रात को चुपचाप ये दुर्लभ और गुप्त कुबेर मंत्र जपें रातोंरात हो जाएगा ये चमत्कार
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kuber laxmi puja dhan prapti लोग धनवान बनने के लिए माता लक्ष्मी की पूजा करते है लेकिन किसी को ये पता नहीं होता है कि बिना #कुबेर की पूजा किये माता लक्ष्मी भी प्रसन्न नहीं होती है. इससे पहले की आपको हम वो मंत्र बताएं आप पहले ये जान लीजिये की कुबेर जी है कौन ? हम जिस देवता की बात कर रहे हैं वह कोई और नहीं रावण के सौतेले भाई कुबेर महाराज हैं जिन्हें देवताओं के धन का खजांची कहा जाता है। जिनकी पत्नी स्वयं धन की देवी लक्ष्मी है उन भगवान विष्णु को भी एक बार कुबेर से कर्ज लेना पड़ा था। इस कर्ज को चुकाने के लिए तिरूपति बालाजी को सोने, चांदी, हीरे मोतियों के गहने चढ़ाए जाते हैं।
कुबेर मटका
स्कंद पुराण की कथा के अनुसार कुबेर सोमदत्त दीक्षित नामक ब्राह्मण के पुत्र थे जिनका नाम गुणनिधि था। अपने नाम के विपरीत गुणनिधि में सारे अवगुण भरे थे। बुरी संगत में पड़कर वह चोरी करने लगा। नाराज होकर पिता ने इन्हें घर से निकाल दिया। इसके बाद गुणनिधि और भी गलत काम करने लगा।
गुणनिधि को राजा ने अपने देश से निकाल दिया। भूख प्यास से व्याकुल गुणनिधि किसी अन्य नगर में जा रहा था तभी उसकी नजर एक मंदिर पर गई। गुणनिधि ने भूख मिटाने के लिए मंदिर से प्रसाद चुराने का विचार किया और मौका मिलते ही मंदिर में जा पहुंचा।
- इस मन्त्र को दक्षिण की ओर मुंह करके पढ़ें और इसे लगातार 108 बार पढ़ना होगा. मन्त्र का जाप आपको 51 दिन तक करना है जिसके बाद ही कुबेर प्रस्सन हो पाएंगे और आपके ऊपर धन की वर्षा होगी.
- मन्त्र पढ़ने से पहले अपने आगे एक कौड़ी रख लें और इसके बाद उस कौड़ी को रोज़ तिजोरी में रखें.
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ये है वो मन्त्र जिसके बारे में कहा जाता है कि इस मन्त्र को खुद कुबेर जी ने जपा था
ॐ यक्षाय कुबेराय वैष्णवाय, धन धन्यधीप्तये धन धान्य समृद्धि में देही दापय स्वाहा
लक्ष्मी कुबेर मंत्र से धन प्राप्ति के टोटके
लक्ष्मी प्राप्ति यानि की धन प्राप्ति के लिए लक्ष्मी कुबेर मंत्र का प्रयोग करना होगा और धन प्राप्ति के लिए पूजा विधि और मन्त्रों का जाप 108 मन्त्रों का जाप लगातार 3 महीने तक करना है और इसमें कोई भी संशय नहीं है की तीन महीने तक पूजा पाठ करने से धन की प्राप्ति होगी |
साथ ही लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी मन्त्रों का जाप करना चाहिए जानिए क्या है लक्ष्मी मन्त्र लक्ष्मीॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:। माता लक्ष्मी के इस मंत्र का जाप करने से धन की प्राप्ति होती है साथ धन आगमन के साधन बन जाते हैं और धीरे धीरे धन की स्थिति काफी अच्छी हो जाती है इसके लिए लगातार इन मन्त्रों का जाप करना चाहिए |
पूजा स्थान पर कुबेर यंत्र की स्थापना
पूजा स्थान पर कुबेर यंत्र की स्थापना करनी चाहिए और कुबेर लछमी मन्त्र की स्थापना करनी चाहिए और इसके लिए लक्ष्मी कुबेर मन्त्रों का जाप करना चाहिए कोशिश करें कि रोज १०८ मन्त्रों का जाप करें यांकी की एक माला का जाप रोज करना चाहिए और कुबेर यंत्र के लिए अस्टधातु चांदी या फिर सोने के यंत्र की स्थापना कर सकते हैं अपने सामर्थ्य अनुसार कर सकते है महत्वपूर्ण है की आप मन्त्रों का लक्ष्मी कुबेर मन्त्रों का जाप लगातार करें क्योंकि परिणाम तो मन्त्रों का ही होता है अगर अपना सामर्थ्य नहीं है तो भोजपत्र पर भी कुबेर यंत्र बना सकते हैं |
भोजपत्र पर अगर कुबेर यंत्र बनाना है तो इसके लिए लाल चन्दन क इस्तेमाल कर सकते हैं |
किस तरह से करें कुबेर साधना कलश स्थापना
कुबेर की स्थापना करने के लिए इन मन्त्रों का जाप करें
अ ऊँ नमो कुबेराय वैश्रवणाय अक्षय।
समृद्धि देहि कनक धारायै नम:।।
सिद्ध कुबेर यंत्र को थाली में चावल के ऊपर प्रतिष्ठित कर रखें। रोली, केसर, फल-फूल से पूजा करें। चावल सफेद पोटली में बांधकर तिजोरी में रखें यंत्र भी तिजोरी में रखें।
लाभ- गोल्ड रत्न ज्वैलरी के काम करने वालों के लिये यह साधना वरदान है। गया धन वापिस आता है। भूमि विवाद दूर होते है। अखण्ड धन लक्ष्मी, राज्य कृपा प्रमोशन की प्राप्ति होती है।
कौन है कुबेर
ऊँ श्रीं ऊँ ह्रीं श्रीं ह्रीं
क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नम:।।
मनुष्यों, यक्षों गंधर्वों तथा राक्षसों के लिये तथा देवों के लिये भी कुबेर पूजनीय है। कुबेर के पिता विश्रवा तथा माता इडविडा हैं। इनकी सौतेली माता का नाम कैकसी था।
कुबेर की पत्नी का नाम श्रद्धा तथा दोनों पुत्रों के नाम 'नल कुबेर' व 'नील ग्रीव' है। कैलाश पर्वत पर स्थित अलकापुरी इनकी राजधानी है। परंतु सर्वप्रथम इनका मूल निवास त्रिकूट पर्वत स्थित विश्वकर्मा द्वारा निर्मित स्वर्ण नगरी लंका थी।
जैसे देवताओं के राजा इंद्र हैं।– गुरु बृहस्पति है। इसी प्रकार निखिल ब्राह्मांडों के धनाधिपति धनाध्यक्ष कुबेर है। महाभारत में कहा गया है कि महाराज कुबेर के साथ भार्गव-शुक्र तथा धनिष्ठा नक्षत्र भी दिखाई पड़ते हैं। इन तीनों की कृपा के बिना धन-वैभव की प्राप्ति नहीं होती है।
सुख वैभव प्रतिष्ठा भी दिलाते हैं कुबेर पूजा विधि
निम्न मंत्र प्रयोग से जन्मों की दरिद्रता दूर होती है। घर में अपार धन, ऐश्वर्य, संपदा, भवन, आभूषण, रत्न, वाहन, भूखंड व प्रतिष्ठा की प्राप्ति निश्चित होती है।
भगवान शंकर की पूजा करने के बाद रावण को शूल पाणि शिव ने इस मंत्र का ज्ञान कराया था। इस मंत्र की 11 माला जाप 11 दिन तक नियम से करें। जाप के बाद हवन, तर्पण, मार्जन तथा ब्राह्मण भोजन आवश्यक होता है।
धूप-दीप जलाकर, फल-फूल व मिष्ठान से भोग लगाकर, श्री कुबेर यंत्र पर चंदन (लाल) कुंकुम का तिलक लगाकर निम्न मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए। एक माला ऊँ गं गमपत्यै नम: का जाप करें।
कुबेर मंत्र
विनियोग
ऊँ अस्य श्री कुबेर मंत्रस्य विश्रवा ऋषि:, बृहती
छन्द: शिवसखा धनाध्यक्ष देवता, अखंड धन
लाभ प्राप्यर्थे जपे विनियोग:
ध्यान
मनुजवाह्म विमानवर स्थितं
गरुडरत्न निभं निधिनायकम्।
शिवसखं मुकुटादि विभूषितं
वरगदे दधतं भज तुन्दिलनम्।।
प्रार्थना मंत्र
देवि प्रियश्च नाथस्य कोषाध्यक्ष महामते।
ध्यायेSहं प्रभुं श्रेष्ठं कुबेर धनदायकम्।।
क्षमस्व मम दौरात्म्यं कृपासिंधो सुर:प्रिय:।
धनदोSसि धनंदेहि अपराधांश्च नाशय।।
महाराज कुबेर त्वं भूयो भूयो नमाम्यहम्।
दीनोपि चदया यस्त जायतुं वै महाधन:।।
मंत्र
ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय
धनधान्य अधिपतये धनधान्य
समृद्धिं में देहि दापय स्वाहा।।
कहाँ करें कुबेर पूजा ?
यह मंत्र शिवजी के मंदिर में या बेलपत्र के पेड़ के नीचे बैठकर जपने से सिद्धि शीघ्र मिलती है। एक लाख जप करने से इसका पुरश्चरण होता है। दशांश हवन तिल व देसी घी से होता हैं । मंदिर में जाकर पूजा करने से अवश्य ही कुबेर की कृपा प्राप्तहोती है और सारे सुख संपत्ति मिलती है |