Kya Janm Kundali Se Bimari Ka Pta lagaya ja Sakta hai क्या जन्मकुंडली से होने वाली बीमारी का पता लगाया जा सकता है ?

कुंडली से कैसे जाने कौन सा रोग होगा?
शास्त्रो की बात करे तो इसका अनुमान पहले ही लगाया जा चुका है क्योंकि जितनी भी बीमारिया है इन सब की गढ़ना ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से की जा सकती है और अनुमान लगाया जा सकता है कि व्यक्ति को किस समय पर किस प्रकार की बीमारी हो सकती है. अपनी कुंडली द्वारा हम यह जान सकते है की समय रहते रोग की रोकथाम कैसे करें, हालांकि पूर्ण रूप से तो कभी भी किसी होनी को बदला नहीं जा सकता परन्तु उसे शुरुआत में रोका जरूर जा सकता है. चलिए जानते हैं वास्तु एवं ज्योतिष सलाहकार एस्ट्रोलॉजर रजत सिंगल (Rajat Singal) जी से की किस तरह आप अपनी जन्मतिथि और कुंडली से होने वाले रोगों के बारे में पता लगा कर खुद को सचेत कर सकते हैं।
क्या कहती है हमारी कुंडली
हमारी कुंडली में 12 घर, 12 राशियां और 9 ग्रह होते है जिन सभी के अलग-अलग कार्य है किसी से हमारी विशेषताओं का, स्वभाव का पता चलता है तो किसी से हमारे शरीर में उपस्थित तत्वों और रोगों के बारे में। जो ग्रह हमारे रोग वाले घर के स्वामी होते है वह अपनी दशा-महादशा में रोग देते है तथा शरीर के जिस भाग पर प्रभाव डालते है उसे रोग ग्रस्त बना देते है . ऐसे में ध्यान देने वाली बात यह है की इस पर काबू कैसे पाया जाए
वैसे तो यह किसी के भी हाथ में नहीं है यदि कोई कहता है कि उसके पास ऐसा कोई उपाय है जिससे व्यक्ति को कोई हानि, रोग इत्यादि नहीं होगा तो वह केवल भ्रमित कर रहा है, ज्योतिष विज्ञान के सहारे हम उस चीज़ का पहले से अनुमान लगाकर उसके लिए तैयार हो सकते है, उस ग्रह से सम्बंधित उपाय कर सकते है जिससे की अपनी दशा व गोचर के प्रभाव से वह ज्यादा बुरा प्रभाव न दिखाये परन्तु उससे पूर्णतया नहीं बचा जा सकता.
ग्रह और बीमारी का सम्बन्ध
मधुमेह, लिवर, मोटापा इन सब रोगों का मुख्य कारण बृहस्पति है, जिस व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति पाप प्रभाव में होगा, या वह किसी रोग वाले घर अथवा भाव से संबंध बनाएगा इस प्रकार के रोग देगा । गले या नाक सम्बन्धी रोग शुक्र के कारण होते है, वीर्य संबंधी रोगों का कारण भी शुक्र के दूषित होने पर होता है।
आज के समय में सबसे ज्यादा परेशान करने वाला रोग खासकर महिलाओं को जिसकी शिकायत होती है, शारीरिक थकावट, जोड़ो का दर्द, घुटने सम्बन्धी समस्याएं, ये सभी शनि के प्रभाव से होती है। अस्थमा रोग का करक भी शनि ग्रह है. रक्त व हड्डी से संबंधित रोग सूर्य के दुष्प्रभाव से व स्किन के रोग बुध के पाप प्रभाव में होने से घटित होते है. वहीँ राहु एक ऐसा कारण है जो अपनी दशा में अगर कोई रोग देता है तो उसका कारण ही नहीं पता चल पता हैं, सरे जाँच, टेस्ट, दवाइयां धरी की धरी रह जाती हैं।
इन सब रोगों की रोकथाम संभव है यदि समय पर सही उपाय करा जाए
यह उपाय दान से, स्नान से, पूजा से व कुछ चीज़ो के परहेज़ से किए जा सकते है। कुछ व्यक्ति हर वस्तुओ का दान करने लग जाते है, जैसे कुत्तो को रोटी खिलाना, सूर्य को जल देना, शनि मंदिर में तेल चढ़ाना, गरीबो में आटा व अन्य खाद्य सामग्री बाटना इत्यादि। याद रहें जिस तरह बीमारी में दवाई डॉक्टर के परामर्श से लेना समझदारी है ठीक उसी तरह की दान कब और क्या करना चाहिए इसकी सलाह पहले किसी कुशल ज्योतिष से जरूर ले लेनी चाहिए अन्यथा किसी भी प्रकार के दान-पुण्य अनजाने में नुक्सान उठाना पड़ सकता है.
ज्योतिषी रजत सिंगल जी अनुसार हमेशा कुंडली में अशुभ ग्रह से समबन्धित चीज़ो का दान करना चाहिए और अपने शुभ ग्रह से सम्बंधित चीज़ो का दान कभी नहीं करना चाहिए बल्कि उससे सम्बंधित वस्तुओ को अपने साथ रखना चाहिए। हर व्यक्ति को अपने जन्मदिन से पहले वार्षिक उपाय जरूर करने चाहिए, इससे ग्रहो की शांति होती है तथा आने वाले साल में रुकावटे काम आती है या में यह कह सकता हु की आपको रुकावटों से लड़ने के लिए मार्गदर्शन मिल जाता हैं।