ज्योतिष: क्या होता है कुंडली का भाव ? जानिए जरूरी बातें जो आपके काम आएगी

Jyotish: ऐसे देखा जाता है कुंडली का भाव, जानिए विस्तार से
ज्योतिष: क्या होता है कुंडली का भाव ? जानिए जरूरी बातें जो आपके काम आएगी
Kundli bhav chart/horoscope house chart: ज्योतिष के मुताबिक कुंडली का भाव वह स्थान होता है जहाँ सभी नौ ग्रहों को दर्शाया जाता है।

Kundli bhav chart/horoscope house chart: ज्योतिष एक ऐसी विधा है जिसके द्वारा जीवन में घटने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी मिलती है। जिसे जानकर हम यह पता लगा सकते हैं कि आने वाला समय कैसा रहेगा। यदि कोई जनित कष्ट है तो उसका निराकरण कर भविष्य उज्ज्वल किया जा सकता है। आगे जानते हैं कि कुंडली का भाव क्या होता है? किन-किन भाव से क्या-क्या पता करते हैं....

Kundli bhav chart/horoscope house chart: ज्योतिष के मुताबिक कुंडली का भाव वह स्थान होता है जहाँ सभी नौ ग्रहों को दर्शाया जाता है। ग्रहों को दर्शाने वाले ऐसे भाव या घर 12 होते हैं। लग्न यानि कुंडली का पहला खाना तन का होता है।दूसरा भाव धन का, तीसरा भाव भाई का, चौथा माता का, पंचमा संतान का, छठा शत्रु का, सातवां स्त्री का, आठवां आयु का, नौवां धर्म का, दसवां कर्म का, ग्यारहवें आय का औऱ बारहवां खर्च का भाव होता है। 

क्या होता है कुंडली का भाव ? 

किस भाव से किसका पता लगाया जाता है जानिए विस्तार से 

पहला भाव: पहले भाव या घर से जातक के शरीर की बनावट, रूप रंग, विवेकशीलता, आत्मबल और चरित्र के बारे में पता करते हैं।

दूसरा भाव: इससे जातक के दाईं आंख, धन, कुटुंब और वाणी के बारे में विचार किया जाता है।

तीसरा भाव: इस भाव से जातक के, छोटे भाई, धैर्य, नौकरी व स्वास नली के बारे में पता करते हैं।

चौथा भाव: इस भाव से जातक के सुख, माता, भूमि, घर, संपत्ति, वाहन, फेफड़े, निमोनिया और क्षय रोग के बारे में पता करते हैं।

पांचवां भाव: पांचवे भाव से विद्या, बुद्धि, संतान, प्रेम विवाह, लॉटरी, पेट से संबंधित रोग और गर्भपात के बारे में पता करते हैं। 

छठवां भाव: इस भाव से शत्रु, रोग, चिंता, पीड़ा, मुकदमा, कर्ज इत्यादि के बारे में विचार किया जाता है।

सातवां भाव: इस भाव से जातक के स्त्री सुख, दैनिक रोजगार, विवाह, तलाक, कामेच्छा, गुप्त रोग और पति-पत्नी के रंग के बारे में पता करते हैं।

आठवां भाव: इस भाव से आयु, मृत्यु, संकट, ऋण, पुरातत्व संबंधी विषय, गुदा के रोग, बवासीर आदि का विचार किया जाता है।

नौवां भाव: धर्म, भाग्य, विद्या, दान, तीर्थ यात्रा या विदेश यात्रा आदि के बारे में पता चलता है।

दसवां भाव: इस भाव से जताक के पिता, राज्य, अधिकार, नौकरी, व्यवसाय, चुनाव में जय-पराजय, मुकदमे में जीत या हार आदि का पता लगाते हैं।

ग्यारहवां भाव: इस भाव से लाभ, आय संपत्ति, बड़े भाई और ऐश्वर्य के बारे में पता करते हैं।

बारहवां भाव: इस भाव से व्यय यानि खर्च, हानि, व्यसन (नशा), जेल यात्रा, भोग, दाईं आंख आदि के बारे में पता करते हैं। 

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