कुंडली में राजयोग कैसे पता चलता है? || Kundali Me Rajyog Kaise Pta Kare
महाभाग्य योग के उत्पन्न होने के लिए निम्नलिखित योगों का समाधान किया जाता है
1. केंद्रीय स्थान में स्थित चंद्रमा, बुध, और गुरु ग्रह।
2. लग्नेश (जन्मकुंडली के लग्न राशि के स्वामी ग्रह) का उच्च स्थिति।
3. लग्न और चंद्रमा ग्रह का प्रभावी संयोग।
4. केंद्रीय ग्रहों का परिपेक्षीय योग के साथ संयोग।
5. धन भाव (द्वादश भाव) में शुभ ग्रहों का समाधान।
6. जब इन सभी योगों का समाधान होता है, तो व्यक्ति की कुंडली में महाभाग्य योग बनता है। इसके परिणामस्वरूप, व्यक्ति को जीवन में विशेष समृद्धि, सम्मान, और सफलता की प्राप्ति होती है।
कुंडली में महाभाग्य योग का उपस्थित होना व्यक्ति को धन, सम्मान, और सफलता के क्षेत्र में विशेष लाभ प्रदान करता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसके अभाव में व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता। यह केवल जन्मकुंडली में एक विशेष योग होता है जो व्यक्ति की जीवनशैली और अनुभव पर एक प्रकार का प्रभाव डालता है।
कुंडली में राजयोग कितने प्रकार के होते हैं?
ज्योतिष शास्त्र में कुंडली में राजयोगों कई प्रकार के होते हैं। राजयोग वह समय होता है जब कुंडली में ग्रहों के संयोग या परिणाम से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। ये राजयोग व्यक्ति के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता और सुख के कारक होते हैं।
गजकेसरी योग : इसमें चंद्रमा और गुरु के युग्मन होने से व्यक्ति को धन, यश और योग्यता में वृद्धि होती है।
महापुरुष योग : इस योग में किसी ग्रह के महत्त्वपूर्ण स्थानों पर देव ग्रहों (बृहस्पति, गुरु, बुध) का प्रभाव होता है, जो व्यक्ति को विशेष प्रतिष्ठा, धन और सम्मान प्रदान करता है।
रज योग : इसमें चंद्रमा और मंगल के युग्मन होने से व्यक्ति को सामर्थ्य, नेतृत्व और जीवन में उत्तम स्थिति मिलती है।
सरल योग : इसमें चंद्रमा और लग्नेश के युग्मन होने से व्यक्ति को स्वास्थ्य, आर्थिक उन्नति और शौर्य प्राप्त होता है।