पूनम ढिल्लों: खूबसूरती, प्रतिभा और आत्मविश्वास की मिसाल
बॉलीवुड में कुछ चेहरे ऐसे होते हैं जो सिर्फ स्क्रीन पर ही नहीं, दर्शकों के दिलों पर भी राज करते हैं। पूनम ढिल्लों उन्हीं में से एक हैं — एक ऐसी अभिनेत्री जिन्होंने न केवल ग्लैमर की दुनिया में सफलता पाई, बल्कि जीवन के हर मोड़ पर मजबूती से खड़ी रहीं। आज हम जानेंगे उनकी जिंदगी से जुड़े अनसुने पहलू — बचपन, शिक्षा, करियर, निजी जीवन और उनकी सामाजिक भूमिका।
शुरुआत एक साधारण परिवार से
18 अप्रैल 1962 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मी पूनम ढिल्लों का परिवार मूलतः बिहार से ताल्लुक रखता है। उनके पिता अमरीक सिंह, भारतीय वायुसेना में एक एयरक्राफ्ट इंजीनियर थे और मां गुरचरण कौर एक शिक्षिका थीं। पूनम के दो भाई-बहन हैं — बहन डॉ. रिश्मा ढिल्लों-पाई एक प्रख्यात स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, और भाई डॉ. बलजिंदर सिंह बाल रोग विशेषज्ञ हैं।
पूनम का बचपन उनके पिता की पोस्टिंग के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में बीता। शिक्षा की शुरुआत चंडीगढ़ के कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल से हुई, जहाँ वे एक मेधावी छात्रा थीं। खेलों में भी उनकी रुचि थी — बास्केटबॉल, तैराकी और स्केटिंग उनकी पसंदीदा गतिविधियाँ थीं। वे अपने स्कूल की स्पोर्ट्स कैप्टन भी थीं।
खूबसूरती का ताज और बॉलीवुड में पहला कदम
16 वर्ष की उम्र में पूनम ने 1977 में फेमिना मिस इंडिया और 1978 में मिस यंग इंडिया का खिताब जीतकर पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया। उनकी सुंदरता और आत्मविश्वास ने उन्हें नया मुकाम दिया। यश चोपड़ा जैसे दिग्गज डायरेक्टर ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और 1978 की फिल्म ‘त्रिशूल’ में उन्हें एक यादगार रोल दिया। फिल्म में उनका गाना "गपूची गपूची गम गम" खूब लोकप्रिय हुआ। इसके अगले ही साल यश चोपड़ा ने उन्हें ‘नूरी’ (1979) में मुख्य भूमिका सौंपी। यह फिल्म जबरदस्त हिट रही और पूनम को फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस नॉमिनेशन भी मिला।
बॉलीवुड करियर की बुलंदियाँ
‘नूरी’ की सफलता के बाद पूनम ढिल्लों ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1980 और 90 के दशक में उन्होंने लगभग 90 हिंदी फिल्मों में काम किया। कुछ प्रमुख फिल्में:
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रेड रोज़ (1980)
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दर्द (1981)
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बसेरा (1981)
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कयामत (1983)
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तेरी मेहरबानियाँ (1985)
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कर्मा (1986)
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नाम (1986)
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मालामाल (1988)
उन्होंने राजेश खन्ना के साथ कई फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें दर्द, निशान, आवाम और ज़माना प्रमुख रहीं। इनकी जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया।
हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं में भी सक्रिय
पूनम ने खुद को सिर्फ हिंदी फिल्मों तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने:
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बंगाली फिल्म ‘न्याय दंड’,
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कन्नड़ फिल्म ‘युद्ध कांड’,
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तेलुगु फिल्म ‘इश्तम’
में भी अभिनय किया।
थिएटर की दुनिया में भी उन्होंने सराहनीय काम किया। उनका नाटक ‘द परफेक्ट हसबैंड’ बेहद सफल रहा और बेस्ट कॉमेडी प्ले का पुरस्कार जीत चुका है। आज भी वह ‘द परफेक्ट वाइफ’ और ‘प्यार में कभी-कभी’ जैसे मंचीय नाटकों में सक्रिय हैं।
निजी जीवन: प्रेम, विवाह और अकेलेपन का सफर
पूनम की मुलाकात प्रोड्यूसर अशोक ठकेरिया से एक होली पार्टी में हुई, जहां पहली नजर में प्यार हुआ। 1988 में दोनों ने शादी की और दो बच्चों — अनमोल और पालोमा के माता-पिता बने।
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अनमोल ने 2021 में ‘ट्यूसडे एंड फ्राइडे’ से डेब्यू किया।
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पालोमा ने 2023 में ‘डोनो’ से अभिनय करियर की शुरुआत की।
हालांकि, शादी ज्यादा समय नहीं चल सकी और 1997 में उनका तलाक हो गया। तलाक के बाद पूनम ने दोबारा विवाह नहीं किया और एक सिंगल मदर के रूप में बच्चों की परवरिश की। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में उनके अफेयर की चर्चा भी हुई, लेकिन पूनम ने निजी जीवन को हमेशा मर्यादित और गरिमामय रखा।
बिजनेसवुमन और सामाजिक कार्यकर्ता
पूनम ने 1991 में मेकअप वैन सेवा ‘Vanity’ की शुरुआत की, जो आज भी बॉलीवुड की सबसे भरोसेमंद कंपनियों में गिनी जाती है। इसके बाद उन्होंने 2014 में Poetic Justice Films & Entertainment Pvt. Ltd. नामक प्रोडक्शन और इवेंट कंपनी की स्थापना की।
सामाजिक मोर्चे पर भी पूनम काफी सक्रिय रही हैं — ड्रग अवेयरनेस, एड्स जागरूकता, फैमिली प्लानिंग और ऑर्गन डोनेशन जैसे गंभीर विषयों पर काम कर रही हैं।
राजनीति और टीवी में योगदान
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2004 में कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत की।
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2019 में भाजपा में शामिल होकर मुंबई यूनिट की वाइस प्रेसिडेंट बनीं।
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2009 में बिग बॉस सीजन 3 में हिस्सा लिया और सेकेंड रनर-अप रहीं।
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2017 में सेंसर बोर्ड अपीलेट ट्रिब्यूनल की सदस्य भी बनीं।
