shukrawar vrat kaise kare : शुक्रवार का व्रत कैसे करें? माता लक्ष्मी और संतोषी माता की पूजा विधि

शुक्रवार व्रत का महत्व
माँ लक्ष्मी धन, वैभव और ऐश्वर्य की देवी हैं। उनका पूजन करने से आर्थिक तंगी दूर होती है।
संतोषी माता की पूजा से जीवन में संतोष, सुख और पारिवारिक सौहार्द बढ़ता है।
इस दिन किए गए व्रत और पूजा से नारी को अखंड सौभाग्य और घर को स्थायी सुख-शांति मिलती है।
शुक्रवार व्रत विधि
1. प्रातः तैयारी
सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
व्रत का संकल्प लें: "आज मैं शुक्रवार व्रत रख रही/रहा हूँ, कृपया मेरी पूजा स्वीकार करें।"
पूजा स्थान को गंगाजल या शुद्ध जल से पवित्र करें।
2. माँ लक्ष्मी या संतोषी माता की पूजा
देवी की मूर्ति या चित्र को चौकी पर सफेद कपड़े बिछाकर स्थापित करें।
उन्हें सफेद फूल, चावल, रोली, हल्दी, सुपारी आदि अर्पित करें।
दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
माँ लक्ष्मी की पूजा में श्रीसूक्त, लक्ष्मी स्तोत्र या लक्ष्मी अष्टोत्तर नामावली का पाठ करें।
संतोषी माता की पूजा में गुड़-चना का भोग लगाएं और माता की कथा पढ़ें।
3. भोग और आरती
लक्ष्मी माता को खीर, बताशे या सफेद मिठाई अर्पित करें।
संतोषी माता के व्रत में गुड़ और चने का ही भोग लगाएं और खट्टे पदार्थों का त्याग करें।
आरती करें:
"ॐ जय लक्ष्मी माता..."
"जय संतोषी माता..."
व्रत नियम
व्रती दिनभर उपवास करता है, केवल फलाहार कर सकते हैं।
संतोषी माता व्रत में शुक्रवार को खट्टा खाना वर्जित होता है (नींबू, दही, टमाटर आदि नहीं खाएं)।
शाम को कथा पढ़ने के बाद व्रत खोला जाता है।
व्रत की संख्या 7, 11 या 21 शुक्रवार तक रखने का प्रचलन है।
व्रत के लाभ
घर में दरिद्रता समाप्त होती है।
विवाह योग्य कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है।
पारिवारिक कलह और तनाव समाप्त होता है।
मन की शांति, आर्थिक उन्नति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
समापन
शुक्रवार व्रत न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक और पारिवारिक शांति के लिए भी लाभदायक माना जाता है। यह व्रत श्रद्धा, संयम और सेवा की भावना से किया जाए, तो माँ लक्ष्मी और संतोषी माता की असीम कृपा प्राप्त होती है।