कुंडली के भाव और लगन ही तय करते हैं कैसी रहेगी आपकी life

 
कुंडली के भाव और लगन ही तय करते हैं कैसी रहेगी आपकी life

Jyotish Desk -कुंडली (Kundli)के लग्न का ज्योतिष मे विशेष महत्व है जिसमे ग्रहों की युति और प्रभाव


लग्न और विशेष योग .-यदि ऐसा हो तो क्या होगा

१. यदि लग्न में सूर्य हो तो, जातक कुलदीपक होता है। साथ वह

अहंकारी , गर्व भावना से युक्त , राज्य में उच्च

पदाधिकारी होता है।

२. सूर्य+मंगल+बुध की कही पर

भी युति होतो, वह जातक प्रबल धनवान होता है।

३. सूर्य+बुध+गुरू कीयुति किसी भी भाव में

होतो, जातक श्रेष्ठ धनवान होता है। तथा कीर्तिवान

भी होता है।

४. यदि बुध पंचम , एकादश अथवा दूसरे भाव में होतो, जातक अचानक धनवान

बन जाता है।

५. यदि इस लग्न में शुक्र बलवान होतो , वह जातक

को हानी पहुँचाता है। इस लग्न में शुक्र का कमजोर

होना ही लाभ दायक रहता है।

६. यदि कुंडली में मंगल निर्बल होता है, तो जातक के पिता अल्पायु

हो सकते है। अथवा जातक को पिता के सुख में न्यूनता रहती है।

और यदि मंगल प्रबल होता है , तो यह जातक को भूमि से विशेष लाभ कराता है।

७. यदि गुरू+राहू ११ वे भाव में होतो,या राहू+शनि ११ वे भाव में होतो , जातक को पुत्र सुख की कमी रहती है। लेकिन बली गुरू पुत्र सुख दे देता है।

८. यदि गुरू पर पाप ग्रहों का प्रभाव होतो , जातक की बड़ी बहन का दाम्पत्य जीवन परेशानी में बीतता है।

९. यदि शनि दूसरे भाव में होतो , जातक को निर्धन जीवन व्यतीत करने के लिए बाध्य होना पड़ता है , यही बात शनि के ८ वे भाव में होने पर भी होती है।

१०. शनि, गुरू का सम्बन्ध होतो, जातक की पत्नी कर्कशा स्वभाव की , सामान्य परिवार की होती है।

११. यदि गुरू अस्त होतो, निर्बल, या पाप प्रभाव से युक्त होतो, जातक

जीवन में विदेश यात्रा करता है।

१२. यदि बुध पंचम या नवम भाव में हो तथा शुभ ग्रह से दृष्ट तथा राहू या केतू दूसरे या ११ वे भाव में होतो, जातक को अकस्मात धनलाभ होता है।

१३. यदि सूय+बुध की युति कही पर भी होतो, यह सामान्य धनयोग होता है। जातक को धन लाभ होता है।

१४. शुक्र+गुरू के युति कही पर भी होतो, यह युति लखपति होने पर भी उसे कंगाल बनाने में समर्थ होती है।

१५. शुक्र+गुरू+बुध तीनों ही एक साथ कहीं पर स्थित होतो, अत्यधिक धनवान जातकको भी गरीब बना देती है।


१६. दशम भाव में स्थित शुक्र जातक को अपनी दशा में उन्नति की ओए अग्रसर करेगा।

१७. तीसरे भाव में स्थित शुक्र जातक को अपनी दशा में मानहानि तथा पदावनति के फल देगा।

१८. सिंह लग्न में शुक्र+सूर्य की युति जातक को सामान्य फल

ही देगी , यह फल इस युति के नवम भाव के अतिरिक्त किसी भाव में होतो मिलेंगे।

१९. यदि(Kundli) लग्न में सूर्य+मंगल +बुध की युति होतो , बुध

की महादशा में जातक का (क्रीम-समय ) होता है। इस समय में जातक को धन-लाभ , यश , मान प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।

२०. यदि १२ वे भाव में शनि +मंगल की युति होतो,शनि की दशा में जातक के लिये उत्थानकारक एवं योगकारक होती है।

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