ग्रहण दोष क्या है ? कहीं आपकी कुंडली मे भी ग्रहण दोष तो नही जानिए उपाय
क्या आपके काम भी बनते बनते बिगड़ जाते हैं ?
अगर कुंडली में सूर्य या चंद्रमा के साथ में राहु या केतु की युति हो जाती है ऐसे में ग्रहण दोष होता है और ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि अगर ग्रहण दोष हो रहा है तो कोई भी काम सफल होते होते रह जाता है और काम पूरी तरीके से हो नहीं पाता है क्योंकि उसमें दोस्त होता है ग्रहण का और उसका उपाय करने से काम बनने लगते हैं और सफलता मिलती है।
ग्रहण दोष कैसे दूर करें ?
अगर कुंडली में सूर्य ग्रहण दोष है यानी कि सूर्य के साथ में राहु या केतु की युति बन रही है तो भगवान शंकर की पूजा महामृत्युंजय का जाप और शिवलिंग पर जल चढ़ाने से ग्रहण दोष सूर्य का है अगर तो वह समाप्त होता है साथ ही सूर्य की आराधना उगते हुए सूर्य को जल देना आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करने से भी सूर्य ग्रहण का जो दोष होता है वह समाप्त होता है।
अगर कुंडली में चंद्र देव दोस्त बन रहा है तो ऐसे में हनुमान जी की पूजा करने से भी चंद्र ग्रहण का दोष दूर होता है।
चंद्र ग्रहण दोष का उपाय
चंद्र ग्रहण का दोष होने से सफेद वस्तुओं का दान करने से चंद्र ग्रहण दोष से मुक्ति मिलती है।
ग्रहण दोष उपाय और लक्षण
कुंडली में ग्रहण दोष के उपाय सूर्य ग्रहण दोष आएगा तो सूर्य के उपाय करने चाहिए आती में अगर चंद्र ग्रहण दोष है तो उसके चंद्रमा के उपाय करने चाहिए इसका कुंडली में सीधा-सीधा लक्षण यह रहता है अगर किसी के भी कुंडली में ग्रहण दोष है तो वह अपने कैरियर में सफलता पाने के लिए उसको बहुत ही जीत और प्रयास करना पड़ता है और उसके बावजूद भी बार-बार असफलता हाथ आती है साथ ही विवाह में भी काफी देरी होती है और विवाह भी समय से नहीं हो पाता है विवाह होने के बाद भी पारिवारिक जीवन में समस्याएं बनी रहती हैं ऐसे में इस ग्रहण दोष का उपाय करने से ही शांति मिलती है।
ग्रहण दोष राहु-केतु का संयोग सूर्य और चन्द्रमा के साथ होने से बनता है। सूर्य हमारी आत्मा का कारक माना जाता है जबकि चन्द्रमा मन का कारक होता है। इसलिये कुण्डली में ऐसा योग होना शुभ संकेत नहीं है ।
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राहु-केतु का सूर्य के साथ संयोग:
जब भी कुण्डली में राहु केतु का आत्मा के कारक सूर्य के साथ कुण्डली के जिस भाव में भी ये संयोग बनता है तो उस भाव से सम्बन्धित फ़ल में कमी तो लाता ही है साथ ही आत्मा को दूषित करता है और सम्मान को ठेस पंहुचाता है। जीवन में संघर्ष पैदा करत है और साथ ही मेहनत के अनुरूप फ़ल प्रदान नहीं करता ।
राहु-केतु का चन्द्रमा के साथ संयोग:
कुण्डली के किसी भी भाव में राहु-केतु का मन के कारक चन्द्रमा के साथ संयोग होना भी ग्रहण दोष का सूचक है। ये मनोबल को कमजोर करता है, मन में गलत विचारों का उदय करता है और वो जातक कभी भी आत्मविश्वास के साथ सही प्लेट्फ़ोर्म पर अपनी बात को नहीं रख पाता ।
अपने अनुभवों का लाभ नहीं उठा पाता और सही होने पर भी खुद को सही साबित करने में उसे बहुत दिक्कतों का सामना करना पडता है ।
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ग्रहण दोष का क्या असर पड़ता है ?
– जिस भी व्यक्ति के अंदर सूर्य ग्रहण दोष है उसके अंदर आत्मविश्वास की कमी होगी और कोई भी काम करने से पहले बार 10 बार सोचेगा और कॉन्फिडेंस नहीं बन पाता है ऐसे में सूर्य की उपासना करने से जहां उसका कॉन्फिडेंस बढ़ता है वही ग्रहण दोष भी दूर होता है।
– लाख प्रयास करने के बाद में भी अगर समाज में सम्मानजनक स्थिति नहीं बनती है तो इसका मतलब सूर्य की स्थिति कुंडली में कमजोर है उसका बहुत ही साधारण सा उपाय है उगते हुए सूर्य को जल देना और उसमें लाल पुष्ट या लाल चंदन पानी में मिलाकर उसे जल देना और ओम सूर्याय नमः मंत्र का जाप करते हुए जल अपने शरीर से ऊपर से जिससे कि वह धारा आपके ऊपर से आए और सूर्य की किरणें उसको पार करते हुए आपके शरीर पर पड़े तो इससे सूर्य ग्रहण का जुलूस होता है वह दूर होता है और आत्म सम्मान में और आत्मबल में बढ़ोतरी होती है जिससे कोई भी कार्य करने में मन लगता है और सफलता भी मिलती है।
– अगर हमेशा आर्थिक समस्याएं बनी रहती है कर्ज की स्थिति बनी रहती है धन का आगमन नहीं होता है तो यह भी सूर्य की कमी से होता है सूर्य ग्रहण अगर कुंडली में है तो यह सारे संकेत है कि सूर्य की स्थिति कुंडली में सही नहीं है और वह आपकी मदद नहीं कर पा रहा है इस कारण से सूर्य का उपाय करने से ही यह सारे कष्ट दूर होते हैं।
– जिस भी व्यक्ति कुंडली में चंद्र ग्रहण रहता है ऐसे में हर हाल में मानसिक समस्याएं रहती हैं और कोई भी निर्णय ना ले पाने की स्थिति बनती है।
– जातक को विद्या प्राप्त करने में दिक्कतें आती है ।
– सूर्य एक ऐसा ग्रह है कि अगर वह मजबूत स्थिति में होता है तो वह व्यक्ति को बहुत ही ऊंचाइयों तक ले जाता है आत्मबल और आत्म सम्मान बड़ा रहता है बहुत ही ऊर्जा का संचार होता है शरीर में जिस कारण से वह किसी भी कार्य को अपने हाथ में लेता है तो वह पूर्ण होता है।
उसी जगह अगर चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है तो लाइफ में स्टेबिलिटी आती है कि स्थायित्व आता है और मन बहुत ही शांत रहता है जिसका भी मन शांत नहीं रहता है मन बहुत ही विचलित होता है या कमजोर चंद्रमा की निशानी है जिसका उपचार किया जाना चाहिए
ग्रहण दोष के उपाय
अपने व्यवहार और कुंडली के अनुसार अगर आपको लगता है कि सूर्य ग्रहण दोष है या चंद्र ग्रहण तो उसे तो उसका उपाय जो ऊपर बताए गए हैं उसको करने से ग्रहण दोष समाप्त होता है या हवा काफी कम हो जाता है उसके बाद में आप अपने कर्म को पूरे मनोयोग से करते हैं तो आपको हर हाल में सफलता मिलती है और ग्रहण दोष जो बना हुआ था उसका उपाय करने के बाद में आपको सफलता भी मिलने लगती है।