भारत को मिला काला सोना: क्या अब तेल उत्पादन में बनेगा भारत ग्लोबल लीडर?

Oil and gas production in India भारत में हाल ही में एक बड़ी खोज ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी के अनुसार, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में भारी मात्रा में कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) का भंडार मिला है, जिसे "काला सोना" भी कहा जाता है। यह भंडार अनुमानित रूप से 2 लाख करोड़ लीटर का है, जो अगर सही साबित होता है, तो यह भारत को विश्व के शीर्ष तेल उत्पादक देशों की सूची में लाकर खड़ा कर सकता है।
अंडमान में तेल की खोज: भारत की किस्मत बदलने वाली खोज?
पिछले कुछ दशकों में भारत ने ऊर्जा के क्षेत्र में कई पहल की हैं, लेकिन कच्चे तेल की भारी आयात निर्भरता अब तक एक बड़ी चुनौती रही है। हरदीप सिंह पुरी ने इस खोज की तुलना गुयाना (Guyana) में हुई तेल की खोज से की है। गुयाना, जो पहले एक छोटा सा विकासशील देश था, वहां ExxonMobil द्वारा किए गए तेल की खोज के बाद उसकी अर्थव्यवस्था ने जबरदस्त छलांग लगाई।
अगर भारत अंडमान में मिले इस भंडार का व्यावसायिक उपयोग करने में सफल होता है, तो भारत की अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन संभव है।
क्या बन सकता है भारत $20 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था?
हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि यदि यह तेल भंडार सही साबित होता है और इसका दोहन सफलतापूर्वक किया जाता है, तो भारत की अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में $20 ट्रिलियन तक पहुँच सकती है। इसका मुख्य कारण यह है कि तेल उत्पादन न केवल आयात पर निर्भरता कम करता है बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा, रोजगार और निवेश को भी बढ़ावा देता है।
भारत में मौजूदा तेल उत्पादन
वर्तमान में भारत प्रतिदिन लगभग 30 लाख बैरल कच्चा तेल खपत करता है, लेकिन इसका केवल 15% ही घरेलू उत्पादन से आता है। शेष 85% तेल का आयात किया जाता है, जो भारत को ऊर्जा क्षेत्र में विदेशी निर्भरता में झुका देता है।
भारत में प्रमुख तेल उत्पादक राज्य हैं:
-
राजस्थान
-
गुजरात
-
असम
-
आंध्र प्रदेश
-
तमिलनाडु
-
महाराष्ट्र
इनमें राजस्थान और गुजरात सबसे अधिक तेल उत्पादन करते हैं। यदि अंडमान क्षेत्र से तेल उत्पादन शुरू होता है, तो यह भारत के तेल उत्पादन मानचित्र में नया बदलाव लाएगा।
घरेलू तेल आपूर्ति दायित्व (Domestic Crude Supply Obligation)
सरकार ने हाल ही में घरेलू तेल कंपनियों के लिए Domestic Crude Supply Obligation लागू किया है, जिसके तहत उन्हें अपने उत्पादित तेल को प्राथमिकता के आधार पर घरेलू रिफाइनरियों को बेचना होगा। इसका उद्देश्य विदेशी तेल कंपनियों पर निर्भरता को कम करना और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है।
गुयाना से तुलना: क्यों महत्वपूर्ण है?
गुयाना, जो दक्षिण अमेरिका में स्थित है, वहां ExxonMobil ने 2015 में भारी तेल भंडार की खोज की थी। तब से लेकर आज तक, गुयाना की GDP में कई गुना वृद्धि हुई है। भारत और गुयाना के बीच तेल आधारित आर्थिक सहयोग भी तेजी से बढ़ा है। भारतीय कंपनियों ने गुयाना में निवेश किया है और वहां के अनुभव का लाभ भारत को भी मिल सकता है।
भारत की तेल पर निर्भरता: एक गंभीर विषय
भारत की 85% तेल जरूरतें आयात पर निर्भर हैं। इससे न केवल विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ता है, बल्कि वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव का सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। अगर भारत अंडमान जैसे नए स्रोतों से तेल उत्पादन कर पाए, तो यह आयात निर्भरता में बड़ी गिरावट ला सकता है।
निष्कर्ष: क्या भारत बनेगा तेल महाशक्ति?
इस खोज ने भारत को एक नया अवसर दिया है। लेकिन इस अवसर को साकार करने के लिए तकनीकी दक्षता, पूंजी निवेश, पारदर्शी नीतियां और वैश्विक सहयोग की आवश्यकता होगी। यदि सरकार और कंपनियाँ इस दिशा में सही कदम उठाती हैं, तो आने वाले वर्षों में भारत तेल उत्पादन में ग्लोबल लीडर बन सकता है।
यह "काला सोना" भारत की ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास और वैश्विक स्थिति को मजबूत कर सकता है — बशर्ते हम इसका सही दोहन कर सकें।