बड़े से बड़े संकट को कैसे दूर करें ? ,रामचरित मानस की इस चौपाई के पाठ से कैसा भी संकट हो दूर हो जाएगा

Sankat se bachne ke upay
 रामचरितमानस का पाठ करने से जहां समृद्धि सुख का वातावरण बनता है वही इसमें कई ऐसे दोहे हैं जो मंत्र का काम करते हैं और जिसके पाठ से किसी भी प्रकार का संकट हो तो वह दूर हो जाता है. सुंदरकांड के चमत्कार भी देखे जाते हैं और जो भी हनुमान भक्त रामचरितमानस के  सुंदरकांड का पाठ करता है उसके बड़े से बड़े कष्ट भी कष्ट जाते हैं ।

संकट से निकलने के उपाय

जीवन मे कई ऐसी परिस्थितियां आती है जब किसी भी प्रकार के संकट से निकलने का कोई उपाय नहीं सोचता है तो हनुमान जी की आराधना से रामचरितमानस में जो उपाय बताए गए हैं उससे किसी भी प्रकार का संकट खत्म किया जा सकता है संकट से बचने के लिए कई मंत्र दिए हैं जिसमें यह बताया गया है कि संकट से कैसे बचा जाए जिसके लिए हनुमान जी की आराधना की जा सकती है और यह सारे प्रयोग कई भक्तों के द्वारा किए गए हैं जिनको आश्चर्यजनक लाभ मिला हुआ है.

संकट से बचने के लिए मंत्र 


पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना।।
कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं।।

संकट से बचने के लिए मनुष्य को क्या करना चाहिए ?
संकट से बचने के लिए जब भी ऐसी कोई परिस्थिति आती है जब यह लगता है कि अब कोई रास्ता नहीं बचा है तो हनुमान जी की शरण में जाना चाहिए और हनुमान जी की आराधना करनी चाहिए उनके साथ में करनी चाहिए जिससे  कैसा भी संकट हो दूर हो जाता है ।

हनुमान जी की पूजा विधि

हनुमान जी की पूजा  के लिए उचित होगा कि मंगलवार का दिन रखा जाए शनिवार कोभी हनुमान जी की पूजा की जा सकती है । सुबह स्नान करके साफ वस्त्रों में हनुमान जी के सामने देशी घी गाय के घी का दीपक जलाकर या टिल का तेल का दिया जलाकर हनुमान जी के मंत्र के एक माला का जाप कोशिश करें मूंगे की माला या रुद्राक्ष से की जा सकती है । 
पूजा शुरू करने से पहले हनुमान जी का अपने मन में ध्यान करें और हनुमान जी से प्रार्थना करें जो भी आपकी मनोकामना है अपने हाथ में पुष्प और अक्षत लेकर उस मनोकामना को बोलें और हनुमानजी को अर्पित करें .

उसके बाद में एक माला की जाप जिसमें 108 बार मंत्र का जाप करना है और उसके बाद जब आपकी मंत्र की जाप पूरी हो जाए उसके बाद में हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए हनुमान जी की आरती करनी है और उसके बाद आपको प्रार्थना करनी है कि आपने जिस मनोकामना के साथ में हनुमान जी की आराधना की है वह पूरी हो और उसके बाद में जब आपकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है बाद में मंदिर में जाकर आपको प्रसाद चढ़ाना है और उस प्रसाद को अधिकतर बांट देना और उसमें से थोड़ा सा खुद को भी खाना है।

संकट से कैसे बचा जाए ?


हनुमान जी की आराधना जो भी रोज करता है अगर कुछ अलग नहीं कर सकते तो हनुमान चालीसा का पाठ एक बार भी अगर कोई भी व्यक्ति करता है तो उसके ऊपर कोई भी बड़ा संकट नहीं आता है और अगर किसी भी प्रकार की कोई समस्या है संकट से निकलने का उपाय नहीं मिल रहा है तो हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए और मनोकामना को लेते हुए अमन चालीसा का पाठ 11 या 21 बार भी कर सकते हैं।

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