मंदिर में पूजा मन से करें दिखावा नही 

Dharm samachar
 

धन संपत्ति नहीं प्रेम भाव संसार में आदर्श होता है-मुदचन्द्र विजय महाराज,
वज्र सेन पन्यासी महाराज की पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया
नीमच 24जून 20-22 संसार  में प्रेम भाव आदर्श होता है धन संपत्ति नहीं।  परिवार पद पैसा यह सब संसार को बढ़ाने वाले हैं संसार से मुक्ति के लिए तो भक्ति तपस्या ही जीवन को सार्थक सिद्ध करती है। द्वार पर आये दीन दुखी को निराश नहीं लौटाए  वही सच्चा संत होता है।यह बात आचार्य कुमुदचन्द्र विजय   महाराज ने कही। वे श्री भीड़ भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट नीमच के तत्वाधान में शनिवार सुबह जैन भवन में आयोजित धर्म सभा मैं बोल रहे थे ।उन्होंने कहा कि  वज्र सेन पन्यासी महाराज का जीवन आदर्श प्रेरणादाई रहा है। वह समता से समाधि की ओर ले जाने वाले सरल हृदय के संत थे उनके हृदय में प्रेम वात्सल्य कोई भी भूल नहीं सकता है।वे सदैव गरीबों के दुख दर्द को दूर करने के लिए सदैव तत्पर रहते थे।धर्म वाणी को श्रवण कर जीवन में आत्मसात करें अपने चरित्र में लागू करें तभी वह जीवन को सार्थक सिद्ध कर सकती हैं।
मुनि पुण्य निधान विजय  महाराज साहब ने कहा कि पवित्र भाव के बिना आत्मा का कल्याण नहीं हो सकता है मंदिर में प्रभु प्रतिमा दर्शन करते समय एकाग्रता होनी चाहिए ।तभी दर्शन सार्थक सिद्ध होते हैं मंदिर में पूजा मन से होना चाहिए दिखावा से नहीं ।जिसने परमात्मा को केंद्र में रखा उसे अगले जन्म में परमात्मा महावीर जैसे गुण के संस्कार मिलते हैं। जब व्यक्ति अपने लिए कपड़े खरीदता है लेकिन परमात्मा के बारे में नहीं सोचता है ।अपने लिए सुख सुविधाएं जुटाता है लेकिन परमात्मा के लिए नहीं सोचता है चिंतन का विषय है जो व्यक्ति अपने लिए उत्तम द्रव्य पसंद करता है तो भगवान के लिए भी उत्तम द्रव्य ही चढ़ाना चाहिए। पन्यासी महाराज साधु संतों की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते थे। उनके द्वारा कई साधु संतों के लिए आवास , ऑपरेशन की सुविधा ,दवाइयां कपड़े आदि सेवा कि जो आज भी प्रासंगिक है। विकलांगों को साइकिल दिलाई जो आज भी आदर्श प्रेरणादायक कदम है। जिन आंखों के रोगियों को ऑपरेशन करवाई दुनिया को देख रहे हैं उनकी आंखों में की रोशनी में आज भी सन्यासी महाराज जीवित है। वे बिना किसी भेदभाव के साधु संतों की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते थे।उनके गुणों को हम जीवन में आत्मसात करें यही उनको सच्चीआदरांजली होगी। धर्म सभा में 12 नवकार मंत्र जाप कर
 श्रद्धांजलि अर्पित की गई। साधु वृन्द  शनिवार शाम 5:30 बजे कनावटी होते हुए जावद की ओर बिहार कर गए।धर्म सभा का शुभारंभ गुरु वंदना से किया।

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