Management किस तरह करना है ,सीखें हनुमानजी से
HANUMANJI जी ने निबटाया के समस्याओं को
ज्योतिष(Jyotish) जिस तरह से आज का युवा इस बारे में परेशान है कि उसके सामने समस्याओं का अंबार खड़ा हुआ है और उससे वह किस तरीके से निपटे लेकिन रामचरितमानस (Ramcharit Manas) में इसकी बहुत ही अच्छी तरीके से व्याख्या की गई है।
Youth Icon और हनुमानजी (Hanuman ji ) में अगाथ श्रद्धा रखने वाले विक्रम वीर शुक्ला ने बताया है कि
सुंदरकांड (Sundarkand)मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम (Shri Ram) और उनके अनुज लक्ष्मण माता सीता की खोज वन -वन भटकते हैं .
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम इतना अधीर हैं उन्हें जब कुछ समझ में नहीं आता कि वह किससे और कैसे पता लगाएं की सीता कहाँ हैं ,वह कहते हैं "खग मृग हे मधुकर श्रेणी तुम देखी सीता मृगनैनी" इसी क्रम में उनकी मुलाकात पवनसुत "हनुमान" जी से होती है हनुमान जी ब्राह्मण का वेश धारण कर पूछते हैं कि आप कौन हैं और इस तरह वन में क्या कर रहे हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम (Ram)अपना परिचय और अपने अनुज का परिचय बताते हैं और वन में भटकने का कारण और अपनी व्यथा बताते हैं ।
यहीं हनुमान जी की और मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम और सुग्रीव की मित्रता होती है तत्पश्चात बाली का वध करके सुग्रीव को राजा बनाते हैं ,और अपने सीता की खोज के कार्य को करने का जिम्मा सुग्रीव को देते हैं ।
सुग्रीव (Sugriv) राजा बनने के बाद भोग विलास में नित्य मनोरंजन में व्यस्त हो जाते हैं उधर भगवान राम को क्रोध आता है और लक्ष्मण को भेजते हैं जाओ और सुग्रीव को यह बताओ कि जिस तरह से बाली का वध किया उसी उसी तरह के कई बाण अभी मेरे पास में है।
लक्ष्मण जाते हैं और सुग्रीव को उनके कार्य की याद दिलाते हैं सुग्रीव तुरंत सभी कपियों को जामवंत जी के नेतृत्व में बुलाते हैं और सीता जी की खोज के लिए लंका जाने का आदेश देते हैं।
इसी क्रम में जामवंत जी बारी -बारी सब से पूछते हैं अपना बल बताते हैं बारी-बारी अपना बिल बताते हैं ।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है अपना अपना बल सबका होगा।
"आपन आपन बल सब काहू भाखा पार जा। और इसी क्रम में जब जब जामवंत जी ने युवराज अंगद से कहा कि आप जाएं अंगद ने भी अपनी असमर्थता जाहिर की अंगद कहे जाऊं मैं पहरा यह संस्कृति बारा जामुन जी के सामने आप जामुन जी के सामने केवल और केवल एक ही विकल्प और वह भी पवनसुत हनुमान जी और उन्होंने हनुमान जी से ही इस कार्य को करने के लिए कहा मनुष्य के अंदर असीम शक्तियां विद्यमान है ।
इस पृथ्वी के किसी भी कार्य को चाहे वह जितना भी कठिन हो कर सकता है उसके लिए असंभव कुछ भी नहीं अर्थात सब कुछ संभव है बस उसको एक कुशल मार्गदर्शक एक कुशल मोटिवेटर (Motivator) कुशल पथ प्रदर्शक महाराष्ट्र का सानिध्य प्राप्त हो जाए जामवंत जी जहां जामवन्त हनुमान जी से कहते हैं कि आप ही सब लायक हैं आप ही सब कार्य करने के लायक आप ही नेतृत्व कर सकते हैं और उनके अंदर असीम विद्वान शक्तियों की तरफ उनका ध्यान आकर्षित करते हैं और बताते हैं कि कौन सो काज कठिन जग माही जो नहीं होय तात तुम पाही कई बार हम किसी को प्रेरित करते करते हैं उत्साहित करते करते इतना उत्साहित कर देते हैं की वह उस कार्य को करने के लिए भी तैयार हो जाता है ।
जो उसके लिए नहीं है इसलिए इसलिए मार्गदर्शक मार्गदर्शक या पथ प्रदर्शक जो प्रोत्साहित भी करता है उत्साहित करता है उसको भी इस चीज का ध्यान रखना चाहिए उसको भी सीमाओं का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि जहां मोदी जी हनुमान जी को हनुमान जी को उत्साहित करते हुए उनकी असीम शक्तियों कुछ जागृत करा कर उस कार्य जोकि भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को करना है उसे भी हनुमान जी स्वयं करने की बात करने लगते हैं.
विक्रम वीर शुक्ल