अंगूठी बेचने वाला बन गया पीर बाबा: बलरामपुर से नेपाल तक फैला धर्मांतरण का जाल

 
changur peer baba balrampur conversion news
Changur baba balrampur convirsion news उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले से एक हैरान कर देने वाली सच्चाई सामने आई है। एक साधारण अंगूठी बेचने वाला व्यक्ति देखते ही देखते 'पीर बाबा' बन गया और फिर शुरू हुआ एक संगठित धर्मांतरण रैकेट, जो न सिर्फ भारत के अंदर बल्कि नेपाल और खाड़ी देशों तक फैला हुआ था। इस घटना ने न केवल सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है, बल्कि देश के भविष्य और जनसंख्या संतुलन पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

कौन था छांगुर  बाबा?

बलरामपुर के इस कथित बाबा का असली नाम चंगूर था। पहले यह व्यक्ति धार्मिक स्थलों पर अंगूठी और अन्य ताबीज बेचने का काम करता था। धीरे-धीरे इसने खुद को एक चमत्कारी पीर बाबा के रूप में प्रचारित करना शुरू कर दिया। लोगों की कमजोरियों और आस्था का फायदा उठाकर यह व्यक्ति खुद को आध्यात्मिक इलाज़ देने वाला बताने लगा। उसके पास गरीब, बीमार और परेशान लोग बड़ी संख्या में पहुंचने लगे।

नवीन रोहरा और नीतू रोहरा का मामला

इस पूरे रैकेट की असलियत तब सामने आई जब लखनऊ के नवीन रोहरा और उनकी पत्नी नीतू रोहरा के धर्म परिवर्तन की खबर सामने आई। दोनों को बहला-फुसलाकर इस्लाम में परिवर्तित किया गया और उनके नाम ‘नवीद’ और ‘नशरीन’ रख दिए गए। इन दोनों ने आरोप लगाया कि उन्हें छांगुर  बाबा के माध्यम से मानसिक रूप से प्रभावित किया गया और सामाजिक दबाव में आकर धर्म बदला गया।

नेपाल और खाड़ी देशों से कनेक्शन

जांच में यह भी सामने आया किछांगुर बाबा का संपर्क नेपाल सीमा से लगे क्षेत्रों और खाड़ी देशों में सक्रिय कुछ इस्लामिक संगठनों से था। कहा जा रहा है कि इन्हीं देशों से फंडिंग होती थी और योजना भारत में जनसंख्या संतुलन बदलने की थी। खासतौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे सीमावर्ती राज्यों को निशाना बनाया गया, जहां मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है।

सरकारी एजेंसियों की भूमिका

इस मामले के उजागर होने के बाद ATS और स्थानीय पुलिस ने जांच शुरू की है। कई चौंकाने वाले दस्तावेज मिले हैं जिसमें विदेशी फंडिंग, संदिग्ध व्यक्तियों के नाम और धर्मांतरण से जुड़े कई प्रमाण हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने सरकार को भी सक्रिय कर दिया है, और धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर हो रहे इस खेल को रोकने के लिए सख्त कानून की मांग तेज हो गई है।

इस पूरे मामले ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि किस तरह से कुछ लोग धर्म की आड़ में देश के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रहे हैं। 'अंगूठी बेचने वाला बन गया पीर बाबा' केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि एक चेतावनी है—ध्यान देने की जरूरत है कि किस प्रकार से हमारी आस्था, असुरक्षा और अशिक्षा को हथियार बनाकर भारत की सांस्कृतिक पहचान को निशाना बनाया जा रहा है।

Tags