Kundli analysis free in hindi कुंडली कैसे देखा जाता है ? खुद की कुंडली देखने का सही तरीका

 
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कुंडली कैसे देखा जाता है? खुद की कुंडली देखने का सही तरीका 

खुद की कुंडली कैसे देखें ? कुंडली देखने का सही तरीका


किसी भी व्यक्ति के लिए कुंडली बहुत ही महत्वपूर्ण चीज होती है लेकिन जब हम किसी से अपने कुंडली को दिखाने जाते तो उसमें कई ऐसी सारी चीजें होती हैं जो खुद को समझ में नहीं आती है ऐसे में अगर कोई खुद की कुंडली देखना चाहता है तो कुंडली देखने में क्या कुछ ऐसी बेसिक चीजें हैं उसको देखा जाना चाहिए इस बारे में ज्योतिषाचार्य आचार्य विमल त्रिपाठी बताते हैं कि कुंडली देखने के लिए उसका लग्न देखना बहुत ही महत्वपूर्ण रहता है क्योंकि लगने से ही व्यक्ति के शारीरिक संरचना आचार व्यवहार मन की स्थिति और शारीरिक क्षमता को देखा जाता है अब तक कुल मिलाकर लग्न कुंडली जो है वह व्यक्ति की आत्मा होती है पूरा का पूरा कैरेक्टर अगर किसी का डिसाइड होता है तो वह लग्न कुंडली से होता है।

कुंडली मे लग्न क्या होता है ?

कुंडली के सबसे पहले जो मेन भाव होता है उसको लग्न कहा जाता है और वहां जो संख्या लिखी रहती है उस लग्न की कुंडली कहलाती है।
 जैसे कि अगर मुख्य जगह पर मुख्य भाव में संख्या 1 लिखी है तो वह मेष लग्न की कुंडली मानी जाएगी ऐसे ही अगर दो लिखी है तो वृष मानी जाएगी यानी कि जो संख्या लिखी हुई है उस संख्या के लग्न की कुंडली मानी जाती है और उसी के आधार पर ज्योतिषीय गणना की जाती है ।

व्यक्ति किस लग्न में उसका जन्म हुआ है इसके आधार पर ही उसके सारे आचार व्यवहार और कुंडली में ग्रह की स्थितियों का आकलन ज्योतिषियों के द्वारा किया जाता है।

कुंडली मे राशि क्या होती है ?

कुंडली के जिस भाव में चंद्रमा रहता है उस भाव के अनुसार उस व्यक्ति की राशि निर्धारित की जाती है यानी कि अगर चंद्रमा जिस भाव में है वहां तीन लिखा हुआ है तो मिथुन राशि मानी जाएगी और उसके बाद में ज्योतिषीय आकलन करते समय राशियों के आधार पर अगर चंद्र कुंडली जिसे राशि भी कहते हैं जिसके आधार पर अगर आकलन किया जाता है तो वह व्यक्ति की राशि कहलाती है राशि से वर्तमान का आकलन किया जाता है जबकि कुंडली से व्यक्ति के जो पूरी स्थिति उसके लग्न कुंडली में ग्रहों की रही है उसके अनुसार ग्रहों के अच्छे या बुरे प्रभाव का निर्धारण किया जाता है जबकि राशि में उसके धर्म के अनुसार वर्तमान में क्या असर पड़ा है इसका आकलन किया जाता है।

गोचर का कुंडली पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

गोचर का कुंडली पर प्रभाव तत्काल प्रभाव से पड़ता है वर्तमान में क्या स्थिति चल रही हैं उससे गोचर की राशियों का निर्धारण किया जाता है गोचर में जो भी ग्रह चल रहे होंगे उसका सीधा वर्तमान में असर पड़ेगा अब उसमें देखा यह जाता है कि लग्न के समय वह ग्रह जिस का गोचर इस समय चल रहा है उसकी स्थिति क्या थी ।

अगर वह शुभ स्थान पर रहा होगा तो उसका प्रभाव बहुत अच्छा पड़ेगा और अगर वह स्थान पर रहा होगा तो उसका प्रभाव बहुत ही विपरीत पड़ेगा लेकिन ऐसा देखते समय अगर शुभ स्थान पर भी ग्रह है तो उसके अंश को भी देखा जाता है कि ग्रहों में कितना बल है वह शुभ स्थान पर रहते हुए भी कितना प्रभाव आज की तारीख में दे सकेगा इसका भी आकलन ज्योतिषियों के द्वारा किया जाता है।

इस प्रकार से कुंडली खुद की देखते समय व्यक्ति को अपना लग्न पता होना चाहिए दूसरी महत्वपूर्ण चीज है उसकी राशि किस राशि का व्यक्ति है और वर्तमान में किस ग्रह का गोचर चल रहा है महादशा और अंतर्दशा भी महत्वपूर्ण रहता है क्योंकि जिसका सीधा असर पड़ता है ।

अगर कुंडली के इन बेसिक चीजों को अगर आपको जानकारी है तो किसी भी योग्य ज्योतिषी से जब आपका कुंडली का एनालिसिस कराया जाता है तो उस समय आप खुद इस बात को देख सकते हैं कि आपका जो एनालिसिस किया जा रहा है वह कितना सटीक आपके ऊपर बैठ रहा है और कई बार ज्योतिषियों के द्वारा जो गणना की जाती है और जो भविष्यवाणी की जाती है वह क्यों नहीं पूरी तरीके से सफल हो पाती है इसका भी आप आकलन खुद कर सकते हैं इसलिए अगर आप कुंडली का विचार और करवा रहे हैं कुंडली किसी योग्य ज्योतिषी को दिखा रहे हैं तो आपको यह पता होना चाहिए कि वह कितनी बातें सही बता पा रहा है या अगर वह नहीं बता पा रहा है तो आप विचारण के लिए जो किसी की मदद इसमें कर सकते हैं क्योंकि ग्रहों का अंश भी बहुत मायने रखता है।

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