बुध ने बढ़ाया विनेश फोगाट का वजन,राहु गुरु के योग ने किया पदक से दूर 

Mercury increased the weight of Vinesh Phogat, the combination of Rahu and Guru kept her away from the medal
बुध ने बढ़ाया विनेश फोगाट का वजन,राहु गुरु के योग ने किया पदक से दूर 
(अतुल अग्रवाल -विनायक फीचर्स) 25 अगस्त 1994 को हरियाणा के चरखी दादरी कस्बे में जन्मी विनेश फोगाट  के साथ ओलम्पिक में हुए हादसे ने देश भर को सकते में डाल दिया। आज चारों ओर यही चर्चा है कि आखिर अचानक विनेश फोगाट का वजन इतना क्यों बढ़ गया और क्यों वे अपना वजन नियंत्रित नहीं कर पायीं। जब इस बात को जानने के लिए ज्योतिषीय दृष्टि से विवेचना की गयी तो स्पष्ट हुआ कि विनेश की कुंडली तुला लग्न की है जिसमें प्रथम भाव में गुरु और राहु की युति है ।

तुला लग्न की कुंडली में प्रथम भाव का राहु समाज में कम से कम एक बार बहुत बड़ी बेइज्जती करवाता है

 ज्योतिष की भाषा में इसे गुरु चांड़ाल योग कहा जाता है। लाल किताब कहती है कि जब किसी व्यक्ति के लग्न में गुरु और राहु एक साथ होते हैं तो गुरु के अच्छे फल को राहु निष्प्रभावी कर देता है तथा तुला लग्न की कुंडली में प्रथम भाव का राहु समाज में कम से कम एक बार बहुत बड़ी बेइज्जती करवाता है। ओलंपिक में स्वर्ण पदक के बहुत नजदीक पहुंचकर फिर एक दम से डिसक्वालिफाई हो जाना  इसी ज्योतिषीय योग का परिणाम है। ओलंपिक में अर्श से फर्श पर आने का हादसा इसी कारण हुआ।

मंगल नवें भाव में है। ऐसी स्थिति में केतु से तीसरे मंगल होते हैं

विनेश की कुंडली में केतु सातवें भाव में है जबकि मंगल नवें भाव में है। ऐसी स्थिति में केतु से तीसरे मंगल होते हैं और जिन व्यक्तियों की कुंडली में यह योग होता है, वह अपने बचपन में खेलकूद में काफी सक्रिय होते हैं। लाल किताब की व्याकरण एकदम स्पष्ट कहती है कि जब किसी  व्यक्ति की कुंडली में गुरु लग्न में और शनि पंचम भाव में  अकेला हो तो ऐसे व्यक्ति की किस्मत मंद होती है और ऐसा व्यक्ति कभी भी चारों खाने चित्त हो जाएगा । यह योग विनेश की पत्रिका में भी है। इसी कारण वह स्वर्ण पदक जीतते - जीतते आश्चर्यजनक रुप से पूरे ओलंपिक से ही बाहर हो गयी।

विनेश का वजन अचानक इतना क्यों बढ़ गया

इस समय यह भी चर्चा है कि विनेश का वजन अचानक इतना क्यों बढ़ गया । इसका प्रमुख कारण विनेश की पत्रिका में ग्यारहवें स्थान पर बैठे बुध हैं। इस स्थान पर बैठे बुध व्यक्ति का कभी भी अचानक से वजन बढ़ा देते हैं। विनेश के ग्यारहवें भाव के मंदे बुध की तीसरी दृष्टि सीधे लग्न भाव के राहू पर पड़ रही है। लाल किताब के अनुसार पर जब भी मंदे बुध और राहु  के बीच एक दूसरे से दृष्टि संबंध होगा तब व्यक्ति को जेलखाना, पागलखाना या दवाखाना अवश्य जाना पड़ता है। यही कारण रहा कि ओलंपिक से डिस्क्वालीफाई होने के बाद सदमे के कारण विनेश को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।

विनेश के पदक से चूकने के कई और कारण उनकी कुंडली में मौजूद हैं

विनेश के पदक से चूकने के कई और कारण उनकी कुंडली में मौजूद हैं। उनकी पत्रिका में छठे भाव में मीन का चंद्रमा है, जो मनुष्य को बहुत ज्यादा धनवान नहीं होने देता। अगर गोल्ड मैडल जीतकर उन्हें सौ करोड़ रुपए मिलते तो अब यह योग उन्हें एक-दो करोड़ पर ही सीमित कर देगा।विनेश की पत्रिका में मंगल नवम् भाव में है लेकिन वे अपनी नीच राशि मिथुन में हैं साथ ही कुंडली के दूसरे भाव में कोई ग्रह नहीं है।  इस कारण इन्हें अपनी मेहनत का पूरा परिणाम कभी नहीं मिलेगा। लाल किताब का भविष्यफल कहता है कि नवम् भाव में मंगल हो और दूसरा घर खाली हो तो ऐसे व्यक्ति को अपनी मेहनत का सही परिणाम नहीं मिलता। 

लग्न के गुरु और ग्यारहवें भाव के बुध के बीच भी दृष्टि संबंध है।

इनकी पत्रिका में लग्न के गुरु और ग्यारहवें भाव के बुध के बीच भी दृष्टि संबंध है। लाल किताब में लिखा है कि ऐसा व्यक्ति 17 साल की उम्र के बाद अपने जीवन में कभी न कभी कोई ऐसी गलती अवश्य करता है जिसका उसको जीवन भर पछतावा रहता है। बुध और गुरु के इसी दृष्टि संबंध के परिणामस्वरूप विनेश ने खान पान में लापरवाही बरती जिसके कारण उनका वजन बड़ा और अब वे सारे जीवन भर इस गलती से दुखी होती रहेंगी। ताजा घटनाक्रम के संबंध में विनेश की कुंडली का विश्लेषण यही बताता है कि ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीतना उनके भाग्य में नहीं था इसी कारण इतने आगे आकर भी सफलता उनके हाथ से फिसल गयी। (लेखक जाने माने ज्योतिषाचार्य एवं लाल किताब विशेषज्ञ हैं)

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