khichdi 2021: मकर संक्रांति पर क्यों खाते हैं खिचड़ी, ये है खास महत्व

khichdi 2021: मकर संक्रांति पर क्यों खाते हैं खिचड़ी, ये है खास महत्व

Dharm Desk -मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2021) को हिंदू धर्म (Hindi Religion) के लोग एक प्रमुख त्योहार (Festival) के तौर पर मनाते हैं। ज्योतिष (Astrology) के जानकारों मुताबिक जब सूर्य, (Surya) धनु राशि (Sagittarius Zodiac) से मकर राशि (Capricorn Zodiac) में प्रवेश करता है तब इसे मनाया जाता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश संक्रांति (Sankranti) कहलाती है। साल 2021 में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2021) 14 जनवरी को पड़ रही है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन खिचड़ी खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दिन लोग अलग-अलग पकवान के साथ खिचड़ी भी खाते हैं, क्योंकि इस खिचड़ी खाने का अपना अलग ही महत्व है। आइए जानते हैं कि मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर खिचड़ी (khichdi 2021) क्यों खाते हैं?

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर खिचड़ी (khichdi) खाने के पीछे क्या है मान्यता?

ज्योतिषीय मान्यताओं (Astrological beliefs) के मुताबिक खिचड़ी (Khichdi) चंद्रमा (Moon) का प्रतीक है। इसके साथ ही खिचड़ी ( Khichdi) में जो उड़द की दाल (urad daal) मिलाई जाती है, उसे शनि (Saturn) का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा खिचड़ी (Khichdi) में मिलाई जाने वाली हरी सब्जियां (Green Vegetables) बुध ग्रह (Mercury Planet) का कारक है। वहीं मान्यता यह भी है कि खिचड़ी की गर्मी मंगल (Mars) और सूर्य ग्रह (Sun Planet) का कारक है। यही कारण है कि मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन खिचड़ी (Khichdi) खाने से ग्रहजन्य दोष खत्म हो जाते हैं और भगवान सूर्य ( Lord Surya) की कृपा बनी रहती है। इतना ही नहीं कुछ पंडित यह भी मानते हैं कि मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन नए अनाज की खिचड़ी खाने से मनुष्य पूरे साल भर तक निरोग (Healthy) रहता है।

खिचड़ी की धार्मिक मान्यता (religious belief Khichdi)

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर खिचड़ी (Khichdi) खाने की एक अन्य धार्मिक मान्यता (religious belief) भी काफी प्रचलित है। जिसके अनुसार जब खिलजी वंशों का भारत पर आक्रमण हुआ था तब बाबा गोरखनाथ (Gorakhnath) खाना नहीं पका पाते थे। कई दिनों तक भूखे रहने के कारण वे दिन-प्रतिदिन कमजोर होते जा रहे थे। योगी और साधुओं की ख़राब हालत को देखकर बाबा गोरखनाथ (Yogi Gorakhnath) ने अपने योगियों से चावल, दाल और सब्जी को मिलाकर पकाने के लिए कहा। कहते हैं कि बाबा गोरखनाथ (Baba Gorakhnath) ने चावल, दाल और सब्जी को मिलाकर पकाए हुए व्यंजन को खिचड़ी (Khichdi) का नाम दिया। मान्यता है कि इसी कारण से मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के पर्व पर गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath Temple) परिसर में आज भी खिचड़ी (Khichdi) का मेला लगता है। साथ ही इस अवसर पर बाबा गोरखनाथ (Baba Gorakhnath)को खिचड़ी (Khichdi 2021) का भोग लगाया जाता है।

खिचड़ी पर करें ये खास उपाय

दुर्भाग्य दूर करने के लोहड़ी पर भगवान सूर्य की पूजा कर उनको चढ़ाया हुआ प्रसाद रेवड़ियां आदि को गरीब कन्याओं में बाटें।

पारिवारिक झगड़ों से छुटकारा पाने के लिए उड़द और चावल की काली गाय को खिलाएं। साथ ही भगवान सूर्य को जल दें।

सौभाग्य की प्राप्ति के लिए गुड़-तिल गरीबों को बांटे। साथ ही सविधि भगवान सूर्य की उपासना करें।

आर्थिक समस्या से मुक्ति पाने और नौकरी-व्यापार में उन्नति पाने के लिए लोहड़ी के दिन लाल कपड़े में गेहूं बांधकर किसी ब्राह्मण को दान करें।

खिचड़ी के दिन तिल से हवन करना, तिल खाना करना और दान करना हर तरह से शुभ माना गया है। ऐसा करने से शरीर निरोग रहता है।

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