अस्पतालों में टीकों की कमी से बढ़ा कोविड, बिहार में एच3एन2 का भी खतरा

पटना, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार में शनिवार को कोरोनावायरस के सक्रिय मामलों की संख्या 76 तक पहुंचने के साथ ही कोविड-19 के बढ़ते मामले भयावह होते जा रहे हैं।
अस्पतालों में टीकों की कमी से बढ़ा कोविड, बिहार में एच3एन2 का भी खतरा
पटना, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार में शनिवार को कोरोनावायरस के सक्रिय मामलों की संख्या 76 तक पहुंचने के साथ ही कोविड-19 के बढ़ते मामले भयावह होते जा रहे हैं।

अधिकारियों ने पिछले 24 घंटों में 20 नए मामले दर्ज किए हैं। अस्पतालों में एच3एन2 इन्फ्लुएंजा वायरस के खतरे के अलावा कोरोना के दुष्प्रभाव भी दिखाई दे रहे हैं।

गया जिले में शुक्रवार को बिहार में इस साल कोविड संक्रमण से पहली मौत दर्ज की गई। 70 वर्षीय मरीज को सांस लेने में तकलीफ थी, जिसे अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल अस्पताल में तीन दिन पहले भर्ती कराया गया था, शुक्रवार की रात उसकी मौत हो गई। बिहार में ज्यादातर मामलों में सांस लेने में तकलीफ के लक्षण सामने आ रहे हैं।

पटना के न्यू गार्डेनर रोड सरकारी अस्पताल के अधीक्षक डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने कहा, कोरोना के पहले चरण के बाद हमने सांस लेने में तकलीफ, हृदय की समस्या, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अवसाद, अनिद्रा, त्वचा रोग, खुजली, आंखों की रोशनी कम होने जैसी कई बीमारियां देखी हैं। हर उम्र के लोग इस तरह की बीमारियों से पीड़ित हैं।

सिन्हा ने कहा, कोविड के दौरान देश में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर लोगों की निर्भरता बढ़ी है। उन्होंने मोबाइल फोन का अत्यधिक इस्तेमाल किया है, जिससे उनकी आंखों की रोशनी कमजोर हो गई है। बड़ी संख्या में लोगों ने स्टेरॉयड वाली दवाओं का भी इस्तेमाल किया, जो स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं पैदा कर रही हैं।

उन्होंने कहा, लोगों को कुछ शारीरिक व्यायाम करने की जरूरत है, कम से कम आधे घंटे तक टहलना, लोगों से बातचीत करना और अपने आसपास एक स्वस्थ वातावरण बनाना।

बिहार का स्वास्थ्य विभाग भी टीकों की कमी से जूझ रहा है। इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी माना है। उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार बिहार को कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति करे।

कुमार ने शुक्रवार को कहा, बिहार के अस्पतालों में पिछले एक सप्ताह से टीके खत्म हो गए हैं। केंद्र को बिहार को जल्द से जल्द टीके उपलब्ध कराने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, हर दिन कोरोना की जांच चल रही है। देश में हर 10 लाख की आबादी पर औसत टेस्टिंग 6 लाख है लेकिन बिहार में औसत टेस्टिंग 8 लाख है, जब बिहार में कोरोना के केस नहीं थे तब हमने टेस्टिंग बंद नहीं की। अब मामले बढ़ रहे हैं तो स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में है।

एक अधिकारी के मुताबिक, संक्रमण की तीव्रता कम होने के बाद बिहार के लोग रिलैक्स मोड में हैं। बड़ी संख्या में लोगों ने पहली, दूसरी या बूस्टर खुराक नहीं ली है। नतीजतन, इस साल मार्च में 15,000 टीके एक्सपायर कर गए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार, टीकों में मरीजों में संक्रमण की गति को धीमा करने की क्षमता है। बिहार सरकार ने केंद्र से 1 लाख वैक्सीन की मांग की है।

स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा, बिहार का स्वास्थ्य विभाग लोगों से बेवजह भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचने की अपील कर रहा है। लोग अस्पतालों में जाते समय कोविड प्रोटोकॉल का भी पालन करें और मास्क पहनें।

कोरोना के अलावा एच3एन2 इंफ्लुएंजा का भी खौफ मंडराने लगा है। एच3एन2 इन्फ्लूएंजा स्वाइन फ्लू (एच1एन1) का एक रूप है और इस बीमारी के कुछ मामले बिहार में सामने आए हैं।

एच3एन2 के लक्षण स्वाइन फ्लू जैसे ही होते हैं जिनमें तेज बुखार, सर्दी और खांसी वाले लोग होते हैं।

स्वास्थ्य विभाग ने एच3एन2 इन्फ्लुएंजा और स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए पटना में पुख्ता इंतजाम करने का दावा किया है। पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 20 बेड और पटना एम्स में 30 बेड आरक्षित किए गए हैं। इसके अलावा, नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, सदर अस्पताल, कुर्जी होली फैमिली और अन्य प्रमुख सरकारी और निजी अस्पतालों में समर्पित आइसोलेशन वार्ड भी हैं।

स्वास्थ्य अधिकारियों ने सरकारी और निजी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि सर्दी-खांसी वाले हर मरीज का टेस्ट कराएं और रिपोर्ट सिविल सर्जन कार्यालय में जमा करें।

--आईएएनएस

पीके/एसकेपी

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