क्या आपको पता है कि बिल्ली की जेर क्या होती है

 

लेकिन मान्यता के अनुसार यदि इसे प्राप्त कर लिया जाये तो बहुत ही लाभकारी सिद्ध होती है ये बिल्ली की जेर |

डेस्क -हम आपको बताने जा रहे है की बिल्ली की जेर की पूजा और स्थापना कैसे करें |सबसे पहले हम आपको बता दे की बिल्ली की जेर होती क्या है ?

बिल्ली की जेर या बिल्ली की नाल एक पूजा पाठ की वस्तु है जो की बिल्ली से प्राप्त होती है, जब बिल्ली बच्चे देती है तो उसकी नाल को लोग रख लेते है परन्तु ज्यादातर मौको पर बिल्ली अपने नाल को खा जाती है, लेकिन मान्यता के अनुसार यदि इसे प्राप्त कर लिया जाये तो बहुत ही लाभकारी सिद्ध होती है ये बिल्ली की जेर | और अगर यह जेर काली बिल्ली की हो तो और ही शुभ माना जाता है |बिल्ली के प्रसव के समय बिल्ली के द्वारा एक प्रकार की थैली त्यागी जाती है, जिसे आंवल या जेर कहते है | प्रायः सभी पशुओँ में प्रसव के समय आंवल निकलता है, परन्तु बिल्ली की विशेषता यह है की बिल्ली अपना आंवल तुरंत खा जाती है | पालतू बिल्ली का आंवल किसी कपड़े से ढक कर प्राप्त कर लिया जाये तो इसका तांत्रिक प्रभाव धन-धान्य में वृद्धि करता है |

मार्जारी तंत्र

  • मार्जारी अर्थात बिल्ली सिंह परिवार का जीव है,केवल आकार का अंतर इसे सिंह से प्रथक करता है ,अन्यथा यह सर्वांग में सिंह का लघु संस्करण ही है |
  • मार्जारी अर्थात बिल्ली की 2 श्रेणियां होती हैं पालतू और जंगली |
  • जंगली को बन बिलाव कहते हैं यह आकार में बड़ा होता है जबकि घरों में घूमने वाली बिल्लियां छोटी होती है |
  • बनबिलाव को पालतू नहीं बनाया जा सकता किन्तु घर में घूमने वाली बिल्ली पालतू हो जाती है|
  • अधिकतर यह काले रंग की होती है,किंतु सफेद चितकबरी और लाल (नारंगी) रंग की बिल्लियां भी देखी जाती है|
  • अस्तु घर में घूमने वाली बिल्ली (मादा )लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कराने में सहायक होती है किंतु तंत्र प्रयोग दुर्लभ और अज्ञात होने के कारण सर्व साधारण के लिए लाभकारी नहीं हो पाता |
  • वैसे यदि कोई व्यक्ति इस मार्जारी तंत्र का प्रयोग करें तो निश्चित रुप से वह लाभान्वित हो सकता है |

बिल्ली की जेर की पूजा कैसे करें ?

सर्वप्रथम बिल्ली की जेर की शुद्धता जाँच कर लेनी चाहिए और उचित नक्षत्र में इसको गंगा जल से स्नान करा लें और लाल कपड़े में लपेट कर उचित स्थान में रख लें | जब इसका पानी सूख जाये तो अबूझ मुहूर्त में विधिवत सिद्ध करने के पश्चात इसे चांदी की डिब्बी में रखना चाहिए |

इसे 11 दिन तक पूजा मंदिर में रखना है, 11 दिन बाद इसे अपनी तिजोरी या गल्ले में छिपा कर रखना है |

बिल्ली की जेर सिन्दूर के साथ रखने से घर में सूख शांति आती है, धन धान्य और संपत्ति में अपार वृद्धि होती है, घर पर किये गए अभिचार प्रयोग असर नहीं करते, घर को किसी की नजर नहीं लगती और बाधाएं दूर रहती हैं |

इसके साथ ही मनोकामना पूर्ति के लिए और आकर्षण, मोहन, वशीकरण अन्य अभिचार कार्यो के लिए बिल्ली की जेर कुछ ही दिनों में सिद्ध हो जाती हैं और अति शीघ्र असर दिखने लगता हैं |

बिल्ली की जेर की पूजा के लिए सबसे शुभ दिन गुरुवार का होता है
गुरुवार के दिन बिल्ली की जेर को निकल कर किसी लाल कपडे पर रखें,इसको शुद्धि के लिए इसको गंगा जल में डुबो कर निकाल ले और लाल कपडे में लपेट कर रख ले और फिरघी के ५ दिए जलाकर मंदिर के सामने बैठ जाए और बिल्ली की जेर के ऊपर विधिवत माता लक्ष्मी का ध्यान करते हुए नीचे दिए गए मंत्रो का जाप १०८ बार करें
‘ओम श्रीम उलूक मम कराया कुरु कुरु नमः ‘

अब बिल्ली के जेर के ऊपर कुमकुम, अक्षत, तिलक और अगरबत्ती दिखाकर इसको एक लकड़ी के डिब्बे में सिन्दूर भरकर डिब्बी को बंद कर दे और इसे लाल चुन्नी में लपेट कर स्थापित कर दे |

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