पंडित अनुराग मिश्र द्वारा स्वरचित आरती श्री "राम" लला की

Ramlala

आरती श्रीरामलला की

दोहा-श्री हनुमत के चरन पकरि,करहुं राम गुनगान,माँ शारदा नमन तुम्हें,करो सदा कल्यान !

देवता सब रक्षा करैं, देहिं मोहि वरदान,महादेव अनुकूल हों,हृदय विराजो आन !!

श्रीरामलला की आरती,लिखै का करूँ प्रयास,राम चरन रज दो मुझे,मोहे पिया मिलन की आस !

मात भवानी दो मुझे अभय का तुम वरदान,विघ्नेश्वर मेरे विघ्न हरो,सदा रहो मेरे पास !!

आरती कीजै श्री राम लला की,दशरथ नंदन जगत पिता की -2

1-जाकर नाम जपत सुख होई,सारद शेष जपत सब कोई,

जपते ब्रह्मा शम्भु भवानी,सुर नर मुनि,योगी और ज्ञानी

आरती कीजै..........

2- अवधपति प्रभु जानकी नाथा,हनुमत जपैं तुम्हारी गाथा ,

तुम जन-जन के स्वामी नाथा,तुम्हरो नाम जगत बिख्याता !

आरती कीजै..........

3- कलियुग में तुम्ही पार लगाओ,धर्म बचाओ पाप मिटाओ,

नास करो सब धर्म विरोधी,धरि के कल्कि रूप अति क्रोधी !

आरती कीजै..........

4-सत्य सनातन धर्म हमारा, मेट न पाये जो मेटन हारा,

राम नाम कलियुग का पारा,जब ले नित तू अखंड अपारा

आरती कीजै..........

5- रामलला की जो आरती गावै, अंत समय प्रभु हृदय में ध्यावै ,

कटै पाप सब और कलेसा, भव से मुक्ति देत जगदीसा !

आरती कीजै..........

दोहा-कलियुग में भव पार करे राम राम बस राम,हनुमत रक्षा करें स्वयं,जो जप ले सियाराम !

राम जपै सो भव तरै पावै मुक्ति अपार,दास "अनु" सियाराम की महिमा अपरंपार !!

!!जय सियाराम!!


रचनाकार- पं.अनुराग मिश्र "अनु"

अध्यात्मिक लेखक व कवि

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