Shani Ki Dhaiyya: शनि की ढैय्या क्या है? जानें इसके प्रभाव और उपाय के बारे में

Shani Ki Dhaiyya: शनि देव के प्रकोप के  बारे में कौन नहीं जानता है, लेकिन उनके क्रोध को जिसने भोगा है, उसे ज्यादा बेहतर तरीके से पता है. शनि देव का क्रोध यदि किसी भी राशि पर पड़ता है, तो उस राशि के जातकों पर इसका पूरा प्रभाव पड़ता है.
Shani Ki Dhaiyya

Shani Ki Dhaiyya: शनि देव के प्रकोप के  बारे में कौन नहीं जानता है, लेकिन उनके क्रोध को जिसने भोगा है, उसे ज्यादा बेहतर तरीके से पता है. शनि देव का क्रोध यदि किसी भी राशि पर पड़ता है, तो उस राशि के जातकों पर इसका पूरा प्रभाव पड़ता है. फिर उस व्यक्ति के जीवन में शनि की ढैय्या, साढ़ेसाती और महादशा के प्रकोप से कोई नहीं रोक सकता है. आइए जानते हैं कि शनि की ढैय्या क्या है, इसका प्रकोप मानव जीवन में कितना कष्टकारी होता है, साथ ही इससे बचने के क्या उपाय हैं.

Shani Dhaiyya: शनि देव के आशीर्वाद और उनके प्रकोप से कौन नहीं परिचित है. कहा जाता है कि शनिदेव जिस पर खुश हो गए तो उसे जीवन भर किसी चीज की कमी नहीं रहती है. लेकिन शनि देव के आशीर्वाद से ज्यादा चर्चे उनके प्रकोप के होते हैं. क्योंकि शनि देव का प्रकोप जिस किसी भी व्यक्ति के जीवन में पड़ता है, वह पूरी तरह से बर्बाद हो जाता है. उसे भी जन, धन और स्वास्थ्य प्रकार से तकलीफों का सामना करना पड़ता है. कहा जाता है कि शनि देव जिस राशि में भ्रमण करते हैं, वहां कुछ न कुछ जरूर जाता है. और वो है शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि की महादशा। इन तीनों में से यदि कोई एक भी उस राशि पर पड़ता है, तो वह जातक के जीवन को पूरी तरह से प्रभावित करता है. लेकिन ढैय्या के बारे में ऐसा नहीं है. अक्सर आपने सुना होगा कि शनि कि ढैय्या की दशा से सिर्फ परेशानियां होती है, लेकिन ऐसा नहीं है. आइए जानते हैं कि ढैय्या का क्या प्रभाव होता है.

शनि की ढैय्या क्या है? 

Shani Ki Dhaiyya Kya Hai: जब शनिदेव किसी राशि के चौथे और आठवें भाव में विराजमान होते हैं, तो उस समय ढैय्या की स्थिति निर्मित होती है. प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में तीन से चार बार शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा की स्थिति निर्मित होती है. ज्योतिष के अनुसार शनिदेव 30 सालों में एक राशि में पुनः लौट कर आते हैं. यानी कि 12 राशियों का भ्रमण करने में शनिदेव को 30 लगते हैं. शनि की महादशा का भाव 19 में होता है. यानी कि इंसान के जीवन में तीन से चार बार महादशा की स्थिति बनती है. लेकिन बात करते हैं. शनि कई ढैय्या की, तो जब शनि कि साढ़ेसाती लगती है तो वह साथ वर्ष की होती है. यानी कि एक राशि में साढ़ेसाती का समय ढाई वर्ष तक के लिए होता है. ये जो ढाई वर्ष का समय होता है, वही शनि की ढैय्या कहलाता है. लेकिन ढैय्या साढ़ेसाती के तीनों चरणों में से प्रथम चरण में होता है. इसका प्रभाव प्रथम चरण में ही पड़ता है. 

शनि कि ढैय्या से क्या हानियां होती हैं? 

Shani Ki Dhaiyya Se Kya Nuksan Hote Hain: यदि शनिदेव किसी राशि के आठवें और चौथे भाव में हैं तो उसका नकारात्मक प्रभाव उस राशि के जीवन में पड़ता है. लेकिन यदि शनिदेव किसी राशि के छटवें और तीसरे भाव में विराजमान हैं तो उससे जातकों को लाभ भी मिलता है. लेकिन शनि की ढैय्या से आपको नुकसान होगा इसका पता जन्मकुंडली के आधार ही चलता है. वो ऐसे की जब शनि किसी जातक के जन्म के समय यदि उसकी राशि के चौथे और आठवें भाव होते हैं तभी ढैय्या का बुरा असर जातक पर पड़ता है. लेकिन यदि उस राशि के इतर शनिदेव किसी दूसरी राशि में हैं तो उसका असर जातक पर नहीं पड़ता है. कहा जाता है कि शनि कि ढैय्या  नकारात्मक प्रभाव जब पड़ता है तो सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान  और शारीरिक स्वास्थ्य में खराबी आती है. 

शनि कि ढैय्या के उपाय

Shani Ki Dhaiyya Ke Upay: यदि किसी जातक के जीवन में शनि की ढैय्या का प्रकोप है तो उस व्यक्ति इस समस्या से बचने के लिए प्रत्येक शनिवार स्नान के बाद विधि-विधान से शनि देव की पूजा करनी चाहिए। साथ ही उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए है. शाम के समय शनि देव के मंदिर जाकर उन्हें सरसो के तेल का दीया अर्पित करें। साथ ही वासुदेव (पीपल के पेड़) को सरसो के तेल का दीया अर्पित कर उनकी तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए। ध्यान रहे कि वासुदेव को दीपक शाम होते ही अर्पित करें। ज्योतिष का कहना है कि अंधेरा होने पर पीपल के पेड़ में प्रेत आत्मा का वास हो जाता है.    




 

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