भारत ने SDG रैंकिंग में बनाई जगह – पहली बार टॉप 100 में शामिल होकर 99वीं रैंक हासिल की

 
India entered in SDG ranking in top 100

SDG Ranking rank 2025 भारत ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG - Sustainable Development Goals) की वैश्विक रैंकिंग में पहली बार टॉप 100 देशों में जगह बनाई है। भारत को 2025 की SDG ग्लोबल रैंकिंग में 99वीं रैंक प्राप्त हुई है। यह उपलब्धि न केवल भारत की विकास यात्रा की एक बड़ी सफलता है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की बढ़ती साख और सतत विकास की दिशा में उठाए गए ठोस कदमों को भी दर्शाती है।

SDG क्या है?

SDG का पूरा नाम Sustainable Development Goals है, जिसे संयुक्त राष्ट्र (United Nations) द्वारा वर्ष 2015 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय समस्याओं को दूर करना है, ताकि 2030 तक एक संतुलित और समावेशी विकास की दिशा में सभी देश मिलकर काम करें।

SDG में कुल 17 लक्ष्य (Goals) और 169 उपलक्ष्य (Targets) शामिल हैं, जो गरीबी, भूख, स्वास्थ्य, शिक्षा, लैंगिक समानता, स्वच्छ जल, स्वच्छ ऊर्जा, आर्थिक विकास, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय जैसे क्षेत्रों में सुधार लाने पर केंद्रित हैं।

SDG रैंकिंग कैसे तय होती है?

हर साल Sustainable Development Report जारी किया जाता है जिसमें विभिन्न देशों की रैंकिंग इन लक्ष्यों के आधार पर तय की जाती है। यह रैंकिंग इस बात को दर्शाती है कि कौन सा देश इन लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में कितना आगे बढ़ रहा है।

रैंकिंग तैयार करने के लिए निम्नलिखित प्रमुख मानकों को ध्यान में रखा जाता है:

  • गरीबी और भूख उन्मूलन

  • स्वास्थ्य और शिक्षा का स्तर

  • साफ पानी और स्वच्छता

  • समानता और न्याय तक पहुंच

  • जलवायु परिवर्तन से निपटने की नीतियाँ

  • हरित ऊर्जा और पर्यावरणीय संरक्षण

इन सभी क्षेत्रों में देश की नीतियों, प्रगति, योजनाओं और जमीनी स्तर पर उनके कार्यान्वयन की समीक्षा की जाती है।

भारत की 2025 SDG रैंकिंग – एक ऐतिहासिक उपलब्धि

वर्ष 2025 की SDG ग्लोबल रैंकिंग में भारत को 99वीं रैंक प्राप्त हुई है। यह पहली बार है जब भारत टॉप 100 देशों की सूची में शामिल हुआ है। इससे पहले भारत की रैंकिंग 112, 117 जैसे निचले स्तर पर रही थी।

इस छलांग का मुख्य कारण है भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा सतत विकास के लक्ष्यों को अपनाना और उन पर नीति आधारित योजनाओं का निर्माण करना। जैसे:

  • गरीबी उन्मूलन के लिए जनधन योजना, उज्ज्वला योजना और पीएम गरीब कल्याण योजना

  • स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए आयुष्मान भारत योजना

  • महिला सशक्तिकरण के लिए 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान

  • स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन

  • हरित ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सोलर अलायंस में भारत की भूमिका

इस रैंकिंग से भारत को क्या लाभ मिलेगा?

  1. वैश्विक पहचान और प्रतिष्ठा में वृद्धि:
    भारत की 99वीं रैंक दिखाती है कि हम वैश्विक स्तर पर सतत विकास के लक्ष्यों को गंभीरता से ले रहे हैं। इससे भारत की छवि एक जिम्मेदार और प्रगतिशील देश के रूप में उभरेगी।

  2. विदेशी निवेश में वृद्धि:
    SDG रैंकिंग को देखकर कई अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां और संस्थाएं उन देशों में निवेश करना पसंद करती हैं जहाँ विकास स्थिर और समावेशी होता है। भारत की रैंकिंग में सुधार से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा।

  3. नीतिगत सुधारों को बढ़ावा:
    इस उपलब्धि से देश के नीति निर्माताओं को प्रोत्साहन मिलेगा और वे सतत विकास के लक्ष्यों की दिशा में और मजबूती से काम करेंगे।

  4. जनजागरण और जनभागीदारी:
    जब जनता को यह पता चलता है कि उनके देश ने कोई वैश्विक मान्यता हासिल की है, तो वे भी उस दिशा में सहयोग करने लगते हैं। जैसे स्वच्छता, शिक्षा और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी।

  5. 2030 लक्ष्य के और करीब:
    यह रैंकिंग भारत को 2030 तक SDG के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मार्गदर्शन और प्रेरणा दोनों प्रदान करती है।

चुनौतियाँ अभी भी बाकी हैं

हालांकि रैंकिंग में सुधार हुआ है, लेकिन चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। भारत को अब भी कई क्षेत्रों में और प्रयास करने होंगे, जैसे:

  • ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार

  • महिला सुरक्षा और लैंगिक समानता

  • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटना

  • शहरीकरण के कारण बढ़ती असमानता

  • शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार

यदि इन क्षेत्रों में और सशक्त कदम उठाए जाते हैं, तो आने वाले वर्षों में भारत SDG रैंकिंग में और ऊपर जा सकता है।

भारत का 99वीं रैंक के साथ पहली बार SDG टॉप 100 में प्रवेश करना एक सकारात्मक संकेत है। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि उस दिशा में उठाया गया ठोस कदम है जहां विकास सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय संतुलन के साथ हो।

यह उपलब्धि हर भारतीय के लिए गर्व की बात है और यह जिम्मेदारी भी कि हम अपने देश को सतत विकास की राह पर और आगे ले जाएं।