नेपोटिज्म पर अर्चना पूरन सिंह और अजय देवगन की राय: क्या वाकई स्टार किड्स को फायदा मिलता है?

 
 Tanushree Dutta vs Nana Patekar Controversy

आज हम बात करने जा रहे हैं बॉलीवुड के सबसे हॉट टॉपिक - नेपोटिज्म की! हाल ही में अर्चना पूरन सिंह ने अपने यूट्यूब व्लॉग में नेपोटिज्म को सपोर्ट किया, और अजय देवगन ने भी उनकी बात से सहमति जताई। अजय ने कहा, "पहले दिन ही कोई स्टार नहीं बन जाता।" आखिर क्या है इस बयान के पीछे की सच्चाई? चलिए, इस टॉपिक को डीप डाइव करते हैं और जानते हैं कि बॉलीवुड में नेपोटिज्म का ये मुद्दा इतना चर्चा में क्यों है! 

तो  बात शुरू होती है अर्चना पूरन सिंह के यूट्यूब व्लॉग से। अर्चना, जिन्हें हम सभी 'द कपिल शर्मा शो' की हंसमुख जज और 'कुछ कुछ होता है' की मिस ब्रिगेंजा के रूप में जानते हैं, उन्होंने  हाल ही में अपने चैनल 'आप का परिवार' पर नेपोटिज्म को लेकर खुलकर बात की।  

उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में स्टार किड्स को Priority मिलती है क्योंकि उनके माता-पिता पहले से इंडस्ट्री में हैं। इसका मतलब है कि स्टार किड्स को बचपन से ही प्रोफेशनलिज्म, वर्क एथिक्स, और इंडस्ट्री की बारीकियां सिखाई जाती हैं। अर्चना का तर्क था कि ये बच्चे पहले से तैयार होते हैं, जिससे प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टर्स को उन पर भरोसा होता है।  

लेकिन रुकिए! अर्चना ने ये भी बताया कि उनके अपने बेटे, आर्यमन सेठी, को नेपोटिज्म का फायदा नहीं मिला। बल्कि, आर्यमन ने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्हें 100 ऑडिशन्स देने के बाद भी कोई बड़ा रोल नहीं मिला। अर्चना ने मस्ती भरे अंदाज में जवाब दिया, "ऐसा नहीं है कि मैं तुम्हारी मां हूं इसलिए काम नहीं मिल रहा, शायद तुम कुछ गलत कर रहे हो!"  

अब बात करते हैं बॉलीवुड के सिंघम, अजय देवगन की। अजय हाल ही में अपनी फिल्म 'सन ऑफ सरदार 2' के प्रमोशन के लिए अर्चना के व्लॉग में नजर आए। इस दौरान उन्होंने नेपोटिज्म पर अर्चना की बात से सहमति जताई और एक गहरी बात कही: "पहले दिन कोई स्टार नहीं बन जाता। पहले आपको एक्टर बनना पड़ता है।"  

अजय का कहना था कि जो लोग गैर-फिल्मी बैकग्राउंड से आते हैं, उनमें से कई बार कुछ लोग गलतफहमी में रहते हैं। वो समझते हैं कि वे सीधे स्टार बन जाएंगे, लेकिन असल में मेहनत और टैलेंट ही आपको इंडस्ट्री में टिकने में मदद करता है। अजय ने ये भी बताया कि उनके पिता, famous  स्टंट कोरियोग्राफर वीरू देवगन, ने उन्हें इंडस्ट्री की टेक्निकल और प्रोफेशनल बातें सिखाईं, जिसका फायदा उन्हें मिला।  

लेकिन  अजय ने ये भी कहा कि समझदार लोग हर बैकग्राउंड से होते हैं। फिल्मी परिवार से ना होने का मतलब ये नहीं कि आप टैलेंटेड नहीं हो सकते। बस, आपको सही direction  और मेहनत की जरूरत है। 

अब सवाल ये है - क्या नेपोटिज्म हमेशा गलत है? या इसमें कुछ positive साइड्स भी हैं? अर्चना और अजय का तर्क साफ है: फिल्मी परिवार के बच्चे पहले से ट्रेंड होते हैं, जिससे प्रोड्यूसर्स का रिस्क कम होता है। लेकिन दूसरी तरफ, कंगना रनौत जैसे सितारों Hawkins ने नेपोटिज्म का मुद्दा सबसे पहले उठाया था, और उनके बाद से ये टॉपिक हर बार सुर्खियों में रहा।  

लेकिन गैर-फिल्मी बैकग्राउंड वाले एक्टर्स का क्या? कई बार उन्हें ऑडिशन्स में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, और मौके कम मिलते हैं। फिर भी, शाहरुख खान, अक्षय कुमार जैसे सितारे इसका जीता-जागता सबूत हैं कि टैलेंट और मेहनत के दम पर आप टॉप तक पहुंच सकते हैं। 

नेपोटिज्म का मुद्दा सोशल मीडिया पर हमेशा गर्म रहता है। कुछ लोग इसे इंडस्ट्री की सच्चाई मानते हैं, तो कुछ इसे अनफेयर कहते हैं। हाल ही में X पर लोगों ने अजय और अर्चना के बयान पर मिली-जुली फीडबैक दिए । कुछ ने अजय की बात को सही ठहराया कि मेहनत जरूरी है, तो कुछ ने कहा कि स्टार किड्स को आसानी से मौके मिलते हैं, जो गलत है।  सच्चाई ये है कि बॉलीवुड में नेपोटिज्म और टैलेंट का बैलेंस हमेशा डिबेट का मुद्दा रहेगा। लेकिन अजय और अर्चना की बात से एक बात तो साफ है - स्टार बनने के लिए एक्टर बनना जरूरी है, और इसके लिए मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं है।  

तो ये थी अर्चना पूरन सिंह और अजय देवगन की नेपोटिज्म पर राय। क्या आप उनकी बात से सहमत हैं? या आपको लगता है कि बॉलीवुड में गैर-फिल्मी बैकग्राउंड वालों को ज्यादा स्ट्रगल करना पड़ता है? नीचे कमेंट में अपनी राय जरूर शेयर करें! 

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