पाकिस्तान को मिल रही विदेशी मदद: क्या भारत की बढ़ती ताकत से डरते हैं दुनिया के ताकतवर देश?

 . चीन की ‘चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर’ नीति
 
Foreign aid to pakistan by US and china

 भारत की कूटनीति: सफल या विफल?

Foreign aid to Pakistan भारत आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी भूमिका लगातार मज़बूत होती जा रही है। ऐसे में एक सवाल अक्सर उठता है — जब भारत इतनी ताकतवर हो चुका है, तो फिर अमेरिका, चीन और अन्य पश्चिमी देश पाकिस्तान को लगातार आर्थिक मदद क्यों देते हैं? क्या यह भारत की कूटनीतिक विफलता है या फिर इसके पीछे कुछ और बड़ा एजेंडा छिपा है?

इस लेख में हम इसी सवाल का विश्लेषण करेंगे और समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर क्यों पाकिस्तान को बार-बार विदेशी मदद मिलती है, और भारत के हितों को क्यों नज़रअंदाज़ किया जाता है।

1. रणनीतिक लोकेशन और अमेरिका की नीति

पाकिस्तान की सबसे बड़ी ताकत उसकी रणनीतिक स्थिति है। अफगानिस्तान, ईरान, चीन और भारत के बीच स्थित यह देश हमेशा से अमेरिका के लिए एक उपयोगी साझेदार रहा है, खासकर सैन्य अभियानों में।
9/11 के बाद अमेरिका ने आतंक के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान को अपना सहयोगी बनाया और उसे अरबों डॉलर की मदद दी।

इस मदद का उद्देश्य न केवल आतंकवाद से लड़ना था, बल्कि भारत की बढ़ती ताकत पर एक रणनीतिक संतुलन बनाए रखना भी था।

2. चीन की ‘चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर’ नीति

चीन पाकिस्तान के साथ आर्थिक और सामरिक दोनों स्तरों पर मज़बूत संबंध बना रहा है। ‘सीपेक’ (CPEC) प्रोजेक्ट इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसके तहत चीन पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट तक सीधी पहुंच बना रहा है।
चीन की मंशा है कि वह दक्षिण एशिया में भारत के प्रभाव को सीमित रखे और पाकिस्तान को एक स्थाई साझेदार बनाए रखे।

3. भारत का स्वतंत्र और आत्मनिर्भर रवैया

भारत ने हमेशा एक स्वतंत्र विदेश नीति अपनाई है। चाहे वह रूस के साथ रक्षा समझौते हों या ईरान से तेल खरीदने का मुद्दा, भारत ने पश्चिमी दबाव में झुकने से इनकार किया है।
यह रवैया कुछ पश्चिमी देशों को असहज करता है, क्योंकि वे ऐसे देशों को पसंद करते हैं जो उनकी नीतियों के अनुरूप चलें। पाकिस्तान जैसे देशों को आर्थिक मदद देकर वे ऐसे सहयोगी तैयार करते हैं जो उनकी हर नीति में साथ दें।

4. पाकिस्तान की ‘सॉफ्ट स्टेट’ छवि और विदेशी मदद की ज़रूरत

पाकिस्तान एक अस्थिर आर्थिक ढांचे वाला देश है। वहां की सरकारें बार-बार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), वर्ल्ड बैंक और अन्य देशों से मदद मांगती रही हैं।
विदेशी ताकतें इस कमजोरी का फायदा उठाकर पाकिस्तान को अपने हितों के अनुसार मोड़ लेती हैं। उन्हें यह भी पता है कि पाकिस्तान विदेशी मदद के बिना अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता।

5. भारत की कूटनीति: सफल या विफल?

यह कहना कि भारत की कूटनीति विफल रही है, पूरी तरह उचित नहीं होगा। भारत आज क्वाड (QUAD), ब्रिक्स (BRICS), G20 जैसे वैश्विक मंचों पर अहम भूमिका निभा रहा है। लेकिन हां, भारत की कूटनीति को और अधिक आक्रामक, प्रभावी और जमीनी स्तर पर तेज़ करने की ज़रूरत है ताकि वह न केवल अपनी स्थिति मज़बूत कर सके बल्कि पड़ोसी देशों की मदद को भी संतुलित कर सके।

पाकिस्तान को मिल रही विदेशी मदद के पीछे केवल भारत की विफलता नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक शक्ति संतुलन की रणनीति है। अमेरिका, चीन और पश्चिमी देश पाकिस्तान का उपयोग भारत पर दबाव बनाए रखने के लिए करते हैं।
भारत को अब और मज़बूती से अपनी कूटनीति को आगे बढ़ाना होगा, अपने आर्थिक और सामरिक हितों को वैश्विक स्तर पर और अधिक प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करना होगा।

भारत की ताकत अब इतनी है कि दुनिया उसे नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती — ज़रूरत है उसे और मजबूती से पेश करने की।

मुख्य बिंदु (Highlights):

  • पाकिस्तान की रणनीतिक स्थिति उसे महत्वपूर्ण बनाती है

  • अमेरिका और चीन दोनों पाकिस्तान को भारत के लिए संतुलन मानते हैं

  • भारत की स्वतंत्र नीति कुछ पश्चिमी देशों को असहज करती है

  • विदेशी मदद पाकिस्तान की कमज़ोरी और वैश्विक शक्तियों की रणनीति है

  • भारत को अपनी कूटनीति और वैश्विक स्थिति और मज़बूत करनी होगी

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