What do Ayurvedic doctors check for in pulse? आयुर्वेदिक में डॉक्टर नाड़ी में क्या चेक करते हैं? जानिए 

What do Ayurvedic doctors check for in pulse What does the doctor check in Ayurvedic pulse? Learn

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शरीर की सभी नाड़ियाँ देख सकते थे ऐलोपेथी में तो पल्स सिर्फ दिल की धड़कन का पता लगाती है आयुर्वेद में पारंगत वैद्य नाडी परीक्षा से रोगों का पता लगाते है इससे ये पता चलता है की कौन सा दोष शरीर में बीमारी है  ये बिना किसी महँगी और तकलीफ दायक डायग्नोस्टिक तकनीक के बिलकुल सही निदान करती है। जैसे कि शरीर में कहाँ कितने साइज़ का ट्यूमर है किडनी खराब है या ऐसा ही कोई भी जटिल से जटिल रोग का पता चल जाता है। हफ्ते भर पहले क्या खाया था ये भी बता देतें है। भविष्य में क्या रोग होने की संभावना है ये भी पता चल जाता है।

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आयुर्वेद में नाड़ी की जांच कैसे करें?

1. महिलाओं का बांया और पुरुषों का दाँया हाथ देखा जाता है।
2. कलाई के अन्दर अंगूठे के नीचे जहां पल्स महसूस होती है तीन उंगलियाँ रखी जाती है।
3. अंगूठे के पास की ऊँगली में वात, मध्य वाली ऊँगली में पित्त और अंगूठे से तीसरी ऊँगली में कफ महसूस किया जा सकता है।

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वात की पहचान कैसे करें?

4. वात की पल्स अनियमित और मध्यम तेज चलती है ।
5. पित्त की बहुत तेज पल्स महसूस होगी।
6. कफ की बहुत कम और धीमी पल्स महसूस होगी।
7. तीनो उंगलियाँ एक साथ रखने से हमें ये पता चलेगा कि कौन सा दोष अधिक है।

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अंगूठे से कलाई तक दर्द क्यों होता है?

8.  प्रारम्भिक अवस्था में ही उस दोष को कम कर देने से रोग होता ही नहीं।
9. हर एक दोष की भी 8 प्रकार की पल्स होती है; जिससे रोग का पता चलता है, इसके लिए अभ्यास की ज़रुरत होती है।
10. कभी कभी 2 या 3 दोष एक साथ हो सकते है।

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11. नाडी परीक्षा अधिकतर सुबह उठकर आधे एक घंटे बाद करते है जिससे हमें अपनी प्रकृति के बारे में पता चलता है। ये भूख प्यास, नींद, धुप में घुमने, रात्री में टहलने से, मानसिक स्थिति से, भोजन से, दिन के अलग अलग समय और मौसम से बदलती है।
12. चिकित्सक को थोड़ा आध्यात्मिक और में  होने से मदद मिलती है। सही निदान करने वाले नाडी पकड़ते ही तीन सेकण्ड में दोष का पता लगा लेते है। वैसे 30 सेकण्ड तक देखना चाहिए।

वात पित्त और कफ में नाड़ी कैसे चेक करते हैं?

आयुर्वेदिक चिकित्सा में इन तीनों दोषों की स्थिति को जाँचने के लिए नाड़ी परीक्षण का उपयोग किया जाता है। नाड़ी परीक्षण में वैद्य शरीर के विभिन्न स्थानों पर नाड़ियों की पल्पेशन करके उनकी स्थिति को जाँचते हैं। नाड़ियों के विभिन्न गुणों और गतिविधियों के माध्यम से, वैद्य वात, पित्त, और कफ के संतुलन में अंतर का पता लगा सकते हैं। वात, पित्त, और कफ के अनुकूल या विकृत होने पर नाड़ियों में स्थिति में भिन्नता आ सकती है जो चिकित्सक को उन दोषों की स्थिति के बारे में बताती है। नाड़ी परीक्षण व्यक्ति के शरीर, मन, और दोषों की स्थिति को समझने में मदद करता है।

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