Shani Ki Sadhesati: शनि की साढ़ेसाती क्या है? जानें इसके प्रभाव और उपाय 

Shani Ki Sadhesati: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव मनुष्य पर मानसिक और शारीरिक दोनों तरह होता है. इसके अलावा यह आदमी को आर्थिक क्षति पहुंचाने का कारक भी माना जाता है.

Shani Ki Sadhesati

Shani Ki Sadhesati:  ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव मनुष्य पर मानसिक और शारीरिक दोनों तरह होता है. इसके अलावा यह आदमी को आर्थिक क्षति पहुंचाने का कारक भी माना जाता है. कई लोग इस समस्या से पीड़ित होते हैं लेकिन उन्हें इसका उपाय नहीं मिलता है. आइए जानते हैं कि शनि की साढ़ेसाती का मानव जीवन पर क्या असर होता है साथ ही इसके उपायों के बारे में जानेंगे। 

Shani Ki Sadhesati: शास्त्रों के अनुसार भगवान शनिदेव को न्यायाधीश की उपाधि हासिल है. वे लोगों को उनके कामों के अनुसार ही परिणाम देते हैं. जिनके कर्म अच्छे होते हैं उन्हें शनि का आशीर्वाद मिलता है, इसके अलावा जो बुरी प्रवृति के लोग होते हैं उनके ऊपर शनि का प्रकोप बरसता है. शनि देव उसके ऊपर साढ़ेसाती की नजर फेर देते हैं, साथ ही ढैय्या और महादशा की पीड़ा से वह व्यक्ति परेशान हो सकता है. ज्योतिष के अनुसार शनि को नवग्रहों में सबसे धीमे चलने वाला ग्रह माना गया है. 12 राशियों में घूमने में शनि को लगभग 30 वर्षों का समय लगता है. मतलब की एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक शनिदेव विश्राम करते हैं. ज्योतिष शास्त्र का कहना है प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कम से कम एक बार शनि की साढ़ेसाती की दशा बनती है. साढ़ेसाती दोष के कुल चार चरण होते हैं, जो कि कष्टकारी हो सकते हैं. 

क्या है शनि की साढ़ेसाती? 

Shani Ki Sadhesati Kya Hai:   ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब शनि किसी की जन्म कुंडली में विराजमान चंद्रमा से चौथे और आठवें भाव में हो तब शनि की साढ़ेसाती लगती है. इसके अलावा जब कुंडली में जन्म राशि से बारहवें स्थान पर शनि गोचर कर रहे हों या उनका गोचर आरंभ होने वाला हो तब भी शनि की साढ़ेसाती लगती है. बता दें कि शनि एक राशि में लगभग ढाई वर्षों का विराजित होते हैं. तीन भावों में होने के कारण कुल साढ़े सात वर्षों का अंतराल होता है. इसलिए इसे शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है. 

साढ़ेसाती के कितने चरण होते हैं? 

Shani Ki Sadhesati Ke Charan:  ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की साढ़ेसाती के तीन चरण होते हैं. प्रत्येक चरण ढाई वर्ष का होता है. तब जाकर यह साढ़े सात वर्षों का समय पूरा कर पाता है. कहा जाता है कि शनि के साढ़ेसाती का पहला चरण जातक आर्थिक हानि पहुंचाता है. जिससे उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा जाती है. इसके बाद आता दूसरा चरण, इसमें पारिवारिक कष्ट होता है. यानी की परिवार में कोई न कोई घटना घटित हो सकती है. अंत में आता है तीसरा चरण. इस चरण में जातक को शारीरिक क्षति पहुंचने की संभावना रहती है. माना जाता है कि इन तीनों चरणों में दूसरा चरण ज्यादा कष्टदायी होता है. 

शनि की साढ़ेसाती से कैसे बचें? 

Shani ki Sadhesati Ke Upay: शनि की साढ़ेसाती से बचने के लिए प्रत्येक शनिवार सुबह उठकर स्नान करें और काले वस्त्र धारण करें। इसके बाद शनिदेव की मंदिर जाकर उन्हें स्वच्छ जल से स्नान कराएं और इसके बाद सरसो के तेल से उन्हें स्नान कराएं। शनि देव को अक्षत, धूप, सरसो के तेल की दीया और पुष्प अर्पित करें। शांति से बैठकर शनि चालीसा और शनि स्त्रोत का पाठ करें। इसके बाद शनि के साढ़ेसाती मन्त्र का जाप करें, उससे पहले शनि देव से अपनी गलतियों की क्षमा मांगे और मंत्रों का जाप शुरू करें। ध्यान रहे कि शनि देव की पूजा से पहले हनुमान जी की पूजा अवश्य करें। 

साढ़ेसाती बचाव मंत्र ( Shani Sadhesati Bachav Mantra) 

ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो

भवन्तु पीतये। शंयोरनिश्रवन्तु:। ऊँ शंशिैश्चराय नमः।

ऊँ नीलांजि समाभासं रविपुत्रं यमा ग्रजम् । छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।

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