Mahakumbh 2025 : महाकुंभ पूरी दुनिया एक दिन हो जाएगी सनातनी

जी हां, एक तरफ जहां हमारे इंडिया की यूथ पापुलेशन वेस्टर्न कल्चर को बहुत तेज़ी से अपनाने में लगी हुई है, वहीं आस्था और विश्वास के महाकुंभ में कई देशों से आए हजारों विदेशी जिस तरह से संगम तट पर अपनी सभ्यता को छोड़कर पूजा-पाठ और संगम में स्नान कर पूरब के लोगों को आस्था का जो पाठ पढ़ा रहे हैं, उससे लोग हैरान ही नहीं बल्कि पूरी एक्साइटमेंट से उनकी इन Activities को देख भी रहे हैं...
भारतीय युवा तेजी से पश्चिमी सभ्यता यानी वेस्टर्न कल्चर से अट्रैक्ट हो रहे हैं, ठीक उससे उलट विदेशी लोग भारतीय संस्कृति और सभ्यता की तरफ आकर्षित हो रहे हैं... 12 सालों बाद प्रयागराज में लगे महाकुंभ मेले में बड़ी तादाद में विदेशियों की आमद लोगों के लिए अट्रैक्शन और Curiosity का सेंटर बना हुआ है... यहां विदेशियों को धोती, कुर्ता, जनेऊ के साथ ही गेरुआ वस्त्र धारण किए हुए देखा जा सकता है... जो कि बेहद अद्भुत है...
पूरी तरह से भारतीय परिधानों में लिपटे इन विदेशियों को देखने से कहीं से भी ऐसा नहीं लगता कि ये भारतीय धर्म और संस्कृति को नहीं जानते होंगे... इनको पूजा-पाठ करने और हाथ जोड़कर सूर्य नमस्कार करने के साथ ही संगम स्नान करने और संगम की आरती गाते देख सिर्फ हैरानी नहीं होती बल्कि उनकी भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति आस्था को देखकर बेहद खुशी भी होती है... ऐसी अटूट आस्था तो शायद हमारे अपने लोगों में भी देखने को नहीं मिलती होगी जितनी इन विदेशियों में देखने को मिल रही है...
खैर, अब सवाल आता है कि ये विदेशी लोग महाकुंभ से इतनी जल्दी अट्रैक्ट क्यों हो जाते हैं और क्यों वो अपनी संस्कृति छोड़ भारतीय सनातन संस्कृति की चादर ओढ़ने लगते हैं? चलिए इसका जवाब टटोलने की कोशिश करते हैं... देखिए हर इंसान के मन में होता है कि वो दूसरों के कल्चर को जानें, उनके धार्मिक विश्वास को समझने की कोशिश करें... और लोगों का यही इंटरेस्ट उन्हें दूसरों के साथ कनेक्ट करता है... विदेशी लोग भी हमारे कल्चर से रूबरू होने के लिए इंडिया आते हैं, खासकर महाकुंभ के समय, क्योंकि महाकुंभ में उन्हें जो जो चीज़े देखने को मिलती हैं, वो उन्हें और कहीं नहीं मिल सकतीं... और जब ये विदेशी लोग महाकुंभ में आते हैं तो इनके चारों तरफ जो हुजूम होता है, वो पूरा हुजूम सनातनियों से ओतप्रोत होता है... बस यहीं से इन विदेशी लोगों का इंटरेस्ट सातवें आसमान पर पहुंच जाता है और वो सनातन को और गहराई से जानने की जुगत में लग जाते हैं... और हमारी सनातनी परंपरा ऐसी है कि उसमें पूरा ब्रह्मांड समाया हुआ है... ये एक ऐसे समुद्र की तरह है, जिसमें आप जितनी गहरी डुबकी लगाएंगे, उतना ही आपको समझ में आने लगेगा कि इस ज़िन्दगी की असल हकीकत क्या है... और जब आप ज़िन्दगी की हकीकत को समझने लगेंगे तो आप मोह माया से दूर होते जाएंगे...
खैर, ऐसा नहीं है कि महाकुंभ का सिर्फ आध्यात्मिक महत्व है, इसका एस्ट्रोनॉमिकल साइंस से भी गहरा ताल्लुक है... जी हां, महाकुंभ का आयोजन प्राचीन भारतीय एस्ट्रोनॉमिकल साइंस की गहरी समझ को बताता है... आयोजन स्थल और समय दोनों को पृथ्वी के Magnetic Fields और Planets की स्थिति के आधार पर निर्धारित किया गया है... इससे पता चलता है कि हमारे पूर्वज एस्ट्रोनॉमिकल साइंस और Biological Effects की गहन जानकारी रखते थे...
साइंस की नज़र से देखें तो कुंभ मेला ह्यूमन बॉडी पर प्लैनेट्स और मैगनेटिक क्षेत्रों के प्रभाव को, उनके इंपैक्ट्स को समझने का एक बढ़िया समय है... Biomagnetism के मुताबिक, ह्यूमन बॉडी Magnetic Fields का उत्सर्जन यानी Emission करता है और बाहरी Energy Fields से प्रभावित होता है... कुंभ में स्नान और ध्यान के दौरान महसूस की जाने वाली शांति और सकारात्मकता का कारण इन्हीं Energy flows में है...
तो कुल मिलाकर, सारी बातों का सार ये निकलता है कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि ये प्राचीन भारत की Deep scientific और Astronomical समझ का प्रतीक है... ये मेला हमें ये सिखाता है कि आस्था और विज्ञान के बीच कोई विभाजन नहीं है, बल्कि ये दोनों मिलकर मानवता के लिए मार्गदर्शक होते हैं... बस इस गहरी बात को हम भारतीय तो नहीं, लेकिन हां विदेशी बहुत अच्छे से समझ लेते हैं और वो सनातन की तरफ अट्रेक्ट होते चले जाते हैं