Kalawa benefits and rules मौली या कलावा क्यों बांधते हैं ? जानिए कितनी बार और किस मंत्र से बांधते हैं कलावा

सनातन धर्म मे कलावा की क्या है भूमिका
मौली या कलावा किसी भी पूजा पाठ के बाद में बांधा जाता है और पूजा पाठ करवाने के बाद में पंडित जी द्वारा एक धागा जो की लाल और पीला मिला हुआ रहता है उसकी रक्षा सूत्र या मौली या कलावा भी कहते हैं।
माना जाता है की सनातन धर्म में जिस तरीके से तिलक लगाने का बहुत ही महत्व है उसी तरीके से मौली बांधने का भी महत्व मौली या कलवा को इसलिए बांधा जाता है कि उसको यह माना जाता है कि यह रक्षा सूत्र होता है और इसके कारण लक्ष्मी मां दुर्गा और सरस्वती तीनों का आशीर्वाद मिलता है जिसके कारण जो भी हम जिस भी कार्य के लिए पूजा पाठ हमने किया है वह सफल रहता है।
कलावा कितनी बार लपेटना चाहिए ?
कर्मकांड की जानकारी बताते हैं कि कलवा को तीन पांच या सात पर चल हवा को उसे धागे को लपेटकर कलाई पर बांधना चाहिए जो शादीशुदा लोग हैं पुरुष हैं और दाहिने हाथ में बांधते हैं जबकि महिलाएं बाएं हाथ में के अलावा बनती हैं यह भी कहा जाता है कि कलवा बनवेट समय पंडित जी द्वारा मित्रों का उच्चारण कि weया जाता है और जिसमें कलवा बंद है उसमें मुट्ठी बंद होनी चाहिए और अपना बाया हाथ सिर के ऊपर होना चाहिए पुरुषों का।
रक्षा सूत्र बांधते समय कौन सा मंत्र पढ़ते हैं ?
शास्त्रों में वर्णित है कि कलावा या मौली बांधते समय मंत्र का जाप किया जाता है और यह माना जाता है कि इस कलावा से रक्षा होती है ।
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥
रोली मौली क्या होता है ?
मौली को अक्षत और रोली के साथ मिलाकर उसके बाद मंत्रों के उपचार के साथ रक्षा के लिए बंधा जाता है और माना जाता है कि इससे धारण करने वाले कि रक्षा होती है ।