शंख के फायदे हिन्दू धर्म मे इसकी मान्यता और क्या है शंख पूजा का मंत्र ?

 
शंख बजाने के फायदे
 

शंख का वैज्ञानिक व धार्मिक महत्व

सनातन हिन्दू धर्म के प्रत्येक शुभ कार्य में पूजन-हवन के समय शंख बजाना अनिवार्य कर्म है । भारत का कोई भी मंदिर या घर क्यों न हो किन्तु भगवान की आरती के समय हर मंदिर अथवा घर में शंख अवश्य बजाया जाता है लेकिन आखिर ये शंख क्यों बजाया जाता है और इसके पीछे क्या पौराणिक मान्यता व रहस्य है आज हम आपको इस विषय में महत्वपूर्ण जानकारी देंगे ।     

 

1.      भारतीय सनातन संस्कृति में शंख को बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब देवताओं और दैत्यों के बीच समुद्र मंथन हुआ था तब समुद्र मंथन के फलस्वरूप चौदह रत्न निकले थे इनमे से शंख भी एक था। पुराणों और शास्त्रों में शंख ध्वनि को कल्याणकारी कहा गया है। इसकी ध्वनि विजय का मार्ग प्रशस्त करती है।

2.      मान्यता है कि जिस घर में शंख होता हैवहां माता लक्ष्मी का सदा वास रहता है । माता लक्ष्मी का प्राकट्य भी समुद्र से ही हुआ माना जाता है अतः धार्मिक ग्रंथों में शंख को माता लक्ष्मी का भाई भी बताया गया है अर्थात जहाँ भी शंखनाद होता है वहाँ सदा माता महालक्ष्मी निवास करती हैं 

3.      ब्रह्मवैवर्त पुराण में लिखा है कि शंख में जल रख कर छिड़कने से वातावरण शुद्ध होता है ।

4.      शंख बजाने से फेफड़ों का व्यायाम होता है । पुराणों के अनुसार मान्यता है अगर श्वास का रोगी नियमित तौर पर शंख बजायेतो उसकी साँस की बीमारी ठीक हो जाती है ।

5.      शंख बजाने का सबसे बड़ा सिद्ध लाभ यह है साथ ही वैज्ञानिक प्रयोगों से भी सिद्ध हो चुका है कि वाणी सम्बन्धी सभी विकार शंखनाद के लगातार अभ्यास से पूरी तरह  नष्ट हो जाते हैं ।

6.      यदि कोई मनुष्य बोलने में असमर्थ है या उसे हकलेपन का दोष है तो शंख बजाने से ये दोष भी दूर हो जाते हैं।

7.      हिन्दू धर्म के साथ साथ वैज्ञानिकों का भी मानना है कि शंख बजाने से कई तरह के फेफड़ों के रोग दूर होते है जैसे दमायकृतऔर इन्फ्लून्जा आदि रोगों में शंख ध्वनि बहुत लाभकारी सिद्ध होती है ।

8.      शंख के जल से भगवान शालिग्राम को स्नान कराकर फिर उसी जल को यदि गर्भवती स्त्री को पिलाया जाए तो उससे पैदा होने वाला शिशु पूरी तरह स्वस्थ होता है। साथ ही बच्चा कभी मूक या हकला नहीं होता।

9.      मान्यता है कि शंखों में भी विशेष शंख को दक्षिणवर्ती शंख कहते है। इस शंख में दूध भरकर भगवान शालिग्राम का अभिषेक करेंफिर इस दूध को निःसंतान महिला को पिलाएं इससे उसे शीघ्र ही सन्तान का सुख मिलता है किन्तु विशेष ध्यान रहे गर्भवती स्त्री को शंख नाद नहीं करना चाहिए क्योंकि शंख को फूंकते समय मांसपेशियों पर तनाव आने से गर्भ पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त गर्भवती स्त्री को पास से शंख की तेज ध्वनि भी नहीं सुननी चाहिए।

10.  शंखघोष से निकलने वाले ॐ का महानाद मानसिक रोगों के लिए भी लाभकारी होता है ।

11.  शंखनाद मनुष्य के कुण्डलिनी चक्र को जाग्रत करने का भी एक सशक्त माध्यम है। शंख बजाने से विशेष प्रकार के कुम्भक (प्राणायामकी प्रक्रिया संपूर्ण होता हैइसलिए यह मनुष्य के शरीर  के पूरे तन्त्रिका तन्त्र को जाग्रत कर देता है।

12.  शंखनाद से आस पास के पूरे वातावरण की शुद्धि होती है।

13.  शंख का धार्मिक दृष्टि से ही नहींवैज्ञानिक रूप से महत्व है। वैज्ञानिकों का मानना है कि  इसके प्रभाव से सूर्य की हानिकारक किरणें बाधक होती है इसलिए सुबह और शाम शंख ध्वनि करने का विधान सार्थक माना गया है।

14.  शंख की ध्वनि जहां तक जाती हैवहां तक वातावरण में फैली सभी बीमारियों के कीटाणु स्वतः ही नष्ट हो जाते है।

15.  शंख बजाने से पर्यावरण शुद्ध हो जाता है। शंख में गंधकफास्फोरस और कैल्शियम जैसे उपयोगी पदार्थ मौजूद होते हैयही कारण है कि शंख में डाला गया जल शुद्ध और रोगाणु रहित हो जाता है इसलिए शास्त्रों में शंख को बजाना महाऔषधि भी माना गया है।
   शंख की पूजा के लिए मन्त्र
  त्वं पुरा सागरोत्पन्नो विष्णुना विधृतः करें । निर्मितः सर्वदेवैश्च पाञ्चजन्य नमोsस्तुते ।।

                                

पंडित अनुराग मिश्र

                                                                                                                              संकलन - पं.अनुराग मिश्र “अनु”

                                                               स्वतंत्र पत्रकार व आध्यात्मिक लेखक   

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