स्वाइन फ्लू के डर से त्रिपुरा ने सूअरों के आयात पर लगाया प्रतिबंध
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त्रिपुरा के पशु संसाधन विकास (एआरडी) मंत्री सुदांशु दास ने बुधवार को कहा कि पिछले एक सप्ताह के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू (एएसएफ) की छिटपुट घटनाओं को ध्यान में रखते हुए एहतियात के तौर पर राज्य सरकार ने राज्य के बाहर से सूअरों और सूअर के बच्चों के आयात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।
मंत्री ने मीडिया से कहा कि अगर कोई सरकार के फैसले का उल्लंघन करता पाया गया तो उसे दंडित किया जाएगा। मंत्री सुदांशु दास ने कहा कि प्रतिबंध पर एक अधिनियम भी बनाया जाएगा ताकि अगर कोई अवैध रूप से त्रिपुरा में सुअर का आयात करता पाया गया तो विभाग कड़ी कार्रवाई कर सके।
मंत्री ने कहा कि एआरडी विभाग के डॉक्टर काम कर रहे हैं और स्थितियों की निगरानी कर रहे हैं और समय-समय पर नमूने एएसएफ के लिए जांच के लिए रोग जांच प्रयोगशालाओं में भेजे जा रहे हैं ताकि अगर कुछ गलत पाया जाता है तो तत्काल कार्रवाई की जा सके।
एएसएफ का प्रकोप देश के कुछ पूर्वोत्तर, दक्षिणी और उत्तरी राज्यों में बताया गया है और इन बीमारियों से प्रभावित क्षेत्रों से अक्सर सूअर और सूअरों के बच्चों का आयात किया जा रहा है।
अति-संक्रामक एएसएफ ने 2021 और 2022 के दौरान मिजोरम में कहर बरपाया, जिससे 33,400 से अधिक सूअर मारे गए, 10,000 से अधिक परिवार प्रभावित हुए और इसके अलावा 61 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ। मिजोरम में 2021 और 2022 में करीब 12,000 सूअरों को मारा गया।
विशेषज्ञों के अनुसार, एएसएफ का प्रकोप पड़ोसी म्यांमार, बांग्लादेश और पूर्वोत्तर के निकटवर्ती राज्यों से आयातित सूअर या पोर्क के कारण हो सकता है। पूर्वोत्तर क्षेत्र का वार्षिक पोर्क व्यवसाय लगभग 8,000 से 10,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें असम सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।
सूअर का मांस इस क्षेत्र में आदिवासियों और गैर-आदिवासियों द्वारा खाए जाने वाले सबसे आम और लोकप्रिय मांस में से एक है।
--आईएएनएस
एफजेड/एएनएम