रामचरितमानस में स्थापत्य एवं वास्तु शास्त्र: तुलसी की दृष्टि में सुविकसित नगरीय सभ्यता

Architecture and Vastu Shastra in Ramcharitmanas: Tulsidas's vision of a well-developed urban civilization
 
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(इंजी. विवेक रंजन श्रीवास्तव-विभूति फीचर्स)   गोस्वामी तुलसीदास कृत 'रामचरितमानस' केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक ऐसा महान काव्य है जो शोध की दृष्टि से देखे जाने पर तत्कालीन वास्तुकला और स्थापत्य के उन्नत ज्ञान को उजागर करता है। मानस की मूल कथा में वर्णित अयोध्या, जनकपुर और लंका जैसे नगरों का विवरण हमें एक सुविचारित और सुविकसित नगरीय सभ्यता की झलक देता है।

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1. अवधपुरी: बैकुंठ से भी प्रिय नगरी

 

तुलसीदास जी ने अयोध्या (अवधपुरी) को केवल धार्मिक नगरी के रूप में नहीं, बल्कि एक सुनियोजित महानगर के रूप में चित्रित किया है।

 

नगर और भवन वर्णन

 

  • भवनों का सौंदर्य: उत्तरकाण्ड में अयोध्या का वर्णन करते हुए गोस्वामी जी लिखते हैं कि यहाँ के भवन सोने और रत्नों से निर्मित हैं। अटारियाँ (जातरूप मनि रचित अटारी) विविध रंगों की मणि-रत्न जड़ित फर्शों से सुसज्जित हैं।

  • उच्च कोटि के महल: महल इतने ऊँचे हैं कि वे आकाश को छूते हैं, और उनके कलश की आभा सूर्य-चंद्रमा को भी फीका कर देती है।

  • सुरक्षा और संरचना: नगर के चारों ओर एक सुंदर परकोटा (कोट) है, जिस पर रंग-बिरंगे कंगूरे बने हैं, जो इसकी सुरक्षा और सौंदर्य दोनों को बढ़ाते हैं।

  • आंतरिक साज-सज्जा: घरों में मणियों के दीपक, मूंगा (विदुम) की देहली, मणियों के खंभे और पन्नों से जड़ित दीवारें हैं—मानो उन्हें स्वयं ब्रह्मा जी ने रचा हो। दरवाजे सोने के और हीरे जड़े (वज्रहिं खचे) हैं।

 

नागरिक सुविधाएँ

  • सड़कें और बाज़ार: रामराज्य के वर्णन में पक्की सड़कों और बाजारों का विवरण है। बाज़ार इस तरह सुव्यवस्थित हैं कि वणिक (कपड़े और सोने के व्यापारी) ऐसे बैठते हैं, मानो स्वयं कुबेर बैठे हों।

  • जल एवं स्वच्छता: सरयू नदी के तट पर स्नान और जल भरने के लिए महिलाओं और पुरुषों हेतु अलग-अलग पक्के घाट की व्यवस्था थी। जल स्रोतों के रूप में बावड़ी, तालाब और कुएँ भी थे।

  • हरियाली: आम नागरिकों के घरों में भी पुष्प वाटिकाएँ थीं, और नगर के बाहर सार्वजनिक बगीचे (बन उपबन बाटिका तड़ागा) थे।

राजकीय स्थापत्य

अयोध्या का राजमहल बहुमंजिला था, जहाँ रनिवास अलग से निर्मित थे। रथ, घोड़े और हाथियों के लिए अलग भवन (घुड़साल, गजशाला) थे। आश्रम, यज्ञशाला और पाकशाला भी पृथक रूप से निर्मित थीं। यह वर्णन सिद्ध करता है कि अयोध्या स्थापत्य की दृष्टि से अत्यंत सुविचारित नगरी थी।

2. जनकपुरी: मर्यादा और सुंदरता का केंद्र

मानस में वर्णित दूसरा बड़ा नगर मिथिला यानी जनकपुरी है।

  • सुगंधित गलियाँ: तुलसीदास जी ने यहाँ के चौराहों, सड़कों और गलियों को सुंदर बताया है, जो सुगंध से सिंची रहती थीं।

  • समृद्ध बाज़ार: यहाँ के बाज़ार सुव्यवस्थित थे, और धनी वणिक (व्यापारी) विभिन्न वस्तुएँ बेचने के लिए बैठे रहते थे।

  • भवन सज्जा: सभी घरों पर सुंदर चित्रांकन था, जिससे लगता था मानो उन्हें कामदेव ने स्वयं चित्रित किया हो। भवनों के दरवाजों पर सुंदर नक्काशी और रत्न जड़े कपाट होते थे।

  • विशेष निर्माण: धनुष यज्ञ के लिए नगर के पूर्व में एक विशाल यज्ञशाला बनाई गई थी, जिसमें लंबा-चौड़ा आँगन, बीच में वेदी और चारों ओर बड़े-बड़े मंच (दीर्घाएँ) बने थे।

  • मनोहर वाटिका: पुष्पवाटिका जहाँ श्रीराम और सीताजी का प्रथम साक्षात्कार हुआ, वहाँ पक्की सीढ़ियों वाला सरोवर और मंदिर भी था।

इस वर्णन से स्पष्ट होता है कि भगवान विश्वकर्मा की तरह जनकपुरी भी अत्यधिक सुव्यवस्थित थी।

3. लंका: स्वर्ण नगरी और सामरिक दुर्ग

रावण की नगरी लंका का वर्णन एक किले (दुर्ग) के रूप में किया गया है।

  • सोने का परकोटा: लंका सोने की थी, जिसके चारों ओर कनक कोट (सोने का परकोटा) बना था, जो रत्नों से जड़ित था।

  • सुव्यवस्थित नगर: यहाँ भी सुंदर घर, चौराहे, बाज़ार और गलियाँ थीं, जो कई तरह से सजे हुए थे।

  • सामरिक संरचना: नगर की रक्षा के लिए चारों ओर विशाल सेना (निसिचर जूथ अतिबल सेन) तैनात थी, और इसमें एक ही प्रवेश द्वार था।

  • अशोक वाटिका: रावण ने माँ सीता को एक स्वतंत्र और भव्य प्राचीन वाटिका—'अशोक वाटिका' में रखा था।

  • विभीषण का निवास: विभीषण के महल का वर्णन करते हुए गोस्वामी जी ने लिखा है कि उनका घर 'रामायुध अंकित' (राम नाम के अस्त्रों से सुशोभित) था और वहाँ तुलसी के पौधे लगे थे।

अभियांत्रिकी के अन्य प्रमाण

  • रामसेतु: समुद्र पर 'नल-नील' नामक वानरों द्वारा बनाया गया तैरता हुआ सेतु (जिसे आज 'एडम्स ब्रिज' के रूप में जाना जाता है) अभियांत्रिकी की उन्नति का एक बड़ा उदाहरण है।

  • पुष्पक विमान: मानस में पुष्पक विमान का उल्लेख भी है, जो यांत्रिकीय उन्नति का प्रतीक है।

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