Kurma Jayanti 2024: भगवान कूर्म जयंती कब है? जानें महत्व, मुहूर्त और भगवान कच्छप की कथा

Kurma Jayanti 2024 Date and Muhurat in Hindi
Kurma Jayanti Ka Mahatwa

Who is Bhagwan Kurma

Vastu Dosh Upay

Bhagwan Kachchhap Jayanti 2024


Kurma Jayanti 2024: कूर्म जयंती प्रत्येक वर्ष वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. इस दिन श्री हरि नारायण के कच्छप ( कछुए ) के अवतार की पूजा जाती है. आइए जानते हैं कच्छप जयंती की डेट, मुहूर्त, और भगवान विष्णु के कच्छप अवतार के बारे में... श्रीमद्भगवत्गीता में लिखा है कि जब-जब धरती में पाप बढ़ा है, तब अधर्म के नाश और धर्म की पुनर्स्थापना के लिए श्री नारायण ने अवतार लिया है. भगवान विष्णु अब तक पृथ्वी लोक में 23 अवतार लिए हैं.

कूर्म अवतार क्यों हुआ था?

उन्हीं में से एक कूर्म ( कच्छप ) अवतार भी है. कच्छप अवतार यानी कि कछुए का रूप लेकर भगवान ने संसार की रक्षा की. प्रत्येक वर्ष वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को भगवान कूर्म की जयंती मनाई जाती है. इस वर्ष भी गुरुवार, 23 मई 2024 को प्रभु की जयंती मनाई जाएगी। वैशाख पूर्णिमा की तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन श्री 

कूर्म जयंती 2024 तारीख और मुहूर्त

Kurma Jayanti 2024 Date and Muhurat: पंचांग के अनुसार वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को यानी कि 22 मई 2024 की शाम 6 बजकर 47 मिनट पर इस तिथि का मुहूर्त शुरू होगा, जिसकी समाप्ति 23 मई 2024 की रात्रि 7 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा। लेकिन भगवान की पूजा की पूजा का 23 मई की शाम 4 बजकर 25 मिनट से रात्रि 7 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।

कूर्म जयंती का महत्व

Kurma Jayanti Ka Mahatwa: शास्त्रों के अनुसार इस दिन बहुत महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन से निर्माण संबंधी कार्य शुरू किया जाना बहुत शुभ माना जाता है. कूर्म जयंती के दिन वास्तु दोष दूर कर शुभ वास्तु में बदला जा सकता है. कूर्म जयंती के दिन नया घर, जमीन आदि की पूजा के लिए और उस पर निर्माण संबंधी कार्यों की शुरुआत के लिए यह सबसे उत्तम समय होता है.

वास्तु संबंधी उपाय

Vastu Dosh Upay: वास्तु के अनुसार कूर्म जयंती के दिन घर में चांदी या अन्य धातु से बना कछुआ लाना बेहद शुभ माना जाता है. इससे नकारात्मकता खत्म हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह घर अंदर और बाहर दोनों ओर बना रहता है. इसके आपको कच्छप मूर्ति को घर की उत्तर दिशा में रखना चाहिए। इसके साथ कच्छप यंत्र भी रखा जाना चाहिए। जिस घर में धातु का कछुआ रखा जाता है वहां कभी धन की कमी नहीं रहती है. उस जगह माता लक्ष्मी का निवास स्थाई रूप से होता है. वैसे भी मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं.

कूर्म अवतार की कथा

Kurma Avatar Ki Katha: पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार देवताओं को अपनी शक्ति का बहुत अहंकार हो गया था. एक बार महर्षि दुर्वासा ने इंद्र को पारिजात पुष्प की माला भेंट की। अहंकारवश इंद्र ने उस माला को ऐरावत हाथी के मस्तक पर डाल दिया। यह देख महर्षि इंद्र के ऊपर क्रोधित हो उठे. उन्होंने इंद्र समेत सभी देवताओं को श्राप देते हुए कहा कि जाओ तुम सबकी सुख-समृद्धि आज से नष्ट हो जाएगी। श्राप के प्रभाव से देवताओं का पूरा धन, यश, वैभव सब कुछ लक्ष्मी सागर में समाहित हो गया. इस घटना के बाद उदास होकर इंद्र भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे।

Kurma Jayanti Ka Mahatwa

भगवान ने इंद्र को देवताओं और दानवों सहित समुद्र मंथन के लिए कहा. तब भगवान विष्णु के कहे अनुसार राक्षस और देवता मंथन के लिए तैयार हो गए. इसके लिए मंदराचल पर्वत को मथानी और नागराज वासुकि को रस्सी बनाया गया. देवता और राक्षसों ने मंदराचल को समुद्र में डालकर मंथन शुरू किया लेकिन पर्वत का आधार नहीं होने के कारण वो समुद्र में समा गया. ये देखकर भगवान विष्णु एक विशाल कछुए का अवतार लेकर समुद्र में मंदराचल को अपनी पीठ पर रख लिया। इससे पर्वत तेजी से घूमने लगा और समुद्र मंथन पूरा हुआ.

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