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worship temple vastu tips for home puja mandir vastu : कितना सही है घर में मंदिर होना

worship temple vastu tips for home puja mandir vastu : How correct is it to have a temple at home
 
कितना सही है घर में मंदिर होना

( ज्योतिष एवं वास्तु सलाहकार रजत सिंगल जी  ) हर घर में पूजा करने के लिए एक स्थान बना होता है, जहां पर आप पूजा-अर्चना करके भगवान से अपने सुख दुख की बातें करते हैं और उनसे अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए आराधना करते हैं, लेकिन घर में मंदिर होना चाहिए या नहीं यह बड़ा सवाल है अक्सर लोग इस बात को लेकन उलझन में रहते हैं कि घर में मंदिर होना ठीक रहता है या नहीं। अगर वास्तु के दृष्टिकोंण से देखा जाये तो घर में मंदिर होना वास्तु सम्मत नहीं है।

हिंदू मान्यता में 33 करोड़ देवी देवता हैं। जो विभिन्न शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए उनकी पूजा अर्चना करने का प्रावधान है। लेकिन अकसर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि घर में मंदिर होना चाहिए या नहीं। प्राचीन धार्मिक ग्रंथों और विश्वकर्मा प्रकाश जैसे वास्तुशास्त्र के ग्रंथों में घर के अंदर मंदिर बनाने को वर्जित माना गया है। इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि वास्तु में हर चीज के लिए अलग स्थान है। जब आप गृहस्थ जीवन का पालन करते हैं, तब आप अपने घर में पूजा के लिए स्थान तो बना सकते हैं, लेकिन वहां पर मंदिर का निर्माण नहीं कर सकते हैं। 

वास्तु के परिप्रेक्ष्य में घर में मंदिर

कई बार कुछ लोग अज्ञानवश अपने घर में ही बड़ी-बड़ी मूर्तियां स्थापित कर देते हैं। जो कि गलत है मंदिर में मूर्ति स्थापना की विधिवत विधि होती है, जो कि गृहस्थ धर्म का पालन करने वालों के लिए वर्जित है।  पुराणों में ऐसी मान्यता है कि जिस जगह मंदिर बनाया जाता है वहां पर पूजा सार्वजनिक तौर पर होनी चाहिए और पूजा करने के लिए पंडित या पुजारी की उपस्थिति अनिवार्य है। इसके अलावा मंदिर में पुजारी की उपस्थिति अनविार्य है।

पूजा स्थल की दिशा का चयन

ज्योतिष एवं वास्तु सलाहकार रजत सिंगल जी अनुसार वास्तुशास्त्र में विभिन्न देवी देवताओं के लिए पूजा की दिशा अलग-अलग बतायी गयी है मसलन मां काली का क्षेत्र दक्षिण है और भगवान विष्णु का पूर्व लेकिन आप देवी देवताओं की दिशा के अनुरूप पूजा स्थल नहीं बना सकते। वास्तु में पूजा स्थल दिशा के लिए उत्तर-पूर्व दिशा क्षेत्र को उचित बताया गया है। यहां पर आप किसी भी देवी देवता की पूजा कर सकते हैं।

यदि इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोंण से देखें, तो उत्तरपूर्व दिशा से ही कॉस्मिक उर्जा का प्रवाह शुरु होता है, जो कि जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानी गयी है। कॉस्मिक उर्जा की वजह से उत्तर पूर्व पूजा करने के लिए सबसे ज्यादा शुभ स्थान होता है।अगर पूजा स्थल उत्तर-पूर्व दिशा क्षेत्र में बना पाना संभव ना हो, तो फिर आप पूजा करने के लिए उत्तर दिशा में पूजा का स्थान बना सकते हैं।

पूजा स्थल दक्षिण दिशा में नहीं बनाना चाहिए क्योंकि यहां पर पूजा स्थल बनाने से आप पूरी तरह से तन्मय होकर प्रभु की आराधना में लीन नहीं हो पायेंगे। इस जगह पर पूजा स्थल होने से पूजा से मन भटकता है। इसके अलावा यहां पूजा करने से आप अपने जीवन में बेकार की मुसीबतों को न्यौता दे सकते हैं।

पूजा कक्ष की सजावट

पूजा कक्ष की सजावट करते समय रंगों का खास ख्याल रखें पूजा के कमरे में धार्मिक रंगों के पर्दों का इस्तेमाल बिल्कुल ना करें। पूजा कक्ष के पर्दों के लिए दिशाओं से संबंधित रंगों का चयन करें। इसके अलावा इस बात का ध्यान रखें कि घर में बने पूजा स्थल को सार्वजनिक मंदिरों की तरह बहुत ज्यादा ना सजायें।जिस जगह पर आप प्रभु की आराधना कर रहे हैं, जिस कमरे में आप नियमित तौर पर पूजा करते हैं, उस कमरे में सफेद, हल्का पीला जैसे हल्के रंगों का पेंट करना चाहिए।भगवान की फोटो रखते समय यह ध्यान रखें कि वह उत्तर-पूर्व दिशा में हो। यह सवा 5 इंच से बढ़ी न हो। पूजा करने के लिए पूजा स्थल पर भगवान की मूर्ति और प्रतिमा के स्थान पर उनकी फोटो रखें क्योंकि मूर्ति की स्थापना की जाती है, जो कि सार्वजनिक मंदिरों में ही होती है।

कुछ सख्त नियमों का ध्यान रखें 

घर में पूजा करते समय भी कभी भी घंटी या शंख बजाकर भगवान की पूजा ना करें। यदि आप घर में शंख बजाकर विधिवत पूजा करना चाहते हैं, तो शंख उसी अवस्था में बजायें, जब आपको शंख बजाने की सही विधि ज्ञात हो। वैसे शंख बजाने से घर की नकारात्मक उर्जा समाप्त होती है, इसलिए शंख बजाकर पूजा करने के लिए उसकी सही विधि ज्ञात कर लें।

पूजा करते समय प्रभु को हमेशा ताजे फूल ही अर्पित करें।

पित्रों की फोटो को भूलकर भी भगवान की फोटो के साथ ना रखें क्योंकि पित्रों का स्थान दक्षिण-पश्चिम दिशा में है। ऐसी और भी उपयोगी वास्तु टिप्स सीखने के लिए जुड़िए रजत सिंगल जी की आगामी वास्तु वर्कशॉप में। अधिक जानकारी के लिए हमें 8585984141 पर संपर्क करें।

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