जानिए क्यों नहीं है अब की सब्जिया खाने के लायक

जो पर्यावरण-खाद्य सुरक्षा के लिहाज से गंभीर चेतावनी है। शोध में पौधों की पत्तियों मे पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट (पीईटी) और पोलिस्टायरीन (पीएस) जैसे प्लास्टिक कणों की उपस्थिति दर्ज की गई है। इन कणों की मात्रा शहरी इलाकों, पार्कों, कूड़ा घरों और औद्योगिक क्षेत्रों में पाई गई पत्तियों में सबसे ज्यादा थी। खास बात यह है कि यह प्लास्टिक कण पत्तियों की सतह पर जमा थे।
कई प्रकार की हरी सब्जियों में पाए गए कण
नौ प्रकार की हरी सब्जियों में भी पीईटी और पीएस कण पाए गए। खुले खेतों में उगाई गई सब्जियों में अधिक प्लास्टिक था। पुराने और बाहरी पत्तों में नए और अंदरूनी पत्तों की तुलना में ज्यादा प्लास्टिक जमा मिला। ये कण पौधों की पत्तियों पर मौजूद स्टोमाटा (सूक्ष्म छिद्रों) के माध्यम से अंदर प्रवेश करते हैं और वहां से पौधे की आंतरिक संरचनाओं जैसे ट्राइकोम्स और वास्कुलर टिशू तक पहुंचते हैं।
स्वास्थ्य प्रभावित होगा
1. माइक्रोप्लास्टिक पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं
2. थायरॉइड, प्रजनन, मेटाबॉलिज्म से जुड़ी गड़बड़ियां हो सकती हैं
3. रसायनों को कैंसरकारी माना है
4. याद्दाश्त की समस्या, एकाग्रता में कमी देखने को मिलेगी
भारत में स्थिति चिंताजनक
भारत के कई क्षेत्रों में माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण पाया गया है, जो पर्यावरण और खाद्य नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक कणों की उपस्थिति को दर्शाता है
एक अध्ययन में पाया गया कि भारत में सभी प्रकार के नमक और चीनी ब्रांडों में माइक्रोप्लास्टिक मौजूद है