भगवान के सामने न करें ये गलतियां वरना हो जायेंगे बर्बाद | सेवा अपराध क्या है? | Sanatan Dharma | Puja Niyam In Hindi

पूजा करते समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान | Bhagwan Ko Prasann Karne Ke Upay

32 Seva Apradh

32 Seva Apradh पूजा करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए

Puja Ke Kya Niyam Hote Hain

Bhagwan Ko Prasann Karne Ke Liye Kya Karen

भारतीय संस्कृति में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। ऐसा माना है कि पूजा-पाठ न सिर्फ जीवन में शांति लाती है बल्कि सभी मनोकामना पूर्ण होती है। इससे हमे जीवन में आगे बढ़ने और प्रत्येक परिस्थिति से लड़ने का बल मिलता है। भगवान को प्रसन्न करने के लिए हम पूजा अर्चना करते हैं लेकिन पूजा करने के कुछ नियम होते हैं अगर इनपर ध्यान न दिया जाए तो इसके बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। भगवान की पूजा करते समय कुछ ऐसे नियम होते हैं जिन्हे धयान देने की जरुरत होती है, इन नियमों पर ध्यान न देना सेवापराध की श्रेणी में आता है। आज हम आपको ऐसे 32 सेवापराधों के बारे में बताएंगे जिन्हे शास्त्रों में बताया गया है।

सेवा अपराध क्या है?

सेवा अपराध क्या है?

हम आज आपको पूजा के वो नियम बताएंगे जिन्हे शास्त्रों में बताया गया गया है। पूजा के दौरान कुछ गलतियों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए इसके आपको दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। लेकिन सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि सेवा अपराध होता क्या है। सेवा अपराध वे अपराध होते हैं जो अकसर पूजा करते समय हम जाने-अनजाने अथवा भूलवश करते रहते हैं। इस प्रकार अनजाने में हमारी पूजा भंग या दूषित हो जाती है जिस कारण हमे मनचाहा फल प्राप्त नहीं हो पाता है। श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार सेवापराध बत्तीस प्रकार के माने गये हैं। 

श्रीमद्भागवत महापुराण में 32 प्रकार के सेवा अपराध माने गये हैं। 

32 Seva Apradh श्रीमद्भागवत महापुराण में 32 प्रकार के सेवा अपराध माने गये हैं। 

1- मंदिर में किसी सवारी पर चढ़कर या पैरों में खड़ाऊं पहनकर नहीं जाना चाहिए। 

2- भगवान के उत्सव जैसे रथ यात्रा एवं जन्माष्टमी आदि में शामिल न होना या इनके दर्शन ना करना।

3- भगवान की मूर्ति के दर्शन करके प्रणाम ना करना।

4- अशुचि अवस्था या अपवित्र होने पर भगवान के दर्शन करना।

5- भगवान के सामने एक हाथ से प्रणाम करना या दोनों हाथों को जोड़कर प्रणाम न करना। 

6- भगवान या मंदिर की परिक्रमा करते समय उनके सामने ना रुकना या मंदिर के सामने ही परिक्रमा करते रहना।

7- भगवान की मूर्ति के सामने पैर फैला कर बैठना।

8- भगवान की मूर्ति के सामने अपने घुटने मोड़कर और हाथों से लपेटकर बैठना। 

9- भगवान की मूर्ति के सामने सोना। शास्त्रों में भगवान की मूर्ति के सामने सोने को गलत बताया गया है। 

10- भगवान की मूर्ति के सामने या मंदिर में भोजन करना।

11- भगवान की मूर्ति के सामने आवाज तेज करके बोलना। 

12- भगवान की मूर्ति के सामने झूठ बोलना। 

13- भगवान की मूर्ति के सामने आपस में बातचीत करना और पूजा पर ध्यान न देना। 

14- भगवान की मूर्ति के सामने कलह या झगड़ा करना।

15- भगवान की मूर्ति के सामने तीखी आवाज में बोलना। 

16- भगवान की मूर्ति के सामने किसी को व्यक्ति या जीव को पीड़ा देना।

17- भगवान की मूर्ति के सामने किसी पर अनुग्रह करना। 

18- भगवान की मूर्ति के सामने किसी व्यक्ति या जीव को कटु वचन बोलना। 

19- भगवान की मूर्ति के सामने पूरे शरीर को ढक कर बैठना। 

20- भगवान की मूर्ति के सामने किसी की निंदा करना या बुराई करना ।

21- भगवान की मूर्ति के सामने दूसरे की स्तुति करना। 

22- भगवान की मूर्ति अथवा मंदिर के आगे अश्लील वचन बोलना। 

23- भगवान की मूर्ति के सामने अधोवायु का त्याग करना। 

24- शरीर में सामर्थ्य एवं संपन्न होते हुए भी गौण अर्थात सामान्य उपचारों से भगवान की सेवा पूजा करना।

25- भगवान को चढ़ाये बिना ही किसी भी वस्तु को खाना या पीना। 

26- जिस मौसम में जो फल होता है उसे सबसे पहले भगवान को चढ़ाना चाहिए ऐसा न करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। 

27- भगवान के व्यंजन में फल और शाक के अगले भाग को तोड़कर देना या पूरा न चढ़ाना। 

28- भगवान की मूर्ति के सामने पीठ करके बैठना। 

29- भगवान की मूर्ति के सामने किसी अन्य को प्रणाम नहीं करना चाहिए। 

30- अपने गुरुदेव की आज्ञा का पालन करना चाहिए उनकी अवज्ञा नहीं करनी चाहिए। 

31- अपने ही मुख से खुद की प्रशंसा करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। 

32- किसी देव की निंदा भी अपराध की श्रेणी में आता है।

इस प्रकार के अपराधों से बचकर यदि हम भगवान की सेवा अर्थात पूजा करते हैं तो हमें भगवान की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है। साथ ही पूरे मन से और नियम से पूजा करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है। पूजा के तुरंत बाद प्रसाद को सभी में वितरित कर देना चाहिए इससे सपा का त्वरित परिणाम प्राप्त होता है। 

 

 

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