चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी लखनऊ ने अपना पहला 'एआई हायर एजुकेशन समिट 2025' किया आयोजित

Chandigarh University Lucknow organized its first 'AI Higher Education Summit 2025'
 
Chandigarh University Lucknow organized its first 'AI Higher Education Summit 2025'

लखनऊ डेस्क (आर एल पाण्डेय)।चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी लखनऊ ने उत्तर प्रदेश में पहली बार आयोजित 'एआई हायर एजुकेशन समिट 2025' की मेजबानी की। जिसका शीर्षक ‘क्लासरूम से क्लाउड तक: एआई भविष्य की अगुवाई’ था।

इस अवसर पर तकनीकी विशेषज्ञों और प्रबुद्धजनों ने वैश्विक स्तर पर बढ़ते एआई के महत्व और उसमें योगदान देती भारत सरकार की नीतियों पर मंथन किया। इस समिट का उद्देश्य एआई विशेषज्ञों और प्रबुद्धजनों को एक मंच प्रदान करना था, जो एआई द्वारा भविष्य में जनित रोजगार के अवसर, चुनौतियों और उनके निवारण आदि पर चर्चा कर सके, साथ ही आने वाली पीढ़ी को एआई सक्षम बनाने के लिए आवश्यक चरणों पर विस्तृत अध्यन कर वैचारिक निष्कर्ष निकाल सके। 
 उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मुख्य अतिथि के रूप में एआई समिट 2025 की शोभा बढ़ाई, जबकि एआई समिट में भाग लेने वाले अन्य गणमान्यों में संसद सदस्य (राज्यसभा) और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर सतनाम सिंह संधू, एक्सेंचर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विवेक अग्रवाल, एमपी अग्रवाल, उच्च शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष जीसी त्रिपाठी और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रबंध निदेशक जय इंदर सिंह संधू शामिल थे। उद्योग विशेषज्ञों के अलावा लता सिंह, पार्टनर - स्ट्रैटेजिक पार्टनर्स एंड इकोसिस्टम, आईबीएम कंसल्टिंग, सुवर्णनिधि राव, लीड - अर्ली करियर टैलेंट, भारतीय उपमहाद्वीप, फिलिप्स इंडिया, प्रमोद कुमार झा, वरिष्ठ निदेशक एचआर बिजनेस पार्टनर, टिमिंडट्री, 200 स्कूलों के प्रिंसिपल, 30 कॉलेज और पांच विश्वविद्यालयों के अधिकारी शामिल थे।
मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने अपने संबोधन में कहा,” चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने शिक्षा क्षेत्र में अपनी स्थापना से ही अभूतपूर्व प्रगति हासिल की है। शिक्षा का दायरा भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही पूरी दुनिया में चर्चा का विषय रहा है। आज से कई सौ वर्ष पहले नालान्दा विश्वविद्यालय के बारे में भारत की ख्याति पूरी दुनिया में फैली थी। भारत में विभिन्न शिक्षाविद् अलग-अलग क्षेत्रों में हुए। वैज्ञानिक क्षेत्र में भी भारत ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की अंतरिक्ष विज्ञान से लेकर चिकित्सा विज्ञान व कंप्यूटर साइंस में हर क्षेत्र में माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के मार्गदर्शन में अभूतपूर्व प्रगति हासिल की यदि दुनिया के पैमाने पर यदि सभी राष्ट्रों का आकलन करें तो जो अपने आपको विकसित देश कहते हैं वहां भी भारत के ही सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स राष्ट्र की प्रगति को आगे बढ़ाने में काम कर रहे है। मुझे यह कहने में गौरव हासिल है की माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्ग दर्शन एवं नेतृत्तव में भारत ने कंप्यूटर साइंस सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के सेक्टर में अभूतपूर्व प्रगति की है। दुनिया की बड़ी बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियां बगैर भारत के इंजीनियर्स के अधूरी है। भारत पर सभी की निगाह है क्योंकी भारत एक बड़ा उपभोक्ता बाजार भी है। भारत में जो भी प्रोडक्ट सफल होता है वह पूरी दुनिया में सफल माना जाता है और मुझे यह कहने में संकोच नहीं की चंडीगढ़ यूनीवर्सिटी ने अपने स्थापना से ही उच्चशिक्षा के साथ-साथ समाज में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य किये है।  
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि यदि हम एआई को बेहतर ढ़ंग से इस्तेमाल करें तो एआई बेहतर विकल्प है। हम सबको अपने बच्चों को इस तरह तैयार करना है कि वे एआई के बारे में जानें ताकि इसका बेहतर उपयोग हो सके। मुझे पूरा भरोसा है चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने बच्चों को प्रशिक्षित करें की एआई को किस ढ़ंग से बेहतर उपयोग करने के बारे में बेहतर जानकारी प्रदान करेगी। आज सबसे बड़ी चुनोती हमारे सामने यह है की एक ही सब्जेक्ट की ढ़ेर सारी टेक्सट बुक हैं, कई रिफ्रेंसेस , उन सबको एक प्लेटफॉर्म पर एक सूत्र में पिरो कर शॉर्ट फार्म में रखने का एक प्लेटफॉर्म एआई हैऔर मुझे पूरा भरोसा है चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी इस योजना में सफल होगी। माननीय प्रधानमंत्री जी ने इस सेक्टर को बहुत महत्व देने से, भारत में लगातार इन्वेस्टर्स आ रहे हैं। दुनिया के बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों का मानना है कि एआई हर क्षेत्र में अभूतपूर्व स्थान हासिल करेगा। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी अपने छात्रों के माध्यम से देश दुनिया में अपना नाम रोशन करेगा। चंडीगढ़ यूनीवर्सिटी के माध्यम से उत्तर प्रदेश के युवाओं को एक बड़ा प्लेटफॉर्म उपलब्ध होगा साथ ही चंडीगढ़ यूनीवर्सिटी देश के युवाओं को एआई से जोड़ने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करने में भी अहम योगदान देगी।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को एआई हब बनाने के लिए एआई फॉर ऑल का दिया है विज़न : सतनाम सिंह संधू,राज्य सभा सांसद व चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर राज्य सभा सांसद व चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर सतनाम सिंह संधू ने कहा कि माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा देश को एआई हब बनाने के लिए एआई फॉर ऑल का विज़न दिया है। इसी पहल को पूरा करने के लिए चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने लखनऊ में एआई एकीकृत मल्टी डिस्प्लीनरी कैंपस स्थापित किया है जो अब शुरु हो चुका है। जिसमें मल्टी डिस्प्लीनरी कोर्सेस तथा शिक्षण पद्धियों में एआई को एकीकृत किया गया है। भारत को एआई हब बनाने के लिए उत्तर प्रदेश का क्या योगदान होगा इस पर चर्चा की जा रही है। माननीय मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने लखनऊ में एआई सिटी बनाने का फैसला किया है। एआई सिटी चलाने के लिए जो भी संसाधन व कार्यबल चाहिए उसके लिए हम सभी उतर प्रदेश के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगें ताकि प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के विकसित भारत के मिशन को साकार किया जा सके।
सतनाम सिंह संधू ने कहा ‘‘एआई एप्लिकेशन हर किसान, हर वर्ग, हर नौजवान व हर क्षेत्र में बदलाव ला कर लोगों की जिंदगी को बदल सकती हैं। इस लिए हमने लखनऊ कैंपस में मल्टी डिस्प्लीनरी कोर्सेस शुरू किये हैं, जहाँ स्टूडेंट्स को एआई के बारे संपूर्ण जानकारी मुहैया करवाई जाएगी। एआई एप्लिकेशन की शिक्षा दी जाएगी और एआई लीटरेसी करवाई जाएगी ताकि उन व्यक्तियों को भी फायदा मिल सके जो मौजूदा समय में नौकरी कर रहे हैं।  
मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष एवं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति जी.सी. त्रिपाठी ने अपने मुख्य भाषण में कहा, "हमें शिक्षा के विस्तार और प्रसार की आवश्यकता है। शिक्षा के विस्तार के लिए छात्रों और शिक्षकों पर दबाव होता है। इसलिए इस दबाव और तनाव को कम करने के लिए हमें विकल्प तलाशने होंगे और छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों के तनाव को कम करने के लिए ए.आई. ही एकमात्र विकल्प है, क्योंकि ए.आई. मनुष्य की बुद्धि की नकल करने का एक तंत्र है और सभी क्षेत्रों में, हम जानते हैं कि शिक्षा का विस्तार और प्रसार एक आवश्यक हिस्सा है। अगर हमें भारत को स्वतंत्र, मुक्त और संप्रभु बनाना है, तो हमें ज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में भारत को स्वतंत्र और संप्रभु बनाना होगा। हम ए.आई. प्रणाली की मदद से ऐसा कर सकते हैं।"
अपने संबोधन में, एक्सेंचर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विवेक अग्रवाल ने कहा, “मुझे वास्तव में लगता है कि एआई टेक्नोलॉजी का भविष्य है और यह बहुत महत्वपूर्ण है कि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी जैसे विश्वविद्यालय पूर्ण एआई तकनीक का प्रचार करने और उच्च स्तर पर चल रही उद्योग की मांग को पूरा करने के लिए पाठ्यक्रम का नया सेट लाने में अग्रणी बनें। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी लखनऊ कैंपस में दी जा रही मल्टीडिसिप्लिनरी एआई शिक्षा पर अग्रवाल ने कहा, “चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के लिए मेरे मन में बहुत सम्मान है। वे जो भी करते हैं, उसमें पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए बहुत सारा शोध करते हैं। यह मेरा अनुभव रहा है और मैं चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी लखनऊ के लिए भी उन्हें शुभकामनाएं देता हूँ।''
टिमिंडट्री के वरिष्ठ निदेशक एचआर बिजनेस पार्टनर प्रमोद कुमार झा ने कहा, "अगर हम एआई की बात करें, तो इसमें सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और आईटी सक्षम सेवाओं (आईटीईएस) उद्योग द्वारा दुनिया भर में विभिन्न ग्राहकों को दी जा रही हर सेवा की पेशकश को बढ़ाने की क्षमता है। अगर आप दुनिया भर के आँकड़ों को देखें, तो आज का एआई बाज़ार लगभग 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है और 2030 तक इसके 3000 अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने की संभावना है। और एक देश के रूप में भारत वैश्विक स्तर पर बहुत ही अच्छी स्थिति में है। दुनिया भर के देश चाइन प्लस वन (सिर्फ़ चीन में निवेश करने से बचने और दूसरे देशों में व्यापार को विविधता देने की व्यावसायिक रणनीति) मॉडल पर विचार कर रहे हैं और यह 'वन' भारत है। हमारे देश में डिजिटल इको सिस्टम को देखें, हमारे पास सबसे ज़्यादा अंग्रेज़ी बोलने वाले लोग हैं, हमारे पास सबसे कम उम्र के लोग हैं और प्रधानमंत्री मोदी के 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के विज़न के साथ, आईटी और आईटीईएस उद्योग को एक साथ अगले स्तर पर ले जाने में एआई की बहुत बड़ी भूमिका है।"
  
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी लखनऊ शीर्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ मिलकर एआई संवर्धित मल्टी डिसिप्लिनरी कार्यक्रम पेश कर रही है : जय इंदर सिंह संधू, प्रबंध निदेशक,चंडीगढ़ यूनिवर्सिटीअपने स्वागत भाषण में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रबंध निदेशक जय इंदर सिंह संधू ने कहा कि एआई हायर एजुकेशन समिट 2025 में सत्र और पैनल चर्चा में भाग लेने के लिए प्रसिद्ध शिक्षाविद और एआई विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी लखनऊ को एक मल्टीडिसिप्लिनरी एआई कैंपस के रूप में है, जहाँ एआई सभी विषयों का मूल होगा। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी लखनऊ शीर्ष वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों को हमारे साथ सहयोग करने के लिए लाने पर काम कर रही है, ताकि ऐसे कार्यक्रम पेश किए जा सकें, जहाँ छात्रों को एआई कौशल में प्रशिक्षित किया जाएगा। इससे वे उद्योग के लिए तैयार होंगे। कई वैश्विक और भारतीय कंपनियों ने भारत में एआई में बड़े निवेश की अपनी भविष्य की योजनाओं को साझा किया है। पहले से ही कृषि, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा जैसे कई क्षेत्र हैं जहाँ एआई प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों का उपयोग सर्वश्रेष्ठ उपयोगकर्ता अनुभव प्रदान करने और समाज में वर्तमान में हमारे सामने आने वाले समाधानों को खोजने के लिए किया जा रहा है।"
उद्घाटन सत्र के बाद, शिक्षा क्षेत्र में एआई की बढ़ती भूमिका पर तीन पैनल चर्चाएँ आयोजित की गईं।
"फ्लिपिंग द पैराडाइम: हाउ एजुकेशन कैन लीड द एआई इवोल्यूशन" पर पहली पैनल चर्चा के दौरान, जिसमें डॉ. जीसी त्रिपाठी, चेयरमैन, उच्च शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश, विवेक अग्रवाल, एमडी, एक्सेंचर प्राइवेट लिमिटेड, सुवर्णनिधि राव, लीड्स - अर्ली करियर टैलेंट, फिलिप्स इंडिया, प्रो. प्रकाश सिंह, एरिया चेयर ऑफ फाइनेंस, आईआईएम लखनऊ सहित प्रतिष्ठित पैनलिस्ट शामिल हुए, प्रतिभागियों ने स्कूलों में महत्वपूर्ण सोच, रचनात्मकता और डिजिटल प्रवाह जैसे कौशल विकसित करने में एआई के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्कूलों में एआई-संचालित उपकरण उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में सहज बदलाव सुनिश्चित कर सकते हैं और एआई-संचालित अंतःविषय शिक्षण और कार्यक्रम छात्रों को उच्च शिक्षा चुनौतियों के लिए तैयार करेंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को एआई उपकरणों से लैस करने से उन्हें शुरुआत में ही विविध प्रतिभाओं की पहचान करने और उनका पोषण करने में मदद मिलेगी।
"वैश्विक परिप्रेक्ष्य: एआई को शिक्षा और पाठ्यक्रम में एकीकृत करना" विषय पर दूसरे पैनल चर्चा में, जिसमें लता सिंह, रणनीतिक साझेदार और इकोसिस्टम-जीआईसी, आईबीएम कंसल्टिंग, प्रोफेसर सीमा परोहा, निदेशक, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (जीओआई), कानपुर, डॉ. अरुण मोहन शेरी, निदेशक आईआईआईटी लखनऊ, डॉ. पुष्पेंद्र कुमार त्रिपाठी, निदेशक, लखनऊ विश्वविद्यालय सहित प्रतिष्ठित पैनलिस्टों ने भाग लिया, प्रतिभागियों ने कहा कि शिक्षा और कार्यबल विकास में एआई को अपनाने के लिए नीतिगत ढांचे की आवश्यकता है। एआई-केंद्रित शिक्षा और रोजगार के अवसर पैदा करने में उद्योग साझेदारी के महत्व पर जोर देते हुए, उन्होंने कहा कि कौशल संरेखण के लिए उद्योग के रुझानों को शैक्षणिक कार्यक्रमों में एकीकृत किया जाना चाहिए। एआई-संचालित क्षेत्रों में अनुभवात्मक शिक्षा और इंटर्नशिप के लिए सहयोगी मॉडल के लिए मामला बनाते हुए, उन्होंने कहा कि उभरती प्रौद्योगिकियों में अकादमिक-उद्योग साझेदारी को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियों को डिजाइन किया जाना चाहिए ताकि विकसित एआई उद्योगों की मांगों को पूरा करने के लिए कौशल अंतर को पाटा जा सके। 
"अंतर को पाटना: नीति, उद्योग और शिक्षा द्वारा संचालित प्रतिभा पाइपलाइन का निर्माण" विषय पर तीसरे पैनल चर्चा में, जिसमें प्रतिष्ठित पैनलिस्टों ने भाग लिया यूपी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज, लखनऊ के एडीजी और संस्थापक निदेशक डॉ जीके गोस्वामी, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलपति प्रोफेसर शिव कुमार द्विवेदी, एलटीआईमाइंडट्री के वरिष्ठ निदेशक एचआर बिजनेस पार्टनर प्रमोद कुमार झा और डीएसएम नेशनल रिहैबिलिटेशन यूनिवर्सिटी, लखनऊ के डीन डॉ नागेंद्र यादव ने कहा कि एआई का शैक्षणिक संरचनाओं और पाठ्यक्रम डिजाइन पर परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ रहा है और भारतीय शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को वैश्विक रुझानों से प्रेरणा लेने की जरूरत है। वैश्विक संस्थानों द्वारा शिक्षण और अनुसंधान में एआई के सफल एकीकरण की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में शिक्षा संस्थानों को शिक्षण पद्धतियों और छात्र मूल्यांकन में क्रांतिकारी बदलाव के लिए अंतर-विषयक सीखने के अवसर पैदा करने के लिए एआई को अपनाने की जरूरत है। विशेषज्ञों ने कहा कि सीखने के अनुभवों को वैयक्तिकृत करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच का विस्तार करने के लिए एआई का लाभ उठाने के लिए, पाठ्यक्रम नवाचार को समृद्ध करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए रणनीतियों की आवश्यकता है।

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