पश्चिम बंगाल: मतुआ समुदाय के गढ़ में अभिषेक बनर्जी को दिखाए गए काले झंडे, मंदिर में नहीं कर सके प्रवेश

कोलकाता, 11 जून (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना जिले में मतुआ समुदाय के गढ़ ठाकुरनगर में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को रविवार को काले झंडे दिखाए गए।
पश्चिम बंगाल: मतुआ समुदाय के गढ़ में अभिषेक बनर्जी को दिखाए गए काले झंडे, मंदिर में नहीं कर सके प्रवेश
कोलकाता, 11 जून (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना जिले में मतुआ समुदाय के गढ़ ठाकुरनगर में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को रविवार को काले झंडे दिखाए गए।

बनर्जी अपने जनसंपर्क अभियान के तहत यहां पहुंचे थे। स्थानीय लोगों और भाजपा सांसद के विरोध के कारण वह समुदाय के मंदिर में नहीं घुस सके और उन्हें बाहर से ही पूजा करके लौटना पड़ा।

मतुआ एक अनुसूचित जाति समुदाय है, जो मूल रूप से पड़ोसी बांग्लादेश से है। राज्य में कई लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों में वे बड़ी संख्या में मतदाता हैं। ठाकुरनगर उनका पारंपरिक आधार और गढ़ माना जाता है।

बनर्जी जैसे ही मतुआ आध्यात्मिक नेता स्वर्गीय बीनापानी देवी उर्फ बोरो मां के आवास और मंदिर पहुंचे, समुदाय के कई लोगों ने उन्हें काले झंडे दिखाना शुरू कर दिया और नारे लगाने लगे कि उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।

स्थिति उस समय और भी गंभीर हो गई जब केंद्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद शांतनु ठाकुर केंद्रीय सशस्त्र बलों के जवानों और उनके सहयोगियों के साथ मौके पर पहुंच गए। उन्होंने केंद्रीय बलों के जवानों की मदद से मंदिर के गेट को अंदर से बंद कर दिया।

मुख्य मंदिर में प्रवेश करने में असमर्थ बनर्जी ने मंदिर के बाहर पूजा की और फिर केंद्रीय मंत्री को एक चुनौती दी।

उन्होंने कहा, मैं हर तीन महीने के अंतराल पर यहां आऊंगा। यदि आप मुझे रोक सकते हैं तो रोकें। शांतनु ठाकुर और भाजपा में उनके सहयोगी इस अराजकता के लिए जिम्मेदार हैं। मैं यहां किसी राजनीतिक कार्यक्रम के लिए नहीं आया था। मैं सिर्फ प्रार्थना करने मंदिर आया था। लेकिन उन्होंने मंदिर के गेट को अंदर से बंद कर दिया और मुझे पूजा करने की अनुमति नहीं दी। मुझे विश्वास है कि स्थानीय लोग उचित जवाब देंगे।

ठाकुर ने आरोप लगाया कि बनर्जी के आने से कुछ घंटे पहले पूरा मंदिर परिसर राज्य पुलिस के नियंत्रण में था। उन्होंने आरोप लगाया, समुदाय के लोगों की ओर से सहज विरोध था। यह बनर्जी के सहयोगी थे जिन्होंने वहां अराजकता पैदा करने की कोशिश की।

--आईएएनएस

एकेजे

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