क्या है MSP मचा है बवाल,कैसे calculate होता है Minimum Support Price

 
क्या है MSP मचा है बवाल,कैसे calculate होता है Minimum Support Price

National News Desk -MSP क्या है ,एक तरफ किसानों का आंदोलन चल रहा है इसमें सबसे ज्यादा बात अगर की जा रही है तो वह है मिनिमम सपोर्ट प्राइस (Minimum Support Price)यानी कि एमएसपी (MSP)अब सवाल ये उठता है कि एमएसपी है क्या जिसको लेकर किसान इतने आंदोलन (Kisan andolan) कर रहे हैं और सरकार एमएसपी पर बात करती है तो सरकार फार्म बिल(Farm bill 2020) में संशोधन करने की बात कहती है हालांकि अभी तक कभी भी एमएसपी कानून के दायरे में नहीं रहा सरकार में होती रही बैठक में एमएसपी तय किया जाता है और हर बजट में इसकी चर्चा होती है अब आइए बात करते हैं कि एमएसपी है क्या(what is MSP act) एमएसपी को अगर फुल फॉर्म की बात करें तो एमएसपी फुल फॉर्म है मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी कि किसानों को मिलने वाला वह मूल्य जो सरकार सबसे कम दर अगर होता है तो सरकार मिनिमम सपोर्ट प्राइस पर किसानों से खरीद करती है।

अभी सारा बवाल चल रहा है किसान आंदोलनरत हैं कई दौर की वार्ता हो चुकी है 12 दिन से ज्यादा हो चुके हैं और सरकार और किसानों के बीच में कई दौर की बातचीत होने के बावजूद अभी तक किसान आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है और अब किसानों के आंदोलन को जो बैक डोर से जो पॉलिटिकल पार्टी सपोर्ट कर रही थी वह अब सामने आ गई हैं और भारत बंद(Bharat band 8 december 2020) का ऐलान किया गया है लेकिन बात करते हैं मिनिमम सपोर्ट प्राइस की मिनिमम सपोर्ट प्राइस सरकार किस तरीके से तय करती है की लागत कितनी लगी है डिमांड कितनी है और सप्लाई कितनी है इसके आधार पर एमएसपी के रेट तय किए जाते हैं और सरकार इसी रेट पर किसानों से उपज को खरीदनी है अभी तक की अगर बात करें तो केवल 23 ऐसे अनाज हैं जिन पर सरकार के द्वारा मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी की एमएसपी दिया जा रहा है और इसमें एमएसपी पर खरीद करने के लिए सरकार पूरा सरकारी अमला को लगाती है और किसानों को फिर भी एमएसपी नहीं मिल पाता है .

और वह खुले में भारतीयों को बेचने के लिए मजबूर होती है अब बात करते हैं कि अगर एमएसपी पर किसानों को उपज बेचने का मौका नहीं मिल रहा है तो उनके पास हुई क्या ऑप्शन है एमएसपी पर अगर सरकार नहीं खरीद पा रही है या किसानों को अपनी उपज का मूल्य कहीं बाहर और अधिक मिल रहा है तो वह इससे भी ज्यादा रेट में दे सकते हैं और किसान कानून में इसी बात पर संशोधन करने की बात कही गई थी स्वामीनाथन आयोग (swaminathan commision report )जो किसानों की हित की बात करता था उस पर बीएमएसपी की चर्चा की गई अब आइए देखते हैं कि एमएसपी को कैलकुलेट कैसे करते हैं.(how msp is calculated)

MSP calculation स्वामीनाथन कमीशन के आधार पर तय की जाती है जो यह है-

measures suggested by NCF include:

Promotion of commodity-based farmers' organisations such as Small Cotton Farmers' Estates to combine decentralised production with centralised services such as post-harvest management, value addition and marketing, for leveraging institutional support and facilitating direct farmer-consumer linkage.

Improvement in implementation of Minimum Support Price (MSP). Arrangements for MSP need to be put in place for crops other than paddy and wheat. Also, millets and other nutritious cereals should be permanently included in the PDS.

MSP should be at least 50% more than the weighted average cost of production.

Availability of data about spot and future prices of commodities through the Multi Commodity Exchange (MCD) and the NCDEX and the APMC electronic networks covering 93 commodities through 6000 terminals and 430 towns and cities.

State Agriculture Produce Marketing Committee Acts [APMC Acts] relating to marketing, storage and processing of agriculture produce need to shift to one that promotes grading, branding, packaging and development of domestic and international markets for local produce, and move towards a Single Indian Market.

भाजपा के कभी think tank रहे

के.एन. गोविंदाचार्य समझाते हैं किस तरह से काम करती है MSP

तीन कृषि कानूनों से किसानों में व्याप्त आशंकाओं को दूर करने का उपाय है -

'न्यूनतम समर्थन मूल्य (#MSP) गारण्टी कानून '

कृषि उपज बाजार समिति कानून (#APMC Act) के अनुसार कृषि उपज बाजार समिति की मंडी में उपजों की बिक्री पर 6% मंडी टैक्स आदि लगता है। सरकार ने जो नया कानून लाया है, उसके अनुसार कृषि उपज बाजार समिति कानून के अंतर्गत गठित मंडियों के अलावा अन्य मंडियों में वह 6% टैक्स आदि नहीं लगेगा। अर्थात सरकारी मंडी और निजी मंडी में 6% लाभ का अंतर आ गया।

किसानों को आशंका है कि इस नए कानून के अनुसार निजी मंडियों में 6% टैक्स आदि नहीं लगना है, इसलिए 6% अतिरिक्त लाभ के लोभ में किसान निजी मंडियों में अपनी कृषि उपज बेचने जाने लगेंगे। निजी व्यापारी प्रारम्भ में न्यूनतम समर्थन मूल्य या उससे कुछ अधिक मूल्य पर कृषि उपज खरीदना शुरू कर देंगे। इन दो कारणों से धीरे धीरे सरकारी कृषि उपज बाजार समिति की मंडियों वीरान हो जाएंगी। जब वहां बहुत किसान जाना ही बंद कर देंगे तो उन मंडियों के आढ़तियों का व्यापार बंद हो जाएगा। वे अन्य व्यापार में लग जाएंगे। इस प्रकार सरकारी मंडियां बंद हो जाएंगी। 2-3 वर्ष में उन मंडियों के बंद हो जाने पर निजी व्यापारी मनमाना दाम तय करने लग जाएंगे। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर बेचने के लिए मजबूर करने लग जाएंगें। चूंकि तब तक सरकारी मंडियां बंद हो चुकी होंगी, इसलिए किसानों के पास दूसरा कोई रास्ता ही नहीं बचेगा। किसानों का भीषण शोषण प्रारम्भ जो जाएगा। किसानी और भी घाटे का सौदा हो जाएगा।

इन्हीं आशंकाओं के कारण किसान नए कृषि कानूनों का विरोध करने सड़कों पर उतरे हैं। किसानों की इन आशंकाओं को न्यूनतम समर्थन मूल्य (#MSP) की गारण्टी देने वाला कानून ही दूर कर सकता है। जब कानूनी रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर खरीदना अपराध हो जाएगा, सरकारी मंडी हो निजी मंडी, व्यापारियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही खरीदना पड़ेगा। अगर उससे कम दाम पर खरीदेंगे तो कानून के अनुसार दंड मिलेगा।

अपनी मांगों के समर्थन में सड़कों पर उतरे किसानों की आशंकाओं को दूर करने और उन्हें आश्वस्त करने के लिए सरकार शीघ्र ही न्यूनतम समर्थन मूल्य का गारण्टी कानून बनाएगी, ऐसी आशा है।

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