"काश मैं भी इनसाइडर होती" – ‘पंचायत’ की रिंकी उर्फ सानविका का छलका दर्द, कहा- "सम्मान के लिए अब भी लड़ना पड़ता है"

Sanvikaa insider comment

 
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Sanvikaa on industry struggles

'पंचायत' वेब सीरीज़ में रिंकी का किरदार निभाकर घर-घर में अपनी मासूमियत और सादगी से पहचान बनाने वाली सानविका (असली नाम पूजा सिंह) ने हाल ही में एक ऐसा इमोशनल पोस्ट शेयर किया, जिसने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। उन्होंने लिखा,

"काश मैं इनसाइडर होती, या किसी पावरफुल बैकग्राउंड से होती, तो शायद चीजें आसान होतीं। कम से कम सम्मान तो मिलता। डटे रहो।"

 कौन हैं सानविका?

सानविका मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली हैं और उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। लेकिन उनका सपना था एक्टिंग की दुनिया में नाम कमाना। अपने इस सपने को सच करने के लिए उन्होंने हिम्मत दिखाई और अपने पैरेंट्स से झूठ बोलकर कि वह बेंगलुरु में नौकरी कर रही हैं, सीधे मुंबई पहुंच गईं। वहां से उनकी एक्टिंग की जर्नी शुरू हुई।

पंचायत’ से मिली पहचान, लेकिन आसान नहीं था सफर

सानविका ने शुरू में छोटे-छोटे रोल्स और कॉस्ट्यूम असिस्टेंट के तौर पर काम किया। लेकिन उन्हें असली पहचान मिली अमेजन प्राइम की वेब सीरीज 'पंचायत' से, जिसमें उन्होंने सचिव जी (जितेंद्र कुमार) की लव इंटरेस्ट 'रिंकी' का किरदार निभाया।
सीजन 2 और अब हाल ही में रिलीज़ हुए सीजन 4 में उनकी एक्टिंग और केमिस्ट्री को दर्शकों ने खूब पसंद किया।

 लेकिन फिर भी क्यों छलका दर्द?

21 जून 2025 को इंस्टाग्राम स्टोरी पर शेयर किया गया सानविका का पोस्ट बताता है कि इंडस्ट्री में पहचान मिलने के बावजूद उन्हें बराबरी और सम्मान नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा कि ये पोस्ट किसी खास घटना से जुड़ा है और उन्होंने किसी का नाम लिए बिना यह बताया कि एक आउटसाइडर को खुद को बार-बार साबित करना पड़ता है।

इनसाइडर बनाम आउटसाइडर की पुरानी बहस फिर ज़िंदा

सानविका का यह बयान हमें उस बहस की याद दिलाता है जो सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद चर्चा में आई थी — बॉलीवुड में नेपोटिज़्म (भाई-भतीजावाद) और इनसाइडर-आउटसाइडर की बहस।
कार्तिक आर्यन, तापसी पन्नू जैसे कई कलाकारों ने भी यह बात कही थी कि बिना किसी फिल्मी बैकग्राउंड के इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाना बेहद कठिन है।

 OTT प्लेटफॉर्म्स ने बदली तस्वीर… लेकिन काफी कुछ बाकी है

ओटीटी प्लेटफॉर्म्स जैसे कि अमेजन प्राइम, नेटफ्लिक्स आदि ने नए कलाकारों को पहचान दी है। 'पंचायत' जैसी सीरीज इस बदलाव की मिसाल हैं, लेकिन सानविका का दर्द ये दिखाता है कि अब भी आउटसाइडर्स को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया गया है।

 "डटे रहो" – एक आउटसाइडर का मैसेज

सानविका की आखिरी पंक्ति "डटे रहो" केवल एक लाइन नहीं, बल्कि हर उस संघर्षरत व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है जो बिना किसी सहारे अपने दम पर सपने पूरे करना चाहता है।
वह कहती हैं,

"पंचायत ने मुझे सब कुछ दिया, लेकिन सम्मान और बराबरी के लिए मुझे अभी भी लड़ना पड़ता है।"

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