How did Dwarka sink in water? द्वारका नगरी समुद्र में कैसे डूब गई जानिए
वैज्ञानिकों का मानना है कि द्वारका नगरी के डूबने के पीछे कई कारण
भूकंप या सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदा
समुद्र के स्तर में वृद्धि
मानवीय गतिविधियों के कारण तटीय क्षरण
हाल के वर्षों में वैज्ञानिकों ने द्वारका नगरी के अवशेषों की खोज की है। इन खोजों से पता चलता है कि द्वारका नगरी एक समृद्ध और विकसित नगर थी। इसमें सोने, चांदी और रत्नों से बने महल, मंदिर और अन्य इमारतें थीं। द्वारका नगरी के रहस्य अभी भी अनसुलझे हैं। वैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों के प्रयासों से इन रहस्यों को सुलझाने में मदद मिल सकती है।
When was the city of Dwarka found in the sea? द्वारका नगरी समुद्र में कब मिली थी?
द्वारका नगरी की खोज पहली बार 1963 में हुई थी। उस समय, डेक्कन कॉलेज पुणे, गुजरात सरकार और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने मिलकर समुद्र के तल पर खनन किया। इस दौरान, उन्होंने 3,000 साल पुराने बर्तन और ढांचे पाए। 1977 में, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने द्वारका नगरी की खोज के लिए एक विशेष टीम बनाई। इस टीम ने समुद्र के तल पर व्यापक सर्वेक्षण किया और कई महत्वपूर्ण अवशेष पाए। इन अवशेषों में मंदिरों के खंडहर, सड़कों, नालियों और दीवारों के अवशेष मिले थे|
द्वारका नगरी की खोज के बाद, पुरातत्वविदों ने इस शहर के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की है। उन्होंने इस बात का प्रमाण पाया है कि द्वारका नगरी एक विकसित शहर था जिसमें एक मजबूत रक्षा प्रणाली थी। शहर में कई मंदिर और अन्य धार्मिक स्थल थे। द्वारका नगरी की खोज ने इस बात को साबित किया है कि महाभारत काल का इतिहास वास्तविक है। यह इस बात का भी प्रमाण है कि भगवान कृष्ण ने वास्तव में अस्तित्व में थे और उन्होंने द्वारका नगरी पर शासन किया था। द्वारका नगरी की खोज ने हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल प्रदान किया है।