Hindi films based on reincarnation: पुनर्जन्म पर आधारित हिंदी फिल्में , अभी भी जारी है सिलसिला
भारत में जन्म और पुनर्जन्म को कौन सी फिल्म दिखाती है?
हिंदी फिल्में जब बनना शुरू हुईं, तभी से कुछ हिं सब्जेक्ट्स और थीम पर बनी फिल्में ज्याद पसंद की जाती रही हैं। शुरुआती दौर में धार्मिक फिल्में बनीं, इसके बाद देश के विभाजन की त्रासदी को फिल्माया गया। फिर आया सामाजिक भेदभाव और अमीरी- गरीबी की खाई से जुड़ी कहानियों का दौर । जब सिनेमा को मनोरंजन की तरह देखा जाने लगा तो प्रेम और बदले की कहानियों को फिल्माया जाने लगा। इसी के साथ शुरू हुआ पुनर्जन्म की कहानियों का दौर।
हिट रहा है यह फार्मूला
पुनर्जन्म की कहानी ऐसा फिल्मी फार्मूला है, जिसे अपने दौर के परिवेश के मुताबिक ढाला गया। यही कारण है कि बॉलीवुड में पुनर्जन्म पर बेस्ड कॉन्सेप्ट काफी हिट रहा है। ब्लैक एंड व्हाइट से लेकर आज मल्टीप्लेक्स के जमाने तक इस फॉर्मूले का फिल्मों में कई-कई बार इस्तेमाल होता रहा है और सफल भी हुआ है। एक जन्म से दूसरे जन्म तक फैली प्रेम कहानियों से लेकर बदला लेने और डरावनी फिल्मों तक पुनर्जन्म वाली कहानियों पर फिल्में बनती रहीं और पसंद की जाती रही हैं। एक जन्म में बिछुड़े हुए दो प्रेमियों की अधूरी प्रेम कहानी, दूसरे जन्म में पूरी होती है। इसके अलावा बदले की आग में जलते दो परिवारों का बदला, दूसरे जन्म में पूरा होता है। सात जन्मों के बंधन और कर्मफल जैसी बातों पर किसी को भरोसा हो या नहीं। लेकिन पुनर्जन्म पर आधारित बॉलीवुड की ये फिल्में दर्शकों को यह यकीन जरूर दिला देती हैं कि अधूरी इच्छा पूरी करने के लिए पुनर्जन्म होता जरूर है।
ब्लैक एंड व्हाइट के दौर में हिट फिल्में
हिंदी फिल्मों के इतिहास को खंगाला जाए, तो ब्लैक एंड व्हाइट के समय में पुनर्जन्म पर पहली बार बिमल रॉय ने 'मधुमति' और बाद में 'यहूदी' फिल्म बनाई थी। 1958 में बनी 'मधुमति' को तो इस तरह की कहानियों पर बनी श्रेष्ठ फिल्म माना जाता है। दिलीप कुमार और वैजयंती माला के किरदारों को अलग- अलग समय काल में गढ़ा गया था। 1968 में परदे पर आई सुनील दत्त, साधना और राजकुमार की फिल्म 'नील कमल' भी पिछले जन्म की कहानी पर आधारित थी। इसमें राजकुमार को आत्मा की तरह प्रस्तुत किया गया था, जो अपनी महबूबा को गाना गाकर पुकारता है और वो (साधना) सब कुछ भूलकर खिंची चली आती है। कमाल अमरोही की 'महल' में भी जायदाद हड़पने के लिए पुनर्जन्म की कहानी गढ़ी गई थी। सुनील दत्त और नूतन की फिल्म 'मिलन' भी पुनर्जन्म की प्रेमकथा है।
हिट होती रही हैं ये फिल्में
पुनर्जन्म की थीम पर चेतन आनंद ने राजेश खन्ना, हेमा मालिनी और विनोद खन्ना को लेकर 'कुदरत' बनाई थी। सत्तर के दशक के सुपरहिट हीरो राजेश खन्ना की 1976 में आई फिल्म मेहबूबा की कहानी भी एक जन्म से दूसरे जन्म तक फैली थी। 1980 में रिलीज हुई सुभाष घई की फिल्म 'कर्ज' का आधार भी यही विषय था। यह फिल्म भी प्रेम और हत्या पर आधारित थी।
दर्शकों को भाती हैं ऐसी फिल्में
सलमान खान जैसे बड़े सितारे ने भी 1992 में दो जन्मों की कहानी 'सूर्यवंशी' में अदाकारी की थी। फिल्म में सलमान खान का पुनर्जन्म होता है। शाहरुख खान और सलमान खान की जोड़ी वाली फिल्म 'करण अर्जुन' 1995 की सुपरहिट फिल्म रही थी। ये दो भाइयों करण और अर्जुन के पुनर्जन्म पर बनी बदले की कहानी थी, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद भी किया। इसी साल आई संजय कपूर और तब्बू की फिल्म 'प्रेम' में भी दो जन्मों का बंधन दिखाया गया था। 2002 की फिल्म 'अब के बरस' भी हिट थी, जो पुनर्जन्म पर आधारित थी। इसमें आर्या बब्बर और अमृता राव मुख्य भूमिका में थे, जबकि 2007 में रिलीज हुई 'ओम शांति ओम' दीपिका पादुकोण के करियर की पहली फिल्म भी पुनर्जन्म की कहानी पर बनी थी, जिसमें शाहरुख खान मुख्य भूमिका में थे। यह फिल्म भी हिट रही थी, जिससे दीपिका के करियर को एक दिशा मिली।
अभी भी जारी है सिलसिला
पिछली सदी ही नहीं इस सदी में भी पुनर्जन्म की थीम पर आधारित फिल्म बनाने का सिलसिला थमा नहीं है। 2012 में आई करिश्मा कपूर की कमबैक फिल्म 'डेंजरस इश्क' की कहानी भी दो जन्मों से जुड़ी थी, जिसे विक्रम भट्ट ने निर्देशित किया। 2015 में आई फिल्म 'एक पहेली लीला' भी पिछले जन्म पर आधारित थी। हाल के वर्षों में 2017 में आई सुशांत सिंह राजपूत और कृति सेनन की 'राब्ता' भी पुनर्जन्म की कहानी थी। हालांकि दिनेश विजन की यह फिल्म अपने कमजोर कथानक के कारण मात खा गई। दरअसल, आज के दर्शक पुनर्जन्म की थीम तो पसंद करते हैं लेकिन मनगढ़ंत कहानी को स्वीकार नहीं कर पाते हैं।
