर्चा? आइए, इस मुद्दे को गहराई से समझते हैं
हाल ही में एक इंटरव्यू में परेश रावल ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर दिखाए जाने वाले कंटेंट को लेकर अपनी बेबाक राय रखी। उन्होंने कहा, ‘समाज में हर चीज दिखाने लायक नहीं होती। कुछ चीजें आप संकेतों में या छोटे रूप में भी दिखा सकते हैं। इंटीमेट सीन्स और गालियां डालना सिर्फ सस्ता हथकंडा है ताकि दर्शकों का ध्यान खींचा जाए।’"
इंटीमेट सीन्स और गालियां बेकार हैं। ये सिर्फ शॉक वैल्यू के लिए डाले जाते हैं।
"परेश रावल का ये बयान सोशल मीडिया पर तुरंत वायरल हो गया। उन्होंने ये भी कहा कि कंटेंट को विचारशील और सार्थक होना चाहिए, न कि सिर्फ सनसनी फैलाने के लिए बनाया जाना चाहिए।"
"परेश रावल, जिन्हें हम उनके शानदार अभिनय और सोच-समझकर चुने गए किरदारों के लिए जानते हैं, उन्होंने ये सवाल उठाकर एक बार फिर साबित किया कि वो न सिर्फ एक बेहतरीन अभिनेता हैं, बल्कि समाज के प्रति उनकी सोच भी गहरी है।
"पिछले कुछ सालों में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने भारतीय दर्शकों के बीच तहलका मचा दिया है। मिर्जापुर, सेक्रेड गेम्स जैसी सीरीज ने जहां दमदार कहानियों से दर्शकों का दिल जीता, वहीं इनमें दिखाए गए इंटीमेट सीन्स, हिंसा और गालियों ने भी खूब सुर्खियां बटोरीं। लेकिन सवाल ये है – क्या ये सीन कहानी के लिए जरूरी हैं, या सिर्फ सनसनी फैलाने का जरिया हैं? भारत में 50 करोड़ से भी ज्यादा लोग ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हैं।
परेश रावल का ये बयान उस समय आया है, जब ओटीटी कंटेंट को लेकर बहस तेज हो रही है। कुछ लोग मानते हैं कि ओटीटी ने creative आजादी दी है, लेकिन दूसरों का कहना है कि ये आजादी अब बेलगाम हो रही है। कई पॉलिटिकल पार्टियां और संगठन ओटीटी कंटेंट को ‘संस्कारी’ बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन परेश रावल का कहना है कि बात सिर्फ सेंसरशिप की नहीं, बल्कि कहानी significance की है।
परेश रावल के इस बयान ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी। कुछ यूजर्स ने उनकी बात का समर्थन किया और कहा कि वेब सीरीज में बेवजह के इंटीमेट सीन्स की जरूरत नहीं। users कह रहे है की ‘परेश जी ने बिल्कुल सही कहा, कहानी में दम होना चाहिए, सस्ते हथकंडों में नहीं।’ “परेश रावल ने सच बोला! ओटीटी पर अब कुछ भी दिखाया जा रहा है।” -
"इंडस्ट्री के कुछ लोग मानते हैं कि इंटीमेट सीन्स कहानी का हिस्सा होते हैं और इन्हें हटाने से कहानी अधूरी रह सकती है। लेकिन परेश रावल का कहना है कि संकेतों और सूझबूझ से भी कहानी को प्रभावी ढंग से दिखाया जा सकता है।
"परेश रावल का ये बयान सिर्फ वेब सीरीज तक सीमित नहीं है। ये एक बड़े सवाल को जन्म देता है – क्या हमारा कंटेंट समाज के लिए प्रेरणादायक होना चाहिए, या सिर्फ मनोरंजन तक सीमित रहना चाहिए? भारत जैसे देश में, जहां संस्कृति और परंपराएं गहरी जड़ें रखती हैं, ओटीटी कंटेंट का असर समाज पर पड़ता है।
"90 के दशक में टीवी पर हम लोग बुनियाद जैसे शो परिवार के साथ देखते थे। लेकिन आज की वेब सीरीज में बोल्ड कंटेंट के चलते कई बार परिवार के साथ बैठकर देखना मुश्किल हो जाता है। क्या परेश रावल का बयान इस बदलाव की ओर इशारा करता है ?
"परेश रावल का ये बयान न सिर्फ ओटीटी इंडस्ट्री के लिए एक wake-up call है, बल्कि दर्शकों के लिए भी एक सवाल छोड़ता है – हम किस तरह का कंटेंट देखना चाहते हैं? क्या हमें सनसनी चाहिए, ? इस बहस में आपका क्या मानना है? कमेंट में अपनी राय जरूर बताएं!