"डोर खुला, तो बच गया बाकी सब जल गए" अहमदाबाद विमान हादसे से बचे इकलौते यात्री विश्वास कुमार की दर्दनाक आपबीती

"The door opened and I was saved. the rest were burnt"  The painful story of Vishwas Kumar, the only passenger to survive the Ahmedabad plane crash
 
"The door opened and I was saved... the rest were burnt" — The painful story of Vishwas Kumar, the only passenger to survive the Ahmedabad plane crash
अहमदाबाद एयरक्रैश की भयावह त्रासदी में जहां 268 लोगों की जान चली गई, वहीं इस हादसे में एकमात्र जीवित बचे यात्री विश्वास कुमार इस समय जिला अस्पताल में उपचाराधीन हैं। उन्हें मामूली चोटें आई हैं, लेकिन वे होश में हैं और अपनी बात बता पा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने जाना हालचाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद विश्वास कुमार से फोन पर बातचीत कर उनका हालचाल जाना। विश्वास ने घटना के पल-पल की जानकारी साझा की, जिसने सुनने वालों को झकझोर कर रख दिया।

दरवाजा खुला, तो मिली जिंदगी

विश्वास कुमार के अनुसार, जब विमान क्रैश हुआ, तो उनके पास वाला दरवाजा टूट गया और वहीं से उन्हें बाहर निकलने का रास्ता मिला। दूसरी ओर का हिस्सा एक इमारत से टकरा गया, जिससे वहाँ मौजूद सभी यात्री जलकर मर गए। विश्वास ने बताया,"मेरे सामने लोग जिंदा जल रहे थे। आग की लपटें मेरी ओर भी आईं। हाथ का एक हिस्सा जल गया। मैं तुरंत कूदकर सड़क की ओर भागा और आसपास के लोगों को सूचना दी। इसके बाद एंबुलेंस आई और मुझे अस्पताल ले जाया गया।"

क्रिकेट खेल रहे लड़कों ने दिखाया साहस

हादसे के वक्त एयरपोर्ट से सटे मैदान पर कुछ युवक क्रिकेट खेल रहे थे। जब विमान गिरा, तो सबसे पहले इन्हीं युवाओं ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू शुरू किया। राहुल पटनी, जो वहीं मौजूद थे, ने बताया कि उन्होंने अपने दोस्तों को बुलाया और फौरन राहत कार्य शुरू किया।
इन बहादुर युवकों ने हॉस्टल की कैंटीन में रखे 8 गैस सिलेंडरों को बाहर निकाल कर संभावित विस्फोट को भी टाल दिया।

डीएनए जांच के बाद होंगे शव सौंपे

मृतकों के परिजनों को पहचान के लिए डीएनए सैंपलिंग के लिए बुलाया गया है। पहचान की पुष्टि होने के बाद ही शव सौंपे जाएंगे। यह प्रक्रिया करीब 72 घंटे का समय लेगी। प्रशासन ने कहा है कि जब तक मिलान नहीं होता, तब तक शवों को सुरक्षित रखा जाएगा।

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