ज्येष्ठ पूर्णिमा पर्व दरिद्रता का होगा नाश श्री हरि के साथ इस तरह करें लक्ष्मी जी की पूजा 

ज्येष्ठ पूर्णिमा

 ज्येष्ठ पूर्णिमा को पूजा कब करें 


दिनांक 13 जून 2022 दिन सोमवार को पूर्णिमा का उपवास रखा जाएगा। चंद्र देव की पूजा रात्रि 9:04 के बाद होगी। स्नान दानार्थ पूर्णिमा 14 जून 2022 को।
ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन चंद्र पूजा और उपवास करने से चंद्रमा मजबूत होता है और मानसिक और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं । पूर्णिमा तिथि पर उपवास रखकर विधिवत विष्णु जी का पूजन करने और चंद्रमा को अर्घ्य देने से आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है यह तिथि मां लक्ष्मी को भी अत्यंत प्रिय होती है, इसलिए इस दिन श्री हरि के साथ लक्ष्मी पूजन करने से दरिद्रता का नाश होता है।
शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 13 जून 2022 रात्रि 9:4 मिनट से 14 जून 2022 शाम 5:22 तक।

ज्येष्ठ पूर्णिमा पूजा विधि

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। यदि आप नदी में स्नान ना कर पाएं तो घर पर ही गंगाजल से स्नान कर सकते है। स्नान करने के बाद सूर्य देव को ऊं भास्कराय नम: मंत्र के साथ जल अर्पित करें। व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को गंगाजल से स्नान कराने के बाद पीतांबर वस्त्र, रोली, कुमकुम, अक्षत, पीले फूल अर्पित करें। भगवान विष्णु को भोग लगाएं घी के दीपक से आरती करें व सत्य नारायण की कथा का पाठ करे। व रात्रि में चंद्रमा को चांदी या स्टील के बर्तन से जल अर्पित करें व विधि विधान से चंद्र देव की पूजा करें। चंद्रोदय के समय चन्द्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर “ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम:” या ” ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:. ” का 28 बार जाप करने से लाभ होगा।

पूर्णिमा का दान

जिन जातकों का चंद्रमा कमजोर स्थिति में हो उन सभी जातकों को पूर्णिमा के दिन सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए ( सफ़ेद वस्त्र, चावल, चीनी, दही,दूध, मोती आदि)।
डॉ.मंजू जोशी ज्योतिषाचार्य
*8395806256*

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